जमशेदपुर, जासं। देश की आर्थिक अवस्था जिस स्थिति से गुजर रही है, इसमें सरकार के समक्ष बेहतर बजट पेश करने की चुनौती है। जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ आम जनता पर कोई बोझ भी न पड़े। फिलहाल ऑटोमोबाइल सेक्टर समेत कई सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहे हैं।
चूंकि जमशेदपुर शहर ऑटो सेक्टर से सीधे-सीधे जुड़ा हुआ है, इसलिए शहर के उद्यमियों का इसपर पूरा फोकस है तो वहीं कारोबारियों में ई-कामर्स कंपनियों के बिजनेस स्ट्रेटेजी से असंतोष है। इसलिए इस बार शहर के उद्यमियों की उम्मीदें सरकार से न सिर्फ ऑटो सेक्टर को उबारने को लेकर है, बल्कि ई-कामर्स कंपनियों पर लगाम लगाने की कोशिश किए जाने को लेकर भी है। वहीं कारोबारियों ने जीएसटी की जटिलताओं को भी सुलझाने की उम्मीद सरकार से बांधी है, जिससे कारोबारियों की उलझन तो सुलझे ही ग्राहकों को भी बोझ न उठाना पड़े। शहर के कारोबारियों की ऐसी उम्मीदों पर आइये एक नजर डालते हैं।
ई-कामर्स कंपनियों पर नकेल कसे सरकार
ई-कामर्स कंपनियां जिस तरह से कारोबार कर रही हैं, उससे परंपरागत कारोबार को चौपट कर दिया है। केंद्र सरकार को इस पर नकेल कसना चाहिए। हम चाहते हैं कि सरकार ई-कामर्स के लिए ऐसी पालिसी बनाए, जिससे परंपरागत बाजार को बचाया जा सके। इसके अलावा सभी को पांच लाख तक आयकर छूट मिले। कंपनी एक्ट की छूट ट्रेड में भी लागू हो। बजट ऐसा हो जो अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला दे।
- सुरेश सोंथालिया, राष्ट्रीय सचिव, कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स
स्टील के आयात पर प्रतिबंध लगाए सरकार
ऑटोमोबाइल और स्टील सेक्टर में सबसे ज्यादा मंदी है। इससे उबरने के लिए स्टील के आयात पर सरकार को पूरी तरह प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इन दोनों सेक्टर में सुधार के लिए सरकार को स्क्रैप पालिसी सख्ती से लागू करना होगा। एक अप्रैल से 15 साल पुरानी गाडिय़ों पर प्रतिबंध लगाना होगा। इससे ना केवल ऑटोमोबाइल, बल्कि स्टील सेक्टर में भी नई जान आ जाएगी।
- अशोक भालोटिया, अध्यक्ष, सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री
जीएसटी का सरलीकरण करना बेहद जरूरी
जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू हुए दो साल हो गए हैं, लेकिन इसकी उलझन अब भी कायम है। सरकार ने इस बीच कई बार संशोधन किया, लेकिन इसका सरलीकरण अब भी बेहद जरूरी है। तीन से ज्यादा स्लैब नहीं होना चाहिए, जबकि अभी कई स्लैब हैं। बैंकिंग सिस्टम को अधिक उदार बनाना, कर्ज देने में आसानी और ब्याज कम करना भी आवश्यक है।
- भरत वसानी, उपाध्यक्ष, सिंहभूम चैंबर
बीएस-4 गाडिय़ों पर टैक्स की दर नाममात्र हो
ऑटोमोबाइल और स्टील सेक्टर में मंदी का बड़ा कारण बीएस-4 और बीएस-6 इंजन वाली गाडिय़ों को लेकर है। सरकार ने पहले बीएस-4 गाडिय़ों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी, जिससे ऑटोमोबाइल उद्योग एकबारगी चरमरा गया। संकट का आभास होने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को घोषणा करनी पड़ी कि बीएस-4 पर प्रतिबंध नहीं लगेगा, लेकिन इसका लाभ नहीं हुआ। अब भी समय है। सरकार बीएस-4 गाडिय़ों पर नाममात्र का टैक्स लगाकर या पूरी तरह छूट देकर उद्योग जगत में उछाल ला सकती है।
- विजय आनंद मूनका, उपाध्यक्ष, सिंहभूम चैंबर
कपड़ों पर एक ही जीएसटी दर लागू हो
यह विडंबना ही कहा जाएगा कि सरकार ने एक ही उत्पाद पर दो तरह का जीएसटी दर लगा रखा है। इसे एक करना होगा, क्योंकि इसकी वजह से टेक्टसटाइल इंडस्ट्री कराह रहा है। इसकी वजह से रोजगार के अवसर भी कम हो गए हैं। इसके अलावा बैंक को व्यवहारिक रूप से उदार बनाना होगा। कर्ज आसानी से मिले, ब्याज दर कम लगे, तो बड़ा काम होगा।
- अनिल मोदी, सचिव, सिंहभूम चैंबर