'बॉम्बे' ब्लड ग्रुप वाले जमशेदपुर में तीन मिले, जानें, क्यों खास है यह रक्त समूह

सभी तरह के रक्तसमूह में एक मास्टर एंटीजेन एच रहता है। यही मास्टर एंटीजेन ए और बी एंटीजेन का निर्माण करता है

By Sachin MishraEdited By: Publish:Fri, 02 Nov 2018 04:54 PM (IST) Updated:Fri, 02 Nov 2018 04:58 PM (IST)
'बॉम्बे' ब्लड ग्रुप वाले जमशेदपुर में तीन मिले, जानें, क्यों खास है यह रक्त समूह
'बॉम्बे' ब्लड ग्रुप वाले जमशेदपुर में तीन मिले, जानें, क्यों खास है यह रक्त समूह

जमशेदपुर, विश्वजीत भट्ट। 'बॉम्बे' यह एक ब्लड ग्रुप का नाम है। यह इतना दुर्लभ है कि अब तक सवा करोड़ की आबादी वाले अपने देश में इस ग्रुप के मात्र 400 लोग ही चिह्नित किए गए हैं। इस ब्लड ग्रुप की जरूरत पड़ने पर जरूरतमंद के परिजन की क्या कहें, डॉक्टर तक के हाथ-पैर फूलने लगते हैं। हाल ही जमशेदपुर में तीन लोगों में बॉम्बे रक्तसमूह का पाया जाना चिकित्सा जगत में यह चर्चा और हर्ष का विषय बना हुआ है।

इस रक्त समूह के अति दुर्लभ होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लगभग 20-22 दिन पहले विशाखापट्टनम के अस्पताल में एक मरीज भर्ती हुआ। मरीज को बॉम्बे ब्लड ग्रुप के खून की जरूरत पड़ी। वरिष्ठ चिकित्सक व कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित कुमार बताते हैं कि पूरे मध्य भारत में खोजने पर पता चला कि महाराष्ट्र के शोलापुर में इस ग्रुप का एक व्यक्ति है। उसे आनन-फानन में शोलापुर से पुणे होते हुए मुंबई लाने और वापस भेजने की व्यवस्था की गई। यहां उस व्यक्ति ने खून दिया। हवाई जहाज से खून विशाखापट्टनम पहुंचाया गया और तब मरीज को चढ़ा और उसकी जान बची।

ऐसे मिले 'बॉम्बे' ब्लड ग्रुप के तीनों

लगभग सप्ताह भर पहले सुंदरगढ़ निवासी प्रतिमा तिग्गा नाम की एक महिला ब्रह्मानंद नारायण हृदयालय में भर्ती हुई। वरिष्ठ चिकित्सक व कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित कुमार ने उसकी जांच की। प्रतिमा को लिम्फोमा (एनएचएस) है। इलाज के दौरान उसको भी खून की जरूरत पड़ी। रक्त जांच में पहले तो ओ ब्लड ग्रुप से कंफ्यूजन हुआ। बाद में जमशेदपुर ब्लड बैंक और ब्रह्मानंद के ब्लड बैंक ने प्रतिमा का ब्लड ग्रुप 'बॉम्बे' होने की पुष्टि की। सबके हाथ-पांव फूल गए। चिकित्सकों ने रिश्तेदारों की खून जांचा तो प्रतिमा की छोटी बहन और उनके बहनोई का भी ब्लड ग्रुप 'बॉम्बे' निकला। प्रतिमा ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के किरालका प्रखंड के सुबडेगा गांव की रहने वाली हैं।

ऐसे 'बॉम्बे' पड़ा इस ब्लड ग्रुप नाम

1952 में किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल 'बॉम्बे' में एक मरीज भर्ती हुआ। उसे खून की जरूरत पड़ी। 160 यूनिट खून की जांच की गई, लेकिन उसके ग्रुप का खून नहीं मिला। इसके बाद और व्यक्तिके खून की जांच हुई तो इसका खून मरीज के खून से मिला। चूंकि रक्तदाता 'बॉम्बे' का था, इसलिए डॉक्टरों ने इस ग्रुप का नाम ही बॉम्बे रख दिया।

जानें, क्यों खास है यह रक्त समूह

सभी तरह के रक्तसमूह में एक मास्टर एंटीजेन एच रहता है। यही मास्टर एंटीजेन ए और बी एंटीजेन का निर्माण करता है। ए ग्रुप में ए एंटीजेन, बी में बी एंटीजेन, एबी में एबी एंटीजेन और ओ ब्लड ग्रुप में कोई एंटीजेन नहीं होता। एंटीजेन के कारण ही एबी ग्रुप किसी से भी खून ले सकता है। ओ ग्रुप का खून किसी को भी दिया जा सकता है। 'बॉम्बे' ब्लड ग्रुप में चूंकि एच एंटीजेन अपने मूल रूप में रहता है, इसलिए यह न किसी को खून दे सकता है और न किसी अन्य ब्लड ग्रुप से ले सकता है।

जरूरतमंद ऐसे करें संपर्क

इस दुर्लभ ब्लड ग्रुप वाले तीनों ही लोगों ने अपनी संपूर्ण जानकारी जमशेदपुर ब्लड बैंक को दे दी है। ऐसे में कोई भी जरूरतमंद जमशेदपुर ब्लड बैंक से संपर्क कर सकता है। इसका पता ब्लड बैंक बिल्डिंग, डीसी ऑफिस के पास जमशेदपुर है। 0657-2431957 फोन नंबर पर भी संपर्क किया जा सकता है।

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