कोल्हान में शिक्षा बजट का कार्य बाधित

-झाशिप कर्मियों की हड़ताल से चरमराई व्यवस्था जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : झारखंड शिक्षा परियोजना परि

By Edited By: Publish:Tue, 09 Feb 2016 12:59 AM (IST) Updated:Tue, 09 Feb 2016 12:59 AM (IST)
कोल्हान में शिक्षा बजट का कार्य बाधित

-झाशिप कर्मियों की हड़ताल से चरमराई व्यवस्था

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के अधिकारियों व कर्मियों की हड़ताल के कारण पूरे कोल्हान में शिक्षा बजट का कार्य बाधित हो गया है। रोजाना किये जा रहे कार्यो की रिपोर्टिग नहीं हो पा रही है। नये वर्ष में होने वाले शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कार्यो की मॉनिट¨रग भी नहीं हो पा रही है। बाल समागम का कार्य भी बाधित है। पूरे कोल्हान में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के लगभग 250 कर्मी हैं। ये सभी 18 जनवरी 2016 से अनिश्चितकालीन हड़ताल हैं। इस कारण सभी जिले में प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा का कार्य बाधित हो रहा है। शिक्षा बजट का पहला प्रारुप 15 फरवरी को जमा होना है। अभी तक इस महत्वपूर्ण कार्य पर धरातल पर किसी तरह का कोई कार्य नहीं हो पाया। बस एक वर्कशॉप कर इस कार्य की इतिश्री कर ली गई है। पूरे कोल्हान की बात की जाय तो प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा को मिलाकर लगभग 150 करोड़ का बजट बनता है।

झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद कर्मी के पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष लेदम मुर्मू ने कहा कि हम चार सूत्री मांगों को लेकर मुख्य रूप से आंदोलनरत हैं। हमारे आंदोलन के कारण शिक्षा विभाग की रिपोर्टिग का कार्य पूरी तरह बाधित है। बजट का अभी तो मात्र 10 प्रतिशत ही कार्य हुआ है। अब तक झाशिप कर्मियों का नियमतीकरण नहीं किया गया है। अब तक उन्हें चतुर्थ पे कमीशन का ही वेतनमान मिल रहा है जबकि उनके नियुक्ति संबंधी बायलॉज में साफ-साफ लिखा हुआ है कि जो केंद्र या राज्य सरकार के कर्मियों व पदाधिकारियों को राशि मिलती है, उतनी ही राशि झशिप कर्मियों को मिलेगी।

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समूह बीमा भी नहीं हो पाया

झाशिप के कर्मियों का समूह बीमा अब तक नहीं हो पाया है। झाशिप के कर्मी सरकारी कर्मचारी की तरह ही कार्य करते हैं, इसके बावजूद इनका समूह बीमा नहीं कराया गया है। झारखंड शिक्षा परियोजना के 13 कर्मियों की मौत अब तक हो चुकी है, लेकिन उनका समूह बीमा नहीं होने के कारण वे सरकारी लाभ से वंचित है।

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50-150 का होता है इंक्रीमेंट

झारखंड शिक्षा परियोजना कर्मियों का हर साल 50 से 150 रुपये का इंक्रीमेंट होता है। यह कर्मियों की समझ से परे है। इस मामले को लेकर कर्मी कई बार आंदोलन कर चुके हैं, इसके बावजूद किसी तरह की बात कर्मियों की नहीं सुनी गई।

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अन्य राज्यों में हैं नियमित कर्मी

झारखंड को छोड़ इससे सटे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार के अलावा हरियाणा में शिक्षा परियोजना के कर्मियों का नियमतीकरण हो चुका है लेकिन झारखंड में यह कार्य अब तक नहीं हो पाया है।

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शिक्षा बजट का कार्य प्रभावित होगा ही, इसके साथ सभी शैक्षणिक प्रशिक्षण व गैर प्रशिक्षण कार्य भी पूरी तरह से प्रभावित हैं। यहां तक कि बाल समागम के कार्य में महज खानापूर्ति कर रही है। - प्रकाश कुमार, एडीपीओ, पूर्वी सिंहभूम।

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