सांसद के हत्यारे को घूमने की खुली छूट!

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सांसद सुनील महतो हत्याकांड के आरोपी रंजीत पॉल उर्फ राहुल जी आखिर कब गिरफ

By Edited By: Publish:Thu, 20 Nov 2014 01:32 AM (IST) Updated:Thu, 20 Nov 2014 01:32 AM (IST)
सांसद के हत्यारे को घूमने की खुली छूट!

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सांसद सुनील महतो हत्याकांड के आरोपी रंजीत पॉल उर्फ राहुल जी आखिर कब गिरफ्तार होगा? क्या उसे खुले घूमने की छूट दी गई है? क्या उसे चुनाव में किसी प्रत्याशी को जीतवाने या हरवाने में भूमिका अदा करने के लिए छोड़ा गया है।

अगर ऐसा नहीं है तो उसे अब तक पुलिस ने गिरफ्तार क्यों नहीं किया? सुनील महतो हत्याकांड की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया गया है। संभव है कि इस कारण ही जिला पुलिस या घाटशिला अनुमंडल क्षेत्र में तैनात सीआरपीएफ के जवान उसे गिरफ्तार नहीं कर रहे हों। अगर राहुल के मोबाइल नंबर को वाकई में सर्विलांस में रखा गया है तो यह अच्छी बात है लेकिन चौंकाता यह है कि आखिर चुनाव के समय ही राहुल से बात करने के आरोप में एक नेता को हिरासत में क्यों लिया गया। क्या राहुल पूर्व में मोबाइल फोन का उपयोग नहीं कर रहा था या वह पूर्वी सिंहभूम जिले के किसी व्यक्ति के संपर्क में नहीं था? कई तरह के सवाल उठते हैं? अगर पुलिस का खुफिया तंत्र इतना मजबूत है कि राहुल द्वारा उपयोग में लाए जा रहे मोबाइल नंबर का पता लगा लिया गया है तो फिर और कौन-कौन व्यक्ति हैं जिनका नक्सली संगठन से याराना है। वर्ष 2011 के लोकसभा उपचुनाव में पूर्व विधायक सरयू राय ने एक सीडी जारी की थी जिसमें पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार व नक्सली नेता समर जी के बीच हुई बातचीत का जिक्र था। इस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी। बाद में सरकार ने मामले की जांच का जिम्मा अपराध अनुसंधान विभाग को सौंप दिया। मामला अब तक ठंडे बस्ते में है। यह भी सच है कि नक्सलियों व डॉ. अजय कुमार के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिग किसी आम व्यक्ति ने नहीं की होगी बल्कि पुलिस प्रशासन की ओर से ही सर्विलांस के तहत रिकॉर्ड करवाया होगा। नक्सली-नेताओं के गठजोड़ की बात तो दूर है। यक्ष प्रश्न यह उठता है कि आखिर चुनाव के दौरान ही नक्सलियों के नंबर को सर्विलांस में क्यों रखा जाता है? वर्ष 2006 में तत्कालीन एसपी आशीष बत्रा ने सर्विलांस के जरिए ही नक्सलियों के बड़े नेता श्याम सिंकू को मानगो बस स्टैंड में गिरफ्तार किया था। श्याम सिंकू दस्ता के सदस्यों के लिए वर्दी खरीदने जमशेदपुर पहुंचा था। अगर रंजीत पाल का मोबाइल नंबर पुलिस के हाथ लग चुका है तो उसकी जल्द गिरफ्तारी भी हो सकती है। सात वर्ष पूर्व चार मार्च वर्ष 2007 को माओवादियों ने सांसद सुनील महतो समेत उनके पांच सुरक्षा गार्ड की हत्या कर दी थी। रंजीत पाल की गिरफ्तारी से पूरे मामले का उद्भेदन हो जाएगा। सुनील महतो की हत्या को लेकर यह चर्चा अब भी होती है कि नक्सलियों ने किसी के कहने पर इस घटना को अंजाम दिया था।

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