क्या बिगाड़ा था, जो तूने सबकुछ छीन लिया भगवान?

By Edited By: Publish:Sun, 20 Apr 2014 01:09 AM (IST) Updated:Sun, 20 Apr 2014 01:09 AM (IST)
क्या बिगाड़ा था, जो तूने सबकुछ छीन लिया भगवान?

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : इस घर में शादी की खुशियां मनाई जा रही थीं। बहनों ने रंग-बिरंगी साड़ियां खरीदी थीं। मां अपनी सारी हसरतें बहू से पूरी करवाने के सपने संजोए थी, लेकिन भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था जो खुशी आने से पहले ही आंगन में गम का डेरा हो गया। न्यू बारीडीह स्थित अनूप की मां को उनके पति माधव प्रसाद सिंह की मौत की जानकारी परिजनों ने नहीं दी थी। शव आने से एक घंटा पहले जैसे ही परिजनों ने उन्हें जानकारी दी, लगा मानों उनकी सारी खुशियां किसी ने लूट ली हों। वे कुछ देर के लिए शून्य में चली गई। शनिवार की शाम करीब 7.30 बजे माधव प्रसाद सिंह व राघव प्रताप सिंह का शव जैसे ही क्वार्टर के आगे रखा गया, रीना देवी दहाड़ मारकर रोने लगीं। रोते-रोते कहने लगीं - क्या बिगाड़ा था, जो तूने सबकुछ छीन लिया भगवान। हमारी जरा सी खुशी भी तू सहन नहीं कर पाया। इतना कहने भर की देर थी कि अनूप की दोनों बहनें कंचन, रंजन व दूसरे रिश्तेदार भी सुध खो बैठे और वे भी दहाड़े मार कर रोने लगे। पड़ोसी भी अपने आंसू रोक नहीं सकें और आखिरकार उनकी आंखों से आंसू झलक पड़े। घर खचाखच रिश्तेदारों से भरा था। वहीं शव के इंतजार में रिश्तेदारों व पड़ोसियों के साथ लगभग एक हजार से ज्यादा लोग अनूप के घर के सामने खड़े थे।

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