शंख नदी की धारा के आगे एनडीआरएफ टीम व प्रशासन का हौसला पस्त

जागरण संवाददाता गुमला शंख नदी की तेज धारा के आगे 15 नवंबर को बहकर डूबे गुमला के तीन

By JagranEdited By: Publish:Thu, 19 Nov 2020 08:49 PM (IST) Updated:Thu, 19 Nov 2020 08:49 PM (IST)
शंख नदी की धारा के आगे एनडीआरएफ टीम व प्रशासन का हौसला पस्त
शंख नदी की धारा के आगे एनडीआरएफ टीम व प्रशासन का हौसला पस्त

जागरण संवाददाता, गुमला : शंख नदी की तेज धारा के आगे 15 नवंबर को बहकर डूबे गुमला के तीन होनहार युवकों की तलाश करने के अभियान को भारी झटका लगा है। बुधवार के दोपहर बाद से गुरुवार की सुबह तक हुई वर्षा के कारण शंख नदी के जल स्तर के विस्तार और पानी की धारा के तेज होने के कारण एनडीआरएफ टीम का हौसला भी पस्त हो गया है। प्रशासन का भी हौसला और मनोबल टूटा है।

क्या कहते हैं एनडीआरएफ टीम के सदस्य : तीन युवकों की तलाश के लिए आयी 15 सदस्यीय टीम के नेतृत्व कर्ता निरीक्षक पीटर पॉल डुंगडुंग का कहना है कि हमारे आए चार दिन हो गए। पहले और दूसरे दिन हमारे डीप ड्राइवर ने सुरंग घुसने का काम किया था। यह पहाड़ी और पथरीली इलाका है। चट्टानों के बीच 50 से 60 फीट सुरंग है। स्थानीय लोगों के बीच पूछताछ की गई। पता चला की पत्थरों के सुराख है। 25 से 30 फीट गहरे पानी में भंवर है। गुरुवार को नदी का पानी बढ़ गया है। धारा भी तेज है। सुरक्षा को देखते हुए हमलोगों को जिला प्रशासन को पानी की रफ्तार करने और धारा को मोड़ने का अनुरोध किया है जिससे सर्च अभियान को आगे बढ़ाया जा सके। हमारे पास सुरक्षा के सभी संसाधन हैं। डीप ड्राइवर की जोड़ी ने काम किया है। जब तक पानी की धारा कम नहीं होगी तब तक हम अभियान रोके हुए हैं। हमने दो किलोमीटर तक सर्च अभियान चलाया है लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा है।

प्रशासन सिर्फ आश्वासन देना जानता है : परिजन

डूबे हुए युवकों के परिजनों का कहना है कि जिला प्रशासन सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन दे रहा है। प्रशासन स्पष्ट कर दें कि डूबे युवकों को खोजा नहीं जा सकता है तो हमें यह संतुष्टि हो जाती कि अब वे नहीं मिलेंगे। आखिर प्रशासन ने अब तक किया ही क्या। प्रशासन के लोग तेल डाल कर बैठे हैं। हमारे घर में चूल्हा नहीं जल रहा है। बच्चे महिलाएं खाना नहीं खा रहे हैं। बृजबिहारी पुरी कहते हैं कि पेट्रोल और वाहन पर अब तक पचास हजार रुपये खर्च कर चुके हैं। यहां सुरक्षा के नाम पर सिर्फ स्वागत द्वार बना हुआ है। एक अन्य परिजन चन्द्रशेखर गिरी का कहना है कि हमलोगों ने मजदूर जुटाया। बालू का पांच हजार खाली बोरा मंगवाया। जेसीबी में पांच हजार का तेल डलवाया। फिर भी कामयाबी नहीं मिली। सहयोग के नाम पर प्रशासन से एक हजार बोरा दिया। यह स्थल खतरनाक है इसलिए डेड जोन घोषित करना चाहिए। हमने तो अपनों को खोया है हम नहीं चाहते कि इस तरह का दुखद घटना हो। प्रशासन को चाहिए कि खतरनाक स्थलों की पहचान कर बोर्ड लगवाए। रामरेखा धाम की तरह जाली और सिकड़ लगवाए। हर सीजन में सिकड़ लगाना होगा।

खतरे के संकेतक लगाने की घोषणा : सामाजिक कार्यकर्ता राधामोहन साहु ने कहा कि वे अपनी ओर से चेतावनी भरा शाईनबोर्ड लगवाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए पर्याप्त संख्या में बोर्ड लिखवाने का काम किया जा रहा है। लघु सिचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता प्रदीप भगत ने भी बोर्ड लगवाने की घोषणा की है। मुखिया बिशु सोरेंग का कहना है कि ग्रामीणों ने तो प्रयास किया। सारा काम छोड़कर चार दिनों से यहां हैं। जब तक पानी कम नहीं होगा तब तक युवकों का खोज करना संभव नहीं होगा।

एसडीओ ने परिजनों को समझाया : हीरादह में गुरुवार के दोपहर बाद अनुमंडल पदाधिकारी रवि आनंद ने डूबे हुए दो युवकों के उपस्थित परिजनों को किए गए प्रयास और मजबूरी का हावाला दिया। हालांकि एसडीओ ने एनडीआरफकी टीम को शुक्रवार के दोपहर तक रूकने का निर्देश दिया। आकाश में छाए हुए बादल और बूंदा बांदी हो रही वर्षा के कारण नदी के जलधारा में कमी आने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। परिजन डूबे हुए युवकों के क्रियाक्रम करने पर विचार कर रहे हैं और शुक्रवार को एनडीआरएफ टीम के प्रयास के बाद अंतिम निर्णय लेंगे।

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