ढीबा बांध का जीर्णोद्धार हो तो ग्रामीणों को मिल सकती जल संकट से मुक्ति

सहेज लो हर बूंद जल संरक्षण - पथरगामा और बसंतराय प्रखंड की सीमा में बसा आदिवासी गांव ढीबा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 05:38 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 05:38 PM (IST)
ढीबा बांध का जीर्णोद्धार हो तो ग्रामीणों को मिल सकती जल संकट से मुक्ति
ढीबा बांध का जीर्णोद्धार हो तो ग्रामीणों को मिल सकती जल संकट से मुक्ति

सहेज लो हर बूंद जल संरक्षण

- पथरगामा और बसंतराय प्रखंड की सीमा में बसा आदिवासी गांव ढीबा की व्यथा

- बहियार के कुआं से बुझती ग्रामीणों की प्यास

- तीन चापाकल और सोलर जलमीनार से नहीं निकलता पानी संवाद सहयोगी, गोड्डा : जिले के पथरगामा प्रखंड के सीमांत क्षेत्र पर अवस्थित आदिवासी बहुल गांव ढीबा में पेजयल संकट गहरा गया है। गांव के बगल में अवस्थित ढीबा बांध सूख जाने से ग्रामीणों को पेयजल सहित अन्य घरेलू कार्य हेतु पानी के लिए इधर- उधर भटकना पड़ रहा है। यह गांव पहाड़ों के बीच है लेकिन यहां जल संरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। बांध का जीर्णोद्धार कर अगर वहां मानसूनी बारिश के पानी का संचयन किया जाए तो ढीबा गांव सहित आसपास के इलाके का जल संकट दूर हो सकता है।

लगभग चार सौ की आबादी वाले इस गांव में एक भी चापाकल चालू अवस्था में नहीं है और एक सोलर जल मीनार है लेकिन उससे पानी नहीं निकलता है। पूर्व में लगाए गए तीन चापाकल से ही ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में दूर बहियार के कुआं से पानी लाकर ग्रामीण अपनी प्यास बुझा रहे हैं। यहा गांव पथरगामा और बसंतराय प्रखंड की सीमा में है। पथरगामा की पड़ुवा पंचायत में पड़ने वाला उक्त गांव विकास के मामले में अभी काफी उपेक्षित है।

ग्रामीण अनंतलाल मरांडी, महेश्वर मुर्मू, हेमलाल मुर्मू, जल सहिया सुनीता सोरेन आदि का कहना है कि गांव के बाहर स्कूल के पास एक चापाकल था, जिससे ग्रामीण पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते थे। गर्मी का मौसम शुरू होते ही भूजल स्तर नीचे चला जाने के कारण चापाकल भी पानी देना बंद कर दिया है। पूर्व में गांव में तीन चापाकल लगाए गए थे जो रखरखाव व मरम्मत के अभाव में एक एक कर खराब हो गए। बीते छह माह से अधिक समय से यहां उक्त चापाकल खराब पड़े हुए हैं। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से इसकी सुध नहीं ली जा रही है। गांव के बाहर में ढीबा बांध की खुदाई नहीं होने के कारण यहां जल संरक्षण नहीं हो पाता है। फलस्वरूप बरसात खत्म होने के साथ ही बांध सूख जाता है। इस कारण गांव का भूजल स्तर नियंत्रित नहीं रह पाता है। यहां पंचायत फंड से एक सोलर जल मीनार भी लगाई गई थी लेकिन वह भी खराब हो गई। भूजल स्तर नीचे गिरने से सोलर जलमीनार में पानी ही नहीं चढ़ता है। इस कारण ग्रामीणों के समक्ष पेयजल संकट विकराल हो गया है। पानी की जुगाड़ के लिए अहले सुबह से ही यहां ग्रामीणों को बहियार के कुआं पर जाकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि कई बार मुखिया व जनप्रतिनिधियों को पेयजल समस्या बहाल करने की गुहार लगाई गई लेकिन इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। इस बाबत ग्रामीणों ने प्रखंड व जिला प्रशासन से पेयजल मुहैया कराने एवं चापाकल तथा सोलर जलमीनार को दुरुस्त कराने की मांग की है।

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ढीबा बांध सहित गांव के अन्य जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए कई बार पंचायत स्तर से प्रखंड प्रशासन को प्रतिवेदन भेजा गया है। मासिक समीक्षा बैठक में भी जल संकट को प्रशासन के समक्ष रखा गया है लेकिन विभागीय अधिकारियों की ओर से इस पर ध्यान नहीं दिखा जाता है। पंचायत स्तर पर इतना फंड नहीं है कि बांध का जीर्णोद्धार कराया जा सके। भूजल स्तर नीचे जाने से गर्मी के दिनों में यहां लोगों को जल संकट से जूझना पड़ता है। जिला प्रशासन को इसपर संज्ञान लेकर पहल करनी चाहिए। - आशा लता मूर्मू, मुखिया, पड़ुवा पंचायत

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