जानिए, इस ‘आदर्श ग्राम’ में बेटी को क्यों ब्याहना नहीं चाहते बाबुल

करीब 1200 की आबादी वाले इस गांव में जाने के लिए आज तक सड़क नहीं बनी है। जरा सी बारिश के बाद इस गांव में पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Sun, 15 Jul 2018 01:05 PM (IST) Updated:Sun, 15 Jul 2018 01:35 PM (IST)
जानिए, इस ‘आदर्श ग्राम’ में बेटी को क्यों ब्याहना नहीं चाहते बाबुल
जानिए, इस ‘आदर्श ग्राम’ में बेटी को क्यों ब्याहना नहीं चाहते बाबुल

गोड्डा (जहांजेब रजी)। करीब पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन विधायक राजेश रंजन की पहल पर बिकरामपुर गांव को आदर्श ग्राम का दर्जा दिया गया था। गांव में जाने के लिए सड़क नहीं होने के बाद भी गांव को ‘आदर्श ग्राम’ का दर्जा भी मिल गया। बाद में वर्तमान विधायक अशोक कुमार ने गांव को एक एंबुलेंस दी, लेकिन रास्ता नहीं होने से एंबुलेंस गांव से कभी निकल ही नहीं पाई।

इधर, सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जिले में एक हजार की आबादी वाले सभी गांव सड़क से जुड़ चुके हैं। अब 500 व 250 की आबादी वाले बसावटों को सड़क से जोड़ने की कवायद हो रही है, पर महागामा प्रखंड का आदर्श ग्राम बिकरामपुर सरकार के इस दावे पर प्रश्नचिह्न् लगा रहा है।

1200 की आबादी सड़क विहीन
करीब 1200 की आबादी वाले इस गांव में जाने के लिए आज तक सड़क नहीं बनी है। मार्च-अप्रैल में आसपास के खेतों के खाली रहने से किसी तरह चारपहिया वाहन गांव तक पहुंच जाता है। हल्की बारिश के बाद इस गांव में पहुंचना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से लड़की वाले गांव में अपनी बेटी की शादी करने से कतराते हैं। जिन्होंने अपनी बेटी की शादी गांव के युवक से की उन्होंने शादी से पहले ही लड़के के परिजनों से शहर में रहने की शर्त मनवा ली।

कोई डॉक्टर तो कोई इंजीनियर
करीब दो सौ घरों वाले इस गांव में आठ दर्जन से अधिक लोग नौकरीपेशा हैं जिनमें दो दर्जन से अधिक तो डाक्टर-इंजीनियर हैं। अल्पसंख्यक समुदाय बहुल इस गांव में न तो स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है और न ही शिक्षा की समुचित व्यवस्था है। इस वजह से नौकरी करनेवाले अधिकतर लोगों ने भागलपुर के साथ-साथ परसा व कोयला जैसे गांवों में अपना घर बना लिया है। आर्थिक रूप से कमजोर लोग ही अब गांव में रह रहे हैं। गांव में एकमात्र मध्य विद्यालय है जहां कक्षा आठ तक की पढ़ाई होती है।

बरसात में गांव बन जाता टापू
बिकरामपुर गांव बरसात के मौसम में टापू बन जाता है। यहां पश्चिम दिशा में सुंदर तथा पूर्व दिशा में तेलिया नदी है। दोनों नदी का पानी आने से गांव टापू में तब्दील हो जाता है। यदि बरसात में कोई बीमार पड़ जाए तो अस्पताल ले जाने में काफी परेशानी होती है। सड़क नहीं होने के कारण प्रसव के लिए कोई वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाता है।

सड़क निर्माण के लिए लगातार प्रयासरत हूं 
महागामा, गोड्डा के विधायक अशोक कुमार का कहना है कि गांव में सड़क निर्माण के लिए लगातार प्रयासरत हूं। विधानसभा में भी मामला उठाया। उसके बाद सड़क निर्माण की कवायद शुरू हुई। सड़क निर्माण के लिए भूमि का अधिग्रहण करना था। इसके लिए राशि भी आवंटित हो गई थी, लेकिन जिस भूमि का अधिग्रहण होना था उस पर कुछ लोगों ने घर बना लिया। इस वजह से मामला अटक गया। राशि भी लौट गई। बाद में गांव में दूसरी ओर से सड़क निर्माण की कवायद शुरू हुई। छह फीट चौड़ी सड़क की व्यवस्था हुई। कुल मिलाकर सड़क न बनने के लिए ग्रामीण ही जिम्मेदार हैं। अगर ग्रामीण जमीन दें तो एक माह के अंदर सड़क बन जाएगी। वोट के लालच में तत्कालीन विधायक ने बिना सड़क गांव को आदर्श ग्राम घोषित करा दिया। 

ग्रामीणों के बोल
आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव में सड़क नहीं बनी है। सड़क नहीं होने से बाहर के लोग तो गांव आना ही नहीं चाहते।
-मो. कलीमुद्दीन।

बरसात के दिनों में सबसे अधिक कठिनाई मरीजों को अस्पताल ले जाने में होती है, क्योंकि कोई भी वाहन प्रवेश नहीं कर पाता है।
-मुस्तकीम आलम।

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