भोजन देकर काम कराता रहा ठीकेदार, खाली हाथ लौटे घर

फोटो - 41 - तेलंगाना से लौटे चार प्रवासी मजदूरों ने जागरण से बांटा दर्द संवाद सहयोगी मेहरमा देशभर में जारी लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न प्रदेशों में फंसे प्रवासी कामगारों की वापस का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में बीते रविवार की दोपहर दिल्ली हैदराबाद सूरत बेंगलुरु तेलंगाना व अन्य प्रदेशों से कुल 9

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 May 2020 08:48 PM (IST) Updated:Sun, 24 May 2020 08:48 PM (IST)
भोजन देकर काम कराता रहा ठीकेदार, खाली हाथ लौटे घर
भोजन देकर काम कराता रहा ठीकेदार, खाली हाथ लौटे घर

संवाद सहयोगी, मेहरमा : देशभर में जारी लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न प्रदेशों में फंसे कामगारों की वापसी का सिलसिला जारी है। रविवार दोपहर दिल्ली, हैदराबाद, सूरत, बेंगलुरु, तेलंगाना व अन्य प्रदेशों से कुल 981 कामगार मेहरमा पहुंचे। इसमें से 52 कामगारों को सरकारी क्वारंटाइन तथा शेष 929 को होम क्वारंटाइन पर भेजा गया। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य जांच के पश्चात प्रखंड कार्यालय में सभी का निबंधन कराया गया। क्वारंटाइन व गांव जाने के क्रम में सभी प्रवासी कामगारों को प्रखंड कार्यालय के समीप चल रहे भोजनालय में भोजन कराया गया। इसके पश्चात सभी प्रवासी कामगार अपनी सुविधा से अपने गांव के लिए रवाना हो गए।

बलिया गांव के शिवाकांत यादव, संजीव यादव, जय मंगल यादव और रामप्रवेश यादव ने बताया कि बीते 7 फरवरी को वे लोग रोजगार की तलाश में तेलंगाना गए थे। वहां 333 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से उन्हें गाड़ी के ऊपर टाइल्स चढ़ाने व उतारने का काम मिला। ठेकेदार दीपक ने संजीव यादव और रामप्रवेश यादव को नौ-नौ हजार रुपये देने की बात कही थी। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया। ठेकेदार ने उन लोगों को सिर्फ भोजन दिया। मजदूरी व मानदेय नहीं दिया गया तो खाली हाथ ही घर लौटे।

मजदूरों ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली कि झारखंड सरकार की ओर से उन लोगों को वापस अपने राज्य लाने के लिए रेल सुविधा दी जा रही है। इसके बाद उन लोगों ने तेलंगाना से डाल्टनगंज तक रेल से तथा डाल्टनगंज से देवघर तथा देवघर से गोड्डा व गोड्डा से मेहरमा बस पर सवार होकर आए। बताया कि डाल्टनगंज के बाद उन लोगों को कहीं भी भोजन पानी के लिए कोई नहीं पूछा। बताया कि घर में अतिरिक्त कमरा नहीं रहने के कारण होम क्वारंटाइन पर रहना संभव नहीं है। इसलिए उन लोगों ने गांव के सरकारी भवन में ही शरण लेने का मन बनाया है।

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