मुआवजा की आस जोह रहे बाढ़ पीड़ित

प्रखंड क्षेत्र में वर्षा के थमने के बाद अब बाढ़ की विभीषिका सामने आ रही है। ध्वस्त व क्षतिग्रस्त घरों की संख्या नित्य बढ़ रही है। प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांव में ग्रामीणों के घर ध्वस्त और क्षतिग्रस्त हुए हैं। गत सप्ताह यहां आई विनाशकारी बाढ़ के कारण मिट्टी फूस व खपरैल के मकान अब रह रह कर धराशायी होते जा रहे हैं। पांचूकिता ग्राम निवासी रामानंद यादव माल मंडरो पंचायत के कुरमा संस ठाकुरगंगटी प्रखंड क्षेत्र में वर्षा के थमने के बाद अब बाढ़ की विभीषिका सामने आ रही

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 07:04 PM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 05:15 AM (IST)
मुआवजा की आस जोह रहे बाढ़ पीड़ित
मुआवजा की आस जोह रहे बाढ़ पीड़ित

संस, ठाकुरगंगटी : प्रखंड क्षेत्र में वर्षा के थमने के बाद अब बाढ़ की विभीषिका सामने आ रही है। ध्वस्त व क्षतिग्रस्त घरों की संख्या नित्य बढ़ रही है। प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांव में ग्रामीणों के घर ध्वस्त और क्षतिग्रस्त हुए हैं। गत सप्ताह यहां आई विनाशकारी बाढ़ के कारण मिट्टी, फूस व खपरैल के मकान अब रह रह कर धराशायी होते जा रहे हैं।

पांचूकिता ग्राम निवासी रामानंद यादव, माल मंडरो पंचायत के कुरमा, इंदरचक, अमरपुर पंचायत के हरिनकोल, खरखोदिया पंचायत के जदद्दूकिता, कालीकित, हरिपुर, भिखारी किता, चांदचक फुलवरिया पंचायत के फुलबड़ीया, दियरा रूंजी पंचायत के चमुवाकोल, मिश्र गंगटी पंचायत के नयाटोला, मिश्र गंगटी, धरनीचक आदि गांव में बीते तीन-चार दिनों में ग्रामीणों के घर ध्वस्त व क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसमें से कई ऐसे हैं जो बेघर हो गए हैं। और पीड़ित परिवार को अबतक मुआवजा भी नहीं मिल पाया है।

अंचलाधिकारी व प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में बारी-बारी से ध्वस्त व क्षतिग्रस्त घरों का सर्वे कराया जा रहा है। इसकी सूची और अभिलेख तैयार कर जिले को भी भेजा जा रहा है। इधर राहत और बचाव के लिए प्रशासन के अलावा जनप्रतिनिधि, पंचायत प्रतिनिधि, समाजसेवी आदि के द्वारा भी राहत सामग्री, तिरपाल आदि का वितरण जारी है। घर ध्वस्त वाले परिवारों को प्रधानमंत्री आवास का लाभ दिए जाने की मांग लगातार की जा रही है।

प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों परिवारों के समक्ष इन दिनों रोजी रोटी की समस्या गहरा गई है। मजदूर और किसान फसल के बर्बाद होने से परेशान हैं । यहां सैकड़ों एकड़ धान की फसल खराब हो चुकी है। कई एकड़ धान की फसल तो बाढ़ के पानी बह गई है।

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