सीबी एक्ट की जमीन पर पुनर्वास का उठा मामला

गोड्डा/मेहरमा : महागामा विधायक अशोक कुमार एवं गोड्डा विधायक अमित कुमार मंडल ने सीबी

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Jul 2018 01:44 AM (IST) Updated:Wed, 18 Jul 2018 01:44 AM (IST)
सीबी एक्ट की जमीन पर पुनर्वास का उठा मामला
सीबी एक्ट की जमीन पर पुनर्वास का उठा मामला

गोड्डा/मेहरमा : महागामा विधायक अशोक कुमार एवं गोड्डा विधायक अमित कुमार मंडल ने सीबी (कोल बे¨रग) एक्ट के तहत अधिग्रहित की गई भूमि पर पुनर्वास का मामला विधानसभा में उठाया। ध्यानाकर्षण के दौरान इस मामले को उठाया गया। दोनों विधायक ने कहा कि राजमहल कोल परियोजना द्वारा सीबी एक्ट के तहत भूमि का अधिग्रहण किया गया। बाद में प्रभावितों को उसी जमीन पर बसा दिया गया। इस वजह से विस्थापित परिवारों को दिए गए भूखंड का आज तक मालिकाना हक नहीं मिला है। भू विस्थापितों व भूदाताओं को संरक्षण देते हुए सीबीए एक्ट के तहत वर्ष 1981 या उसके बाद अधिग्रहण की गई भूमि का पुन: मूल्यांकन करते हुए लीज की अवधि बढ़ाकर रैयतों को मुआवजा दिलाने अथवा लीज समाप्ति के पश्चात नियमानुसार उनकी भूमि वापस कराने हेतु सदन के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है। कहा गया है कि परियोजना द्वारा वर्ष 1981 में कोयला उत्खनन कार्य हेतु सीबीए एक्ट के तहत भूमि अधिग्रहण की गई थी। रैयतों को 15 वर्ष की अवधि का फसल मुआवजा दिया गया था। लीज की अवधि वर्ष 2003 में ही समाप्त हो चुकी है। सीबी एक्ट के तहत अधिग्रहित भूमि पर विस्थापन नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोयला खनन के पश्चात जमीन का समतलीकरण कर राज्य सरकार को वापस किया जाना है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया है कि राजमहल खनन समूह द्वारा 10 जुलाई 2018 को उपलब्ध कराई गई सूचना के आधार पर राज्य प्राधिकरण के निर्देशानुसार पुनर्वासित परियोजना प्रभावित परिवारों को पट्टा निर्गत किया जा रहा है। कोयला धारक क्षेत्र अधिनियम 1957 में किसी लीज की अवधि का उल्लेख नहीं किया गया है। कहा गया कि कोयला मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अनुमोदित माइ¨नग प्लान के प्रावधानों के अंतर्गत खनन कार्य एवं खनन कार्य के उपरांत माइन क्लोजर प्लान के अंतर्गत भूमि पुनरुद्धार समतलीकरण आदि की व्यवस्था एवं अनुश्रवण किया जाता है।

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