फिर शुरू हुई अवैध खदानें

पोडैयाहाट : सुंदरपहाड़ी प्रखंड में अवैध कोयला के खनन एक बार फिर से आरंभ हो गया है। खनन विभाग और प्रशा

By Edited By: Publish:Thu, 29 Jan 2015 08:21 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jan 2015 08:21 PM (IST)
फिर शुरू हुई अवैध खदानें

पोडैयाहाट : सुंदरपहाड़ी प्रखंड में अवैध कोयला के खनन एक बार फिर से आरंभ हो गया है। खनन विभाग और प्रशासन के पास इन खदानों की भराई को लेकर मुक्कमल व्यवस्था नहीं होने के कारण कोयला के अवैध कारोबारियों को इसका लाभ मिल रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा अवैध कोयला कारोबार पर रोक लगाने संबंधी आदेश यहां हवा-हवाई साबित हो रहा है।

सुंदरपाहाड़ी पुलिस, एसएसबी जवान, खनन विभाग एवं वन विभाग ने गत 20 और 23 जनवरी को सुंदरपहाड़ी के जामुनटांड और धोनी गोड़ा में छापामारी कर दोनों स्थानों पर 19 अवैध कोयला खदानों का पता लगाया था। इन स्थानों से पुलिस व एसएसबी जवानों ने काफी संख्या में खनन का सामान, बैलगाड़ी और बड़े पैमाने पर इन खदानों से निकाला गया कोयला बरामद किया था। आनन-फानन में इन खदानों की भराई की भी कराई गई। दो दिन तक भराई का काम चला। लेकिन छोटी मशीनों के होने के कारण खनन विभाग को इसमें सफलता नहीं मिल सकी। पिछले सात दिनों से भराई का काम बंद है और न ही इन खदानों के पास सुरक्षा को कोई बंदोबस्त किया गया है। नतीजतन एक बार फिर अवैध कोयला तस्करों ने इन खदानों से उत्खनन आरंभ कर दिया है। सूत्रों की मानें तो पूर्व की भांति ही बैलगाड़ियों से कोयला ढोया जा रहा है। इन कार्यो में आसपास के ग्रामीण लगे हुए हैं।

भराई को चाहिए बड़ी मशीनें : खनन विभाग अथवा जिला प्रशासन के पास बड़ी मशीनें नहीं हैं, तो खदानों की भराई पूरी कर सकें। इन अवैध खदानों को भरने के लिए जिंदल कंपनी ने एक जेसीबी मशीन दी थी, लेकिन वह भी खराब हो गयी। ऐसे में अब बड़ी मशीनों का इंतजार है। जो यहां ईसीएल के पास होना संभव है। लेकिन दिक्कत इन बड़ी मशीनों को अवैध खदानों तक पहुंचाने की भी है।

घने जंगलं का मिलता लाभ : अवैध कोयला खदान संचालन करने वालों को सुंदरपहाड़ी की प्राकृतिक छटा मदद करती है। यह प्रखंड जंगलों से भरा हुआ है। जहां पर अवैध खदाने हैं वहां पहुंचने के लिए 30-35 किलो मीटर की लंबी दूरी पैदल ही तय करना पड़ता है। ऐसे में यहां की भौगोलिक स्थिति अवैध खदान चलाने वालों के लिए वरदान साबित हो रही है।

खनन विभाग ने खड़े किए हाथ : खनन विभाग की मानें तो उसके पास अपना कोई साधन नहीं है। इन खदानों को बंद कराने के लिए वह थाना के भरोसे है। विभाग की मानें तो इन अवैध खदानों को बंद कराने को लेकर उनके पास भी कोई मद नहीं है, ताकि उस मद की राशि से बड़ी मशीनें मंगाकर भराई किया जा सके। ऐसे में विभाग को पुलिस की मदद मिलती है तो अवैध खदानों को बंद कराने का प्रयास किया जा सकता है।

आदेश को लेकर पुलिस असमंजस में : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने साइकिल से कोयला ढोने वालों पर सख्ती करने से साफ मना कर दिया है। ऐसे में अब इन अवैध कोयला खदानों से यदि कोयला निकलता है और उसे साइकिल पर लाद कर ले जाया जाता है तो पुलिस कुछ भी नहीं कर सकती। वहीं खदानों से अवैध उत्खनन को रोकना इनके वश में भी नहीं है। इसके लिए व्यापक पैमाने पर पुलिस बल एवं मशीनों की आवश्यकता है।

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