नदी का पानी पीने को विवश हैं बाबूलाल के गांव के लोग

झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री सह जेवीएम प्रमुख बाबूलाल मरांडी के पैतृक गांव कोदाईबांक में तस्वीर जरूर बदली है लेकिन लोगों की तकदीर अभी भी वही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Mar 2019 11:17 PM (IST) Updated:Tue, 26 Mar 2019 11:17 PM (IST)
नदी का पानी पीने को विवश हैं बाबूलाल के गांव के लोग
नदी का पानी पीने को विवश हैं बाबूलाल के गांव के लोग

त्रिभुवन कुमार, तिसरी (गिरिडीह): झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री सह जेवीएम प्रमुख बाबूलाल मरांडी के पैतृक गांव कोदाईबांक में तस्वीर जरूर बदली है, लेकिन लोगों की तकदीर अभी भी वही है। झारखंड राज्य बनने के 18 साल बाद भी यहां के लोगों को शुद्ध पानी व बिजली नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण नदी का पानी पीने को विवश हैं। गांव की इस हालत के लिए ग्रामीण संबंधित विभाग की लापरवाही व लूट खसोट की वजह बता रहे हैं।

बता दें कि कोदाईबांक में अधिकांश आदिवासी जाति के लोग निवास करते है। गांव में बच्चों की शिक्षा के लिए एक स्कूल है। फसल की सिचाई के लिए मरांडी ने डैम का निर्माण करवाया था, लेकिन समुचित सिचाई व्यवस्था का यहां अभाव है। मुख्यालय से पीडब्लूडी सड़क चंदौरी-गोलगो मुख्य सड़क से जुड़ी है। गांव के बीच के टोला में बिजली आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। शेष टोले में बिजली विभाग ने पोल व तार बिछाया था, लेकिन किसी को कनेक्शन नहीं दिया गया। इस कारण लोग ढिबरी युग में जीने को विवश हैं। गांव की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है, जो आज तक ग्रामीणों को मुहैया नहीं हो सका है। गांव में तीन साल पहले 52 लाख रुपये की लागत से पीएचडी से सोलर पानी टंकी व पाइप लाइन बिछाई गई थी, लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाने से ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल सका। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कई बार मुख्यालय व पीएचडी के जेई से की। 14 वीं वित्त से सिचाई के लिए डीप बोरिग की गई व पाइप बिछाई गई पर वह असफल हो गया। स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए गरीब के घर में शौचालय बनाने में भी लूट का काम किया गया। किसी को एक भी नहीं मिला तो तो किसी के घर में दो-दो बार शौचालय बन गए। इस कारण यहां के लोग पानी व सिचाई के अभाव में लोग सिर्फ धान व मकई की खेती बरसात पर निर्भर रहते हैं। ढिबरा चुनकर व पत्थर तोड़कर यहां के लोग जीविकोपार्जन करते हैं। गांव में एक दर्जन से अधिक चापाकल खराब हैं। दो कूप पर लोग निर्भर हैं। गर्मी में एक कूप सूख जाता है।

क्या कहते हैं ग्रामीण: इलियास मरांडी ने कहा कि पानी टंकी से पानी की सप्लाई की जानी चाहिए। चापाकल का पानी पीने लायक नहीं है। विभाग व संबंधित ठेकेदार की मिलीभगत के कारण लोग पानी की किल्लत झेल रहे हैं। बड़का सोरेन ने कहा कि गांव की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है। पाइप लाइन बिछी है लेकिन पानी की सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं की गई। अनिता हेंब्रम ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को पता है कि वे लोग नदी का पानी पीते हैं। पानी के लिए एक किलोमीटर दूर जाते हैं। बिजली भी गांव में आधा से अधिक लोगों को नहीं मिली है। मनको बेसरा ने कहा कि लोगों ने उनकी पानी की समस्या नहीं देखी है।

वहीं मुखिया नंदलाल हांसदा ने कहा कि गांव में पानी की भारी समस्या है। पानी टंकी से सप्लाई किस कारण से शुरू नहीं की गई इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।

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