जीवनभर साथ रहता बचपन का संस्कार
गिरिडीह : कभी कृष्ण लीला की प्रस्तुति तो कभी कत्थक नृत्य। रविवार को बरगंडा स्थित सरस्वती विद्या मंदि
गिरिडीह : कभी कृष्ण लीला की प्रस्तुति तो कभी कत्थक नृत्य। रविवार को बरगंडा स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में ऐसा ही माहौल था। मौका था पूर्ववर्ती छात्र सम्मेलन का। इस सम्मेलन में पहुंचे पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं ने अपने पुराने साथियों से मिलकर पुरानी यादों को ताजा किया तो अपने अनुभवों का आदान-प्रदान भी किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी जमकर लुत्फ उठाया।
इसके पूर्व मुख्य वक्ता आरएसएस के प्रांत प्रचारक रवि जी ने समारोह का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं को विद्यालय से लगाव है। वह अपने बेहतर प्रदर्शन से परिवार, समाज और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। विद्यालय की प्राचीन परंपरा को हम आगे बढ़ा रहे हैं। विद्यालय में बेहतर नागरिक और विद्वान तैयार करने की नींव डाली जाती है। आज युवा पीढ़ी धन कमाने के पीछे पागल हो रही है और समाज से कटती जा रही है। नौकरी, व्यवसाय और समाज में सफल होने के लिए मन-मष्तिष्क को संतुलित करना होगा। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए गीता का ज्ञान आवश्यक है। मानवीय जीवन मूल्य के आधार पर अपना काम हमें स्वयं करना है। कहा कि परावलंबी नहीं होना है। अपने आचरण को संयमित, संतुलित एवं विवेकपूर्ण करना होगा। चरित्र निर्माण की शिक्षा अपने विद्यालयों में आचार्य देते हैं। इस विद्यालय के भैया-बहन देश के कर्णधार हैं। प्रधानाध्यापक मदन मोहन मिश्रा ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर के कलाकार सारेगामा के विजेता कंचन मौर्य भट्टाचार्य मुख्य आकर्षण रहे। उन्होंने ये तो सच है कि भगवान है.., पल-पल दिल के पास तुम रहती हो..जैसे जैसे गीतों से भरपूर मनोरंजन किया। पूर्ववर्ती छात्र धर्मवीर कुमार, अंकिता कुमारी आदि ने गीत प्रस्तुत किया। श्रुति ने कृष्णलीला पर भाव नृत्य और उमा ने गायत्री मंत्र पर एकल नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया। बिरजू महाराज के शिष्य राजीव परिहार ने कत्थक नृत्य से समारोह में चार चांद लगा दिया।
समारोह में विभाग प्रमुख गोपेश घोष, विद्यालय के संरक्षक अजय बगेड़िया, उपाध्यक्ष उदय शंकर उपाध्याय, सांवरमल शर्मा वैद्य, विभाग संघचालक अर्जुन मिष्टकार, बालेंदु शेखर, मुकेश रंजन, रामजी तिवारी, यदुपति महतो, लखन प्रसाद, धर्मवीर कुमार, रोहित राज, सौरभ कुमार आदि उपस्थित थे। मंच संचालन अंकिता कुमारी, राम गोपाल एवं सुरभि आनंद ने किया।
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परंपरा-संस्कृति से जुड़े रहने की मिलती सीख :
पूर्ववर्ती छात्रा यूको बैंक कर्मी स्वाति नारायण ने कहा कि इस विद्यालय से मिली शिक्षा और संस्कार उच्च कोटि की है। यही वजह है कि आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं। यहां आचार्यो द्वारा दिए गए संस्कार सदैव प्रेरणा देते रहेंगे। यहां अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़े रहने की सीख मिलती है। एकाउंटेंट ¨प्रस कुमार ने कहा कि इस तरह के समारोह में विद्यालय के पुराने दिनों की याद ताजा हो जाती है। यहां के आचार्य सही दिशा-निर्देश देते हैं। यहां से प्राप्त संस्कार की चर्चा वह हमेशा अपने साथियों के बीच करते हैं। व्यवसायी संदीप डंगायच ने कहा कि विद्यालय में संस्कार और शिक्षा मिलता है। भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा बच्चों के जीवन में एक गहरा छाप छोड़ देती है।