पीपीई किट के इंतजार में 30 घंटे घर में पड़ा रहा शव

संसू भंडरिया (गढ़वा) एक ही परिवार में 24 घंटे के भीतर चाचा-भतीजा की मौत से भंडरिया में 30 घंटे शव पड़ा रहा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 May 2021 06:17 PM (IST) Updated:Thu, 20 May 2021 06:17 PM (IST)
पीपीई किट के इंतजार में 30 घंटे घर में पड़ा रहा शव
पीपीई किट के इंतजार में 30 घंटे घर में पड़ा रहा शव

संसू, भंडरिया (गढ़वा) : एक ही परिवार में 24 घंटे के भीतर चाचा-भतीजा की मौत से भंडरिया गांव में जहां लोग सहमे हुए हैं, वहीं संक्रमण के भय से स्वजन व ग्रामीणों ने एक शव के अंतिम संस्कार से दूर बनाए रखा। स्थानीय अस्पताल ने पीपीई किट देने से इन्कार दिया। जब गढ़वा सदर अस्पताल से पीपीई किट उपलब्ध हुआ तो तीस घंटे के बाद शव का अंतिम संस्कार हुआ।

हुआ यह कि मंगलवार को 42 साल के दरोगा सिंह की मौत हो गई। उनके अंतिम संस्कार के बाद घर में मातम पसरा था। इसी बीच बुधवार को उनके चाचा बंधु सिंह की भी मौत हो गई। घर में वृद्ध बंधु सिंह और उनकी पत्नी ही रहते थे। कोई संतान नहीं है। रिश्तेदार भी बीमार चल रहे हैं। सूचना के बावजूद कोरोना संक्रमण के भय से अंतिम संस्कार के लिए कोई सामने नहीं आया। अकेली वृद्ध महिला शव का देखभाल करती रही। इस बीच सांसद के प्रतिनिधि रूप निरंजन सिन्हा ने डाक्टर से बातकर पीपीई किट की मांग की, लेकिन डा. विजय रजक ने सीएचसी में उपलब्ध नहीं होने की बात कही। स्थानीय लोगों ने भी सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. विजय किशोर रजक को सूचना दी। उन्होंने भी दो टूक कह दिया कि पीपीई किट नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि आपदा के काल में अस्पताल से जुड़े लोगों के परिवार वालों की मौत पर दर्जनों पीपीई किट तत्काल उपलब्ध हो जा रहे हैं, लेकिन गरीब की मौत पर पीपीई किट नहीं मिल रहा। इसके बाद गढ़वा के समाजसेवी विवेक तिवारी ने सदर अस्पताल से किसी तरह पीपीई किट, मास्क आदि की व्यवस्था कराई। इसके बाद आरएसएस के जिला कार्यवाह नितेश कुमार, समाजसेवी सतीश सिन्हा, देवानंद कुमार व संजय केशरी ने पहल की। अंतिम संस्कार के लिए लोगों को तैयार कराया। फिर गुरुवार को शव का अंतिम संस्कार हुआ। इसमें कार्य में गऊंवा विशेश्वर मांझी, बावन सिंह, विजय सिंह, सूर्यदेव सिंह ने अहम भूमिका निभाई।

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हर दूसरे घर में सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ित हैं लोग

मालूम हो कि प्रखंड मुख्यालय भंडरिया स्थित भीतर भंडरिया एवं जोगियामठ टोले में कोरोना से घर-घर लोग बीमार चल रहे हैं। हर दूसरे घर में सर्दी, खांसी व बुखार के मरीज हैं। मरीजों की मानें तो अस्पताल में जाने पर कोई ध्यान नहीं देता। कुछ लोग कोरोना जांच करा भी लेते हैं तो रिपोर्ट दस दिन बाद मिलती है। तब तक मरीजों को कोई दवा नहीं मिलती है। ऐसी स्थिति में बीमारी बढ़ जाती है। ग्रामीणों की मानें तो झोलाछाप डाक्टर के हाथों इलाज कराने को मजबूर हैं।

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कोट --

हमें जिला से गिनती कर ही पीपीई किट मुहैया कराए जाते हैं। प्रखंड में सीएसची के अलावा तीन अन्य सेंटरों पर कोरोना की जांच की जा रही है। ऐसे में पीपीई किट की हमें ही किल्लत है।

- डा. विजय रजक, प्रभारी, सीएचसी भंडरिया।

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