मारवाड़ी समाज में सौ साल से खिल रहे सुशिक्षित समाज के फूल

दुमका मारवाड़ी समाज में आज दोहरी खुशी है। एक माध्यमिक बालिका विद्यालय का 100 साल पूरा हुआ है। दूसरा मारवाड़ी बालिका उवि का 50 साल हो गया। एक स्वर्णिम इतिहास लिखने में मारवाड़ी समाज के बुजुर्गो ने जो सपना देखा आज उसकी हसरत पूरी हो रही है। आज उन परिवारों की वर्तमान पीढ़ी बुजुर्गो की इस विरासत को संभालकर आनेवाली पीढ़ी को सशक्त राह दिखा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Jul 2019 05:49 PM (IST) Updated:Sat, 20 Jul 2019 05:49 PM (IST)
मारवाड़ी समाज में सौ साल से खिल रहे सुशिक्षित समाज के फूल
मारवाड़ी समाज में सौ साल से खिल रहे सुशिक्षित समाज के फूल

दुमका : मारवाड़ी समाज में आज दोहरी खुशी है। एक माध्यमिक बालिका विद्यालय का 100 साल पूरा हुआ है। दूसरा मारवाड़ी बालिका उवि का 50 साल हो गया। एक स्वर्णिम इतिहास लिखने में मारवाड़ी समाज के बुजुर्गो ने जो सपना देखा आज उसकी हसरत पूरी हो रही है। आज उन परिवारों की वर्तमान पीढ़ी बुजुर्गो की इस विरासत को संभालकर आनेवाली पीढ़ी को सशक्त राह दिखा रही है। सामाजिक सरोकार में हर कदम पर साथ चलनेवाला मारवाड़ी समाज ने सिदो-कान्हू की धरती पर बालिका शिक्षा की ऐसी ज्योति जलाया कि आज वह अखंड ज्योति बनकर अपने शताब्दी वर्ष का जश्न मना रहा है। 1918 में मारवाड़ी बालिका मध्यविद्यालय की नींव रखी गई। कहते हैं कि एक बालिका शिक्षित हो जाए तो पूरा परिवार शिक्षित हो जाता है। इसी सोच के साथ हिम्मतसिंहका परिवार ने भूखंड दिया। उस जमीन पर समाज के लोगों ने शिक्षा का महल बनाना शुरू किया। तब यह सोचा भी नहीं गया कि वह कालांतर में 850 बच्चियों को शिक्षा देने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। इतना ही नहीं मध्यविद्यालय की स्थापना के 50 साल बाद उच्च विद्यालय की स्थापना की गई। शहर की घनी आबादी के बीच स्थापित स्कूल का शताब्दी वर्ष समारोह अग्रसेन भवन में रविवार को होगा।

मुफ्त शिक्षा से तैयार हो रही भावी पीढ़ी

माध्यमिक स्कूल में बच्चियों का नामांकन एवं अध्ययन मुफ्त है। सरकार से सहायता प्राप्त है, जिस कारण केवल शिक्षकों का वेतन सरकार देती है। दूसरी तरफ हाईस्कूल को सरकार से समय-समय पर अनुदान मिलता है। इसलिए उवि में नामांकन लेनेवाली बच्चियों से मामूली रकम विकास मद में ली जाती है। वह भी एक दफा। बाकि निर्धन छात्राओं को स्कूल प्रबंधन की ओर से मुफ्त में किताब भी दी जाती है। कह सकते हैं कि सामाजिक क्षेत्रों में ऐसी बच्ची जिसका कहीं नामांकन नहीं होता या वह मजबूर हैं, उसे यहां पनाह दी जाती है। और तालिम देकर उसे समाज के मुख्यधारा से जोड़ दिया जाता है।

आंतरिक स्त्रोत से होता प्रबंध

मारवाड़ी बालिका मध्य व उवि की दो अलग-अलग प्रबंध समिति है। जो समय-समय पर जरूरत के हिसाब से स्कूल के विकास मद के लिए समाज के लोगों से आíथक सहयोग लेकर शिक्षा की ज्योति को नहीं बुझने देने के लिए घी डालती रहती है। भगवान दास हिम्मतसिंहका, गौरीशंकर मेहारिया, राजकुमारी हिम्मतसिंहका, राजकुमार हिम्मतसिंहका, गोवर्धन मोदी, परमेश्वर लाल अग्रवाल, राधाकृष्ण ड्रोलिया जैसे लोगों ने अध्यक्ष व सचिव का पद संभालते हुए बिहार, बंगाल समेत अन्य प्रांत के लोगों को जोड़ा। यह बताया कि समाज एक नेक कार्य में आगे बढ़ रहा है। समाज की संजीदगी देखकर सरकार आगे आई और अनुदान देना शुरू किया। हालांकि अभी बहुत कुछ होना बाकी है। मिडिल स्कूल प्रबंध समिति के वर्तमान अध्यक्ष संतोष भलोटिया एवं सचिव ललित अग्रवाल हैं।

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स्कूल की स्थापना के 100 साल हो गए हैं। समाज के पुरोधाओं ने जो बालिका शिक्षा का जो सपना देखा उसे समाज की वर्तमान पीढ़ी आगे लेकर चल रही है। सौ साल के उपलक्ष्य में यह संकल्प लेते हैं कि प्रबंध समिति को इतनी सशक्त बनाएंगे कि हाईस्कूल की बच्चियों से भी नामांकन शुल्क नहीं लेंगे।

राजेंद्र कुमार मेहारिया, अध्यक्ष हाईस्कूल प्रबंध समिति।

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यह सुनकर आज मन प्रफूलित हो रहा है कि सौ साल पहले लगी शिक्षा की बगिया आज इतनी खुशबू दे रही है कि आठ सौ से अधिक बच्चे तालिम ले रहे हैं। यह प्रयास अनवरत जारी रहेगा।

पवन भालोटिया

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शताब्दी वर्ष पर आकर्षक कार्यक्रम हो रहा है। स्कूल की बच्चियों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, संताली नृत्य की प्रस्तुति की जाएगी। एक विशेष लगाव है क्योंकि माताजी बगैर पगार के शिक्षिका रही। पिताजी सचिव व अध्यक्ष पद पर रहे। अब पूरा समाज जुटा है।

रंजीत कुमार मोदी (बबलू)

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स्थापना काल से समाज ने पूरी शिद्दत के साथ इसमें अपना योगदान दिया। आज भी उसी निष्ठा के साथ पूरा समाज जुटा है। पीढ़ी दर पीढ़ी शिक्षा की यह अलख जलती रहे। यह कोशिश बनी रहेगी।

संतोष भलोटिया, अध्यक्ष, मिडिल स्कूल प्रबंध समिति।

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