थानेदार के हत्यारों को आजीवन कारावास

दुमका : शिकारीपाड़ा के थानेदार शमशाद अंसारी समेत तीन जवान की जान लेने वाले दो नक्सली मनोज देहरी व मंग

By Edited By: Publish:Sat, 30 Jul 2016 01:04 AM (IST) Updated:Sat, 30 Jul 2016 01:04 AM (IST)
थानेदार के हत्यारों को आजीवन कारावास

दुमका : शिकारीपाड़ा के थानेदार शमशाद अंसारी समेत तीन जवान की जान लेने वाले दो नक्सली मनोज देहरी व मंगला देहरी को शुक्रवार को अदालत ने सश्रम आजीवन कारावास और 50 हजार रुपया जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना नहीं अदा करने पर दोनों को छह माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। गुरुवार को अदालत ने दोनों को हत्या का दोषी करार दिया था। इस घटना में एक ग्रामीण और एक नक्सली भी मारा गया था।

शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे दोनों अभियुक्तों को पुलिस की कड़ी सुरक्षा में चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र नाथ मिश्रा की अदालत में पेश किया गया। सरकारी वकील अजय साह की दलील और सबूत के आधार अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई। न्यायालय में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता केएन गोस्वामी, प्रदीप कुमार ¨सह और मनोज कुमार मौजूद थे। सजा के बाद पुलिस दोनों को केंद्रीय जेल ले गई। सजा के बाद कोर्ट से बाहर निकले मंगला देहरी ने कहा कि इस कांड में उसे साजिश के तहत फंसाया गया है। हालांकि मनोज देहरी के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी।

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फ्लैश बैक-

26 अप्रैल 2008 को थानेदार शमशाद अंसारी को सूचना मिली कि कुछ नक्सली पोखरिया पहाड़ी टोला में मंगला देहरी के घर शरण लिए हुए हैं। थानेदार ने जवानों के साथ घर को घेर लिया। अपने को पुलिस से घिरा देखकर नक्सलियों ने फाय¨रग शुरू कर दी। तीन घंटे तक चली फाय¨रग में थानेदार के साथ दो जवान नाजिर अंसारी व रामदयाल पासवान शहीद हो गए। गोलीबारी में एक ग्रामीण कालू देहरी व नक्सली सबेस्टियन की भी मौत हो गई। सहायक अवर निरीक्षक के बयान पर मंगला देहरी, मनोज देहरी व छोटा चंदन देहरी समेत 15 नक्सलियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। केवल इन्हीं तीन आरोपियों को पुलिस गिरफ्तारी कर पायी थी। आठ साल बाद अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए चंदन देहरी को सबूत के अभाव में रिहा कर दिया, जबकि अन्य दोनों आरोपियों को हत्या व 17 सीएलए एक्ट के तहत दोषी पाया।

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