नहाने-धोने को भी नहीं था पानी, चार साल में अकेले खोद दी तालाब

श्रवण कुमार मैथन निरसा प्रखंड के रंगामाटी पंचायत अंतर्गत महरायडीह गांव में एक समय पीने

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 06:58 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 06:58 AM (IST)
नहाने-धोने को भी नहीं था पानी, चार साल में अकेले खोद दी तालाब
नहाने-धोने को भी नहीं था पानी, चार साल में अकेले खोद दी तालाब

श्रवण कुमार, मैथन :

निरसा प्रखंड के रंगामाटी पंचायत अंतर्गत महरायडीह गांव में एक समय पीने की तो छोड़िये, नहाने व धोने के लिए के भी पानी को तरसना पड़ता था। लोग पानी के लिए भटकते रहते थे। लोगों का यह दर्द उसी गांव के भोलानाथ सिंह को देखा नहीं गया। खुद ही हाथों में उठा ली कुदाल व भिड़ गए तालाब खोदने में।

60 वर्षीय भोलानाथ सिंह ने 50 फीट लंबा, 30 फीट चौड़ा तालाब का निर्माण कर दिया। इस तालाब को खोदने में उनको 4 साल 3 महीने लग गए। हालांकि मेहनत का फल दिखा और उस तालाब के पानी से गांव के 20 घरों की पानी की समस्या हमेशा के लिए दूर हो गई। उनपर जल संरक्षण का उन पर ऐसा जुनून सवार है कि गांव के किनारे अपने खेत में सौ फीट लंबा व सौ फीट चौड़ा तालाब का निर्माण अपने बल पर कर रहे हैं। तालाब के निर्माण के लिए पांच फीट से ज्यादा गड्ढा खोद भी चुके हैं। पूरे गांव के लोग उनके जल संरक्षण के जुनून को सलाम करते हैं।

ग्रामीणों का मानना है कि उनके द्वारा निर्मित तालाब के कारण ही गांव के लोगों को नहाने-धोने के लिए दो किलोमीटर दूर स्थित तालाब व जोड़िया नहीं जाना पड़ता। इनके द्वारा निर्मित तालाब के पानी से ही गांव के ज्यादातर लोगों के घर का निर्माण हो पाया है।

भोलानाथ सिंह ने कहा कि दो दशक पहले गांव के लोग दो से तीन किलोमीटर दूर जाकर स्नान करते थे। ढोकर पीने के लिए पानी लाते थे। इस समस्या को दूर करने की उन्होंने ठान ली। उनके अंदर एक जुनून सवार हो गया। वर्ष 1994 में उन्होंने अपनी जमीन पर तालाब खोलने का निश्चय कर लिया। तालाब का निर्माण करने में 4 साल 3 महीने लग गए। अभी कितनी भी गर्मी हो, तालाब का पानी कभी नहीं सूखता। 15 साल बाद सरकार द्वारा उनके गांव में चापाकल लगवाया गया। उसके बाद लोग चापाकल के पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करने लगे। उन्होंने अपने खेत में सौ फीट लंबा व चौड़ा तालाब का निर्माण स्वयं से करना शुरू किया है। मेरी इच्छा है कि इस तालाब का निर्माण अपने जीते जी पूर्ण कर सकूं। प्रतिदिन 2 से 6 घंटे तालाब निर्माण के लिए समय देता हूं। अब मेरी उम्र हो चुकी है। बावजूद चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा तालाब का निर्माण हो ताकि जल संरक्षण हो सके।

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