आग एवं भू-धंसान प्रभावितों का दिल जितने में जेआरडीए विफल, बैंरग लौटे डीसी-एसएसपी Dhanbad News
उपायुक्त ने बस्ती के लोगों से कहा कि भ्रम में नहीं रहें। प्रशासन आपकी मदद करने यहां आया है। अगर आप सर्वे कराने में मदद करेंगे तो आपकी सही रिपोर्ट हम सरकार को देंगे।
बरोरा, जेएनएन। रैयती जमीन काट ली गई, विरोध में अपनी जमीन पर धरना दिया तो बीसीसीएल प्रबंधन के इशारे पर पुलिस जबरन थाना ले गई। बरोरा बस्ती नहीं, पहले हमारे साथ न्याय करिए सर। इस तरह की कई फरियाद बुधवार को डीसी अमीत कुमार तथा एसएसपी किशोर कौशल के समक्ष ग्रामीणों ने लगाई। दोनों अधिकारी पूरी टीम के साथ जरेडा से सर्वे कार्य शुरू कराने बरोरा बस्ती पहुंचे थे। यहां ग्रामीणों ने डीसी के समक्ष बीसीसीएल पर जमकर भड़ास निकाली। चिलचिलाती धूप में घंटों ग्रामीणों के साथ बैठक करने के बाद भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
उपायुक्त ने बस्ती के लोगों से कहा कि भ्रम में नहीं रहें। प्रशासन आपकी मदद करने यहां आया है। अगर आप सर्वे कराने में मदद करेंगे तो आपकी सही रिपोर्ट हम सरकार को देंगे और इससे आपको लाभ होगा। अगर मजबूरन पुरानी रिपोर्ट सरकार को भेजनी पड़ी तो आपको नुकसान होगा। हम चाहते है कि आप अपना पक्ष जरेडा सर्वे के माध्यम से सरकार तक पहुंचाएं। सरकार उचित कदम उठाएगी। डीसी ने कहा कि बीसीसीएल और ग्रामीणों के बीच जो विवाद है उसकी समीक्षा की जाएगी। इसमें बीसीसीएल के आला अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों से बार-बार सर्वे कराने की अपील की। लेकिन, ग्रामीण अपनी बात पर अड़े रहे। अंत में ग्रामीणों ने आपस में बैठक कर अपना निर्णय देने के लिए एक दिन का समय लिया। इस बीच एसएसपी किशोर कौशल ने भी ग्रामीणों को समझने का काफी प्रयास किया। यहां से सभी अधिकारी बाघमारा प्रखंड के बहियारडीह पंचायत सचिवालय पहुंचे। ग्रामीणों के साथ बैठक कर सर्वे कराने के लिए ग्रामीणों को सहमत कराने का प्रयास किया गया। लेकिन ग्रामीण नहीं माने। ग्रामीणों को समझाने की बहुत कोशिश हुई, लेकिन वे अपने जिद पर अड़े रहे।
बैठक में डीडीसी शशि रंजन, एडीएम राकेश कुमार दुबे, बीडीओ रिंकू कुमारी, प्रमुख मिनाक्षी रानी गुडिया, मुखिया गिरिजा देवी, डीएसपी मनोज कुमार, बरोरा जीएम चित्तरंजन कुमार, थाना प्रभारी विनोद शर्मा सहित बरोरा व सोनारडीह पुलिस अधिकारी मौजूद थे।
ग्रामीणों ने सौंपा मांगपत्र :ग्रामीणों ने जरेडा सर्वे के विरोध मे उपायुक्त को पांच सूत्री मांगपत्र सौंपा। कहा कि मांगें पूरी होने पर वह सर्वे करा लेंगे। ग्रामीण ब्लॉक दो क्षेत्र के बेनीडीह जयरामडीह के विस्थापितों को जिस नियमों के तहत विस्थापित किया गया है उसी नियम के तहत बरोरा को विस्थापित करने, पूरे गांव को एक साथ नजदीक में बसाया जाए तथा जमीन दिखाई जाए। पूर्व में अधिग्रहित जमीन का शीघ्र मुआवजा दिया जाए। रैयतों पर बीसीसीएल द्वारा किए गए झूठे मुकदमे वापस हो तथा जिन रैयतों की जमीन आश्वासन देकर ली गई है, उन्हें नियोजन व मुआवजा दिया जाए। महिलाओं ने खोली स्थानीय प्रशासन व बीसीसीएल प्रबंधन की पोल बरोरा बस्ती की बिलीया देवी ने उपायुक्त के समक्ष स्थानीय प्रशासन की पोल खोलकर रख दी। बिलीया अपनी व्यथा बताते हुए रो पड़ीं। कहा कि सरकार ने हमारी जमीन ले ली, लेकिन नौकरी और मुआवजा नहीं दिया, भूखे मर रहे हैं। पति बीमार है। इस उम्र में काम भी नहीं कर सकते। वृद्धा पेंशन भी नहीं मिलता हैं । सरकारी राशन मिलता था वह भी दुकानदार ने बंद कर दिया है। हमें भूखों मरने से बचाइये सर। वृद्धा की व्यथा सुनकर उपायुक्त अमीत कुमार ने बीडीओ रिंकू कुमारी को महिला की समस्या दूर करने का आदेश किया। रिंकू ने वृद्धा का नाम पता दर्ज कर पेंशन तथा राशन की व्यवस्था करने की बात कही। इसी प्रकार गांव की आशा देवी ने कहा कि सर बीसीसीएल ने हमारी जमीन व रास्ता कोड़ दिया है। इससे तालाब कुंआ चापाकल सभी सूख गया है। मुआवजा की मांग करते हैं तो पति के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजने की धमकी दी जाती है। पुलिस प्रशासन ग्रामीणों की नहीं सुनता है। हमारी शिकायत पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती। एचएन गांधी, देवानंद साव, बासुदेव साव, प्रदीप रवानी, विजय रवानी, संतोष गोराई, संतोष महतो, ¨पकी देवी ने भी अपनी समस्या रखी।
उपायुक्त ने बस्ती के लोगों से कहा कि भ्रम में नहीं रहें। प्रशासन आपकी मदद करने यहां आया है। अगर आप सर्वे कराने में मदद करेंगे तो आपकी सही रिपोर्ट हम सरकार को देंगे और इससे आपको लाभ होगा। अगर मजबूरन पुरानी रिपोर्ट सरकार को भेजनी पड़ी तो आपको नुकसान होगा। हम चाहते है कि आप अपना पक्ष जरेडा सर्वे के माध्यम से सरकार तक पहुंचाएं। सरकार उचित कदम उठाएगी। डीसी ने कहा कि बीसीसीएल और ग्रामीणों के बीच जो विवाद है उसकी समीक्षा की जाएगी। इसमें बीसीसीएल के आला अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों से बार-बार सर्वे कराने की अपील की। लेकिन, ग्रामीण अपनी बात पर अड़े रहे। अंत में ग्रामीणों ने आपस में बैठक कर अपना निर्णय देने के लिए एक दिन का समय लिया। इस बीच एसएसपी किशोर कौशल ने भी ग्रामीणों को समझने का काफी प्रयास किया। यहां से सभी अधिकारी बाघमारा प्रखंड के बहियारडीह पंचायत सचिवालय पहुंचे। ग्रामीणों के साथ बैठक कर सर्वे कराने के लिए ग्रामीणों को सहमत कराने का प्रयास किया गया। लेकिन ग्रामीण नहीं माने। ग्रामीणों को समझाने की बहुत कोशिश हुई, लेकिन वे अपने जिद पर अड़े रहे।
बैठक में डीडीसी शशि रंजन, एडीएम राकेश कुमार दुबे, बीडीओ रिंकू कुमारी, प्रमुख मिनाक्षी रानी गुडिया, मुखिया गिरिजा देवी, डीएसपी मनोज कुमार, बरोरा जीएम चित्तरंजन कुमार, थाना प्रभारी विनोद शर्मा सहित बरोरा व सोनारडीह पुलिस अधिकारी मौजूद थे।
ग्रामीणों ने सौंपा मांगपत्र :ग्रामीणों ने जरेडा सर्वे के विरोध मे उपायुक्त को पांच सूत्री मांगपत्र सौंपा। कहा कि मांगें पूरी होने पर वह सर्वे करा लेंगे। ग्रामीण ब्लॉक दो क्षेत्र के बेनीडीह जयरामडीह के विस्थापितों को जिस नियमों के तहत विस्थापित किया गया है उसी नियम के तहत बरोरा को विस्थापित करने, पूरे गांव को एक साथ नजदीक में बसाया जाए तथा जमीन दिखाई जाए। पूर्व में अधिग्रहित जमीन का शीघ्र मुआवजा दिया जाए। रैयतों पर बीसीसीएल द्वारा किए गए झूठे मुकदमे वापस हो तथा जिन रैयतों की जमीन आश्वासन देकर ली गई है, उन्हें नियोजन व मुआवजा दिया जाए। महिलाओं ने खोली स्थानीय प्रशासन व बीसीसीएल प्रबंधन की पोल बरोरा बस्ती की बिलीया देवी ने उपायुक्त के समक्ष स्थानीय प्रशासन की पोल खोलकर रख दी। बिलीया अपनी व्यथा बताते हुए रो पड़ीं। कहा कि सरकार ने हमारी जमीन ले ली, लेकिन नौकरी और मुआवजा नहीं दिया, भूखे मर रहे हैं। पति बीमार है। इस उम्र में काम भी नहीं कर सकते। वृद्धा पेंशन भी नहीं मिलता हैं । सरकारी राशन मिलता था वह भी दुकानदार ने बंद कर दिया है। हमें भूखों मरने से बचाइये सर। वृद्धा की व्यथा सुनकर उपायुक्त अमीत कुमार ने बीडीओ रिंकू कुमारी को महिला की समस्या दूर करने का आदेश किया। रिंकू ने वृद्धा का नाम पता दर्ज कर पेंशन तथा राशन की व्यवस्था करने की बात कही। इसी प्रकार गांव की आशा देवी ने कहा कि सर बीसीसीएल ने हमारी जमीन व रास्ता कोड़ दिया है। इससे तालाब कुंआ चापाकल सभी सूख गया है। मुआवजा की मांग करते हैं तो पति के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजने की धमकी दी जाती है। पुलिस प्रशासन ग्रामीणों की नहीं सुनता है। हमारी शिकायत पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती। एचएन गांधी, देवानंद साव, बासुदेव साव, प्रदीप रवानी, विजय रवानी, संतोष गोराई, संतोष महतो, ¨पकी देवी ने भी अपनी समस्या रखी।