आइएसएम के सामने जहां बिरयानी खाते हैं आप, फुटपाथ दुकानदारों को मिली थीं वह दुकानें, पर 30 लाख में बेच दी

आइआइटी आइएसएम के मुख्य गेट से दूसरे छोर के बंद गेट तक और इसके सामने की दुकानों का कोई मालिक नहीं है। ये दुकानें फुटपाथ दुकानदारों को आवंटित की गई थीं लेकिन इन दुकानदारों ने इन दुकानों को या तो बेच दिया या फिर किराए पर दे रखा है।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Publish:Sat, 06 Aug 2022 06:30 AM (IST) Updated:Sat, 06 Aug 2022 06:30 AM (IST)
आइएसएम के सामने जहां बिरयानी खाते हैं आप, फुटपाथ दुकानदारों को मिली थीं वह दुकानें, पर 30 लाख में बेच दी
दुकानें तो अपने नियत स्थल पर हैं, लेकिन इनके मालिकों का कोई अता-पता नहीं है।

धनबाद [आशीष सिंह]: आइआइटी आइएसएम के मुख्य गेट से दूसरे छोर के बंद गेट तक और इसके सामने की दुकानों का कोई मालिक नहीं है। ये दुकानें फुटपाथ दुकानदारों को आवंटित की गई थीं, लेकिन इन दुकानदारों ने इन दुकानों को या तो बेच दिया या फिर किराए पर दे रखा है। नगर निगम की जांच में यह मामला उजागर हुआ है। हर दिन देर रात तक इन दुकानों में बिरयानी और अन्‍य लजीज व्‍यंजनों का स्‍वाद चखने के लिए सैकड़ों लोग पहुंचते हैं।

एक दिन पहले ही नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार के निर्देश पर यहां की 100 दुकानों की जांच में पता चला कि इनमें से मात्र 10 दुकानों के मालिक के तौर पर फुटपाथ दुकानदार सामने आए। शेष 90 दुकानों का कोई मालिक नहीं मिला। नगर निगम को इन दुकानों की सूची एसडीओ कार्यालय ने उपलब्ध कराई थी। इसके बाद निगम ने इसकी जांच करने का फैसला किया। जियो टैगिंग में यह तो पता चल गया कि दुकानें तो अपने नियत स्थल पर हैं, लेकिन इनके मालिकों का कोई अता-पता नहीं है।

जिनसे किराया वसूल रहे, उनसे तीन लाख रुपये तक पगड़ी ली

नगर निगम की टीम के अनुसार, चौंकाने वाले बात यह है कि ज्यादातर दुकानें 20 से 30 लाख रुपये में बेच दी गई हैं। कुछ दुकानें तीन से पांच हजार रुपये किराए पर दी गई हैं। इनमें से कईयों से तो दो से तीन लाख रुपये की पगड़ी (एडवांस) भी ली गई है। जांच टीम का नेतृत्व सिटी मैनेजर मीणा मिंज, सिटी मिशन मैनेजर चंद्रशेखर सिंह ने किया था।

पिछले कई वर्षों से ट्रेजरी में जमा नहीं दुकानों का किराया

लगभग एक दशक पहले इन दुकानों का आवंटन तत्कालीन एसडीओ ने फुटपाथ दुकानदारों को किया था। कुछ समय तो सब ठीक चला। इसके बाद एक-एक कर इन दुकानों को बेचने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इन दुकानों का मालिकाना हक किसी एक के पास नहीं रहा। जिसे जो दाम मिलता गया, दुकानें बिकती गईं। नगर निगम की टीम को पता चला है कि सिर्फ 10 दुकानों का मालिकाना हक 10 फुटपाथ दुकानदारों के पास है। शेष दुकानें बेचकर या किराए पर चलाकर फुटपाथ पर दुकानदारी कर रहे हैं। दुकानों का किराया तो ले ही रहे हैं, इसके साथ ही फुटपाथ भी कब्जा कर रखा है। हैरानी की बात यह है कि पिछले कई वर्षों से इन दुकानों का किराया ट्रेजरी में जमा ही नहीं हुआ है। यह किराया भी मात्र 20 से 50 रुपये प्रतिमाह है, जबकि मौजूदा समय में यहां दुकानदारी कर रहे लोग तीन से पांच हजार रुपये प्रतिमाह किराया दे रहे हैं।

कुछ माह पहले 40 लावारिस गुमटी और दुकानों को भी निगम ने किया था ध्वस्त

लगभग पांच माह पहले नगर निगम ने पुलिस लाइन से लेकर पीके राय मेमोरियल कालेज तक अवैध तरीके से सड़क पर निर्मित गुमटियों और दुकानों को ध्वस्त किया था। नगर निगम की टीम ने इस रोड पर 130 दुकानों का सर्वे भी किया था। इसमें पाया गया कि 40 दुकानें लावारिस हैं। सर्वे के दौरान इनका मालिकाना हक जताने कोई नहीं पहुंचा। सिर्फ सड़क अतिक्रमण कर जगह घेरने का प्रयास किया गया है। इनमें से कई दुकानें तो ऐसी भी हैं, जिन्हें डेढ़ से दो हजार रुपये किराए पर दे दिया गया है। इनके वास्तविक मालिकों को जिला परिषद में दुकानें आवंटित हैं। इन लोगों ने आइआइटी आइएसएम के सामने जिला परिषद की बनी दुकानों में भी आवंटन ले रखा है और सड़क पर भी अतिक्रमण कर दुकानदारी कर रहे हैं।

नगर आयुक्‍त बोले- सब पर होगी कार्रवाई

इस संबंध में नगर आयुक्‍त सत्‍येंद्र कुमार ने कहा कि जांच में कई चीजें निकलकर आई हैं। 100 में से 90 दुकानों पर मालिकाना हक जताने कोई सामने नहीं आया। अधिकतर दुकानदार किराए पर चढ़ाकर या फिर बेचकर दोबारा फुटपाथ पर कब्जा कर दुकानदारी कर रहे हैं। इन सभी पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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