Durga Puja 2020: अष्टमी और नवमी की संधि बेला में माता को प्रसन्न करने के लिए दी गई बलि
पौराणिक परंपरा के अनुसार इस दुर्गा पूजा में बलि देने की प्रथा है। ऋषिकेश मिथिला व बंगला पंचांग के अनुसार शनिवार को 1127 से महानवमी शुरू हो गई। महानवमी पर दो तरह से बलि देने की प्रथा है।
धनबाद, जेएनएन। नवरात्र के सातवें, आठवें और नौवें दिन बलि की परंपरा है। देश, काल और स्थान के अनुसार बलि देने की परंपरा और विधि है। भतुआ, गन्ना, नारियल की प्रतीकात्मक बलि के साथ ही पाठा आदि की भी बलि दी जाती है। महाअष्टमी के माैके पर शनिवार को धनबाद में कई पूजा मंडपों में विशेष पूजा की गई। इसके बाद बलि दी गई।
पौराणिक परंपरा के अनुसार इस दुर्गा पूजा में बलि देने की प्रथा है। ऋषिकेश, मिथिला व बंगला पंचांग के अनुसार शनिवार को 11:27 से महानवमी शुरू हो गई। महानवमी पर दो तरह से बलि देने की प्रथा है। वैष्णवी माता के आराधक कुम्हड़े, गन्ना, नारियल आदि की बलि देते हैं। वहीं तामसी दुर्गा के आराधक माता दुर्गा को पशु बलि देते हैं। अपने अंदर की बुराई और दुराचार को समाप्त करने के लिए बलि दी जाती है। बरमसिया दुर्गा मंडप आयोजक समिति के सदस्य मदन महतो ने कहा कि यहां 49 साल से देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है। पूर्वजों ने यहां बलि प्रथा शुरू की थी। अब यहां पाठा बलि के जगह कुम्हड़े की बलि दी जाती है। शनिवार को कुम्हड़े की बलि दी गई। इस माैके पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
महतो ने बताया कि बलि देने से पहले इस बार माता से विशेष प्रार्थना की गई। भारत समेत पूरी दुनिया को कोरोना से मुक्ति का वरदान मांगा गया।