Nishikant Dubey: देवघर में जमीन खरीद प्रकरण में गोड्डा सांसद ने किया पलटवार, कहा-मुकदमे के लिए कुछ और धाराएं खोज लेते

Nishikant Dubey निशिकांत दुबे ने कहा कि झारखंड में अभी तक बेनामी संपत्ति के लिए राजनेताओं पर मुकदमे होते रहे हैं। पहली बार नामी संपत्ति के लिए प्राथमिकी दर्ज की जा रही है।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 14 Jul 2020 10:16 AM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 10:16 AM (IST)
Nishikant Dubey: देवघर में जमीन खरीद प्रकरण में गोड्डा सांसद ने किया पलटवार, कहा-मुकदमे के लिए कुछ और धाराएं खोज लेते
Nishikant Dubey: देवघर में जमीन खरीद प्रकरण में गोड्डा सांसद ने किया पलटवार, कहा-मुकदमे के लिए कुछ और धाराएं खोज लेते

धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। हेमंत सरकार के खिलाफ राजनीतिक मोर्चा खोल चुके गोड्डा के भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दुबे पर चार सौ बीसी का मुकदमा हुआ है। इस पर उन्होंने कहा, केस कराने वाले का अभिनंदन। लड़ाई चालू हो चुकी है। कानून जहां और जैसे चाहेगा, जांच में सहयोग करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मुकदमे में ऐसी धाराएं लगायी गई हैं जो हतप्रभ करती हैं। मजबूत मुकदमा करने के लिए कुछ और धाराएं खोज लेते।

व्यंग्यात्मक लहजे में दुबे ने कहा कि झारखंड में अभी तक बेनामी संपत्ति के लिए राजनेताओं पर मुकदमे होते रहे हैं। पहली बार नामी संपत्ति के लिए प्राथमिकी दर्ज की जा रही है। सचमुच, झारखंड का इतिहास बदल रहा है। उन्होंने कहा कि विष्णुकांत झा के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। जिस जमीन का उल्लेख किया गया है, उससे विष्णुकांत का दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है, न ही उनके आवेदन में इसका जिक्र है। भारतीय दंड विधान के किस नियम का पालन किया गया है, यह शोध का मसला है। दूरभाष पर निशिकांत ने कहा कि विष्णुकांत दुष्कर्म के केस में जेल जा चुके हैं। उनको ऐसा लगता है कि मैंने यह केस कराया था। यह उनका भ्रम है। शासन किसी नेता पर बेवजह केस करता है तो उसका और भला होता है। वास्तव में यह राजनीतिक लड़ाई है, जिसके लिए वे कुछ भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। पीछे नहीं हट सकते। उन्होंने कहा कि अमित अग्र्रवाल ने मानहानि का नोटिस दिया था। उन्होंने जवाब भेज दिया है।


निबंधन में एक पैसा राजस्व का नहीं हुआ नुकसान

डॉ दुबे ने कहा कि बम्पास टाउन की जमीन कोलकाता के व्यक्ति की है। उन्होंने किसी को पावर ऑफ अटार्नी दी थी। उन्होंने उससे जमीन ली है, न कि विष्णुकांत झा से। उन्होंने कहा कि जमीन की सरकारी कीमत 19.46 करोड़ है। इसी हिसाब से निबंधन शुल्क जमा भी कराया गया है। कुल 1.60 करोड़ रुपये। बताइए कि इसमें राजस्व की कैसे क्षति हुई है।

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कोई अपनी जमीन मुफ्त में दे तो उससे सरकार को क्या

भाजपा सांसद ने कहा कि वह जमीन तीन करोड़ रुपये में ली गई है। कोई अपनी जमीन मुफ्त में किसी को देता है तो उससे सरकार को क्या मतलब है। जहां तक नकद लेन-देन की बात है तो यह जांच करना आयकर विभाग का काम है, न कि झारखंड सरकार का। झारखंड सरकार को निबंधन शुल्क से मतलब है। इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है।

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