झारखंड के आदिवासी छात्रों और टीचर्स को विज्ञान की दुनिया का रहस्‍य समझाएंगे IIT ISM के प्रोफेसर

आदिवासी छात्रों और शिक्षकों में वैज्ञानिक समझ विकसित करने में आइआइटी आइएसएम के प्रोफेसर मदद करेंगे। इनके बीच वैज्ञानिक स्वाभाव पैदा करने के लिए नुक्कड़-नाटक विज्ञान प्रदर्शनी वैज्ञानिक मेलों और खेल-आधारित सूचना सामग्री आडियो विजुअल कार्यक्रमों और विभिन्न जानकारी परक क्लिप के माध्यमों का प्रयोग किया जाएगा।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Publish:Thu, 04 Aug 2022 08:47 PM (IST) Updated:Thu, 04 Aug 2022 08:47 PM (IST)
झारखंड के आदिवासी छात्रों और टीचर्स को विज्ञान की दुनिया का रहस्‍य समझाएंगे IIT ISM के प्रोफेसर
कई अन्य इलाकों में इस तरह की कार्यशाला आयोजित कर आदिवासियों में विज्ञान की समझ विकसित की जाएगी।

जागरण संवाददाता, धनबाद: आदिवासी छात्रों और शिक्षकों में वैज्ञानिक समझ विकसित करने में आइआइटी आइएसएम के प्रोफेसर मदद करेंगे। आदिवासी छात्रों और शिक्षकों के बीच वैज्ञानिक स्वाभाव पैदा करने के लिए नुक्कड़-नाटक, विज्ञान प्रदर्शनी, वैज्ञानिक मेलों और खेल-आधारित सूचना सामग्री, आडियो विजुअल कार्यक्रमों और विभिन्न जानकारी परक क्लिप के माध्यमों का प्रयोग किया जाएगा। इसी उद्देश्य को लेकर बुधवार को आइआइटी के प्रबंधन अध्ययन विभाग की ओर से बाघमारा के आदिवासी स्कूल बगदाहा में कार्यशाला का आयोजन हुआ। यह सिर्फ शुरुआत थी, आगे कई अन्य इलाकों में इस तरह की कार्यशाला आयोजित कर आदिवासियों में विज्ञान की समझ विकसित की जाएगी।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) की ओर से इस कार्यक्रम के लिए आइआइटी को 18.82 लाख रुपये का फंड मिला है। प्रबंधन अध्ययन विभाग की सहायक प्रोफेसर रश्मि सिंह के नेतृत्व में एसोसिएट प्रोफेसर नीलाद्रि दास समेत तीन सदस्यीय टीम कार्यशाला में शामिल हुई। इसमें 109 छात्र शामिल हुए। इसमें बताया गया कि हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान किस तरह से शामिल है। प्रो रश्मि सिंह ने प्रौद्योगिकी के बारे में समझाते हुए हवाई जहाज और रोबोट के उदाहरण दिए। छात्रों में इन दोनों चीजों में तकनीक एवं मशीनरी के बारे में जानने की उत्सुकता दिखी। कार्यशाला एवं संवादात्मक सत्रों के माध्यम से आज की दुनिया में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रासंगिकता को समझने का प्रयास किया गया।

प्रोफेसर रश्मि ने कहा कि लाॅकडाउन के कारण शैक्षणिक क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ है। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 32 करोड़ छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है। स्कूलों को बंद करने और पारंपरिक कक्षाओं को डिजिटल कक्षाओं में स्थानांतरित करने के निर्णय ने छात्रों के बीच सीखने की असमानता पैदा कर दी है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से लगभग 2100 छात्रों को प्रेरित करने का लक्ष्य है। प्रोफेसर नीलाद्रि दास ने वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण में इसके महत्व पर चर्चा की।

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