अल्पसंख्यकों के अधिकार को लेकर सरकार गंभीर नहीं : जनवादी जन संगठन
झारखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में रह रहे अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकार के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। अल्पसंख्यकों के अधिकार का हनन हो रहा है। उक्त बातें जनवादी जन संगठन मंच झरिया के में ऊपर खुली स्थित मिल्लत स्कूल के प्रांगण में हुए सेमिनार में वक्ताओं ने कही।
झरिया, जेएनएन : झारखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में रह रहे अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकार के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। अल्पसंख्यकों के अधिकार का हनन हो रहा है। उक्त बातें जनवादी जन संगठन मंच झरिया के तत्वावधान में ऊपर खुली स्थित मिल्लत एकाडेमी स्कूल के प्रांगण में हुए सेमिनार में वक्ताओं ने कही। शुक्रवार को विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर आधार पत्र प्रो नारायण चक्रवर्ती ने पढ़ा। पत्र के माध्यम से अल्पसंख्यकों के अधिकार और मानवता पर हो रहे हमले की जानकारी दी गई। इस मुद्दे पर लोगों ने गंभीरता से चर्चा की।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित मोहम्मद इकबाल ने विस्तार से वर्तमान परिस्थितियों पर प्रकाश डाला। कहा कि वर्तमान समय में सांप्रदायिक शक्तियों का बोलबाला बढ़ गया है। सरकार एनआरसी लाकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन कर रही है। अल्पसंख्यकों को अपने अधिकार के लिए जागरूक होना पड़ेगा। सरकार के खिलाफ संघर्ष को और तेज करना होगा। एकजुट होकर हमें नए समाज के निर्माण के लिए आगे आना होगा।
कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने, लोगों को जागरूक करने, हक की लड़ाई को और सशक्त करने के लिए ही हर साल 18 दिसंबर को विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है। पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों को रोकने और उसके खिलाफ आवाज उठाने में इस दिवस की महत्वपूर्ण भूमिका है। संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय अधिकार दिवस की घोषणा 18 दिसंबर 1993 को की थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना देश में की गई। आयोग किसी भी परिस्थिति में अल्पसंख्यकों के अधिकार, संस्कृति, धार्मिक, भाषाई पहचान को उनकी सीमा के अंतर्गत सुरक्षित रखने व विकसित करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। सेमिनार की अध्यक्षता डॉ इम्तियाज बिन अजीज ने की। सिख समाज के नेता बलबिन्दर सिंह ने अल्पसंख्यकों के अधिकार पर विस्तृत चर्चा की। संरक्षक के रूप में शिव बालक पासवान ने भी महत्त्वपूर्ण विचार रखे।
सेमिनार में काफी संख्या में अल्पसंख्यक समाज के लोग शामिल हुए। सभी ने अल्पसंख्यकों के अधिकार की रक्षा करने का संकल्प लिया।