ई-लर्निग के साथ छात्रों में क्षमता और कौशल विकास जरूरी : कुलपति

धनबाद 285 मिलियन युवा और 50 हजार शिक्षण संस्थान वाले भारत में उच्च शिक्षा में विश्व गुरु बनने का माद्दा है। कोरोना काल में बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय ने इसे साबित भी किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Jun 2020 03:00 PM (IST) Updated:Tue, 23 Jun 2020 03:00 PM (IST)
ई-लर्निग के साथ छात्रों में क्षमता और कौशल विकास जरूरी : कुलपति
ई-लर्निग के साथ छात्रों में क्षमता और कौशल विकास जरूरी : कुलपति

धनबाद : 285 मिलियन युवा और 50 हजार शिक्षण संस्थान वाले भारत में उच्च शिक्षा में विश्व गुरु बनने का माद्दा है। कोरोना काल में बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय ने इसे साबित भी किया। ई-लर्निग को विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सुचारू बनाए रखने की कोशिश की गई और काफी हद तक कामयाब भी रहे। देश की मौजूदा परिस्थिति में ई-लर्निग पठन-पाठन का बेहतर विकल्प है। पर यह ज्यादा जरूरी है कि छात्र-छात्राओं में क्षमता और कौशल विकास करें। यह बातें विवि के कुलपति डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने कही। वह सोमवार को एसएसएलएनटी महिला कॉलेज की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। वेबिनार का विषय था कोविड-19 महामारी का उच्च शिक्षा पर प्रभाव और ई लर्निग का भविष्य।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्रि्वक चुनौती है और इसके लिए मॉलिक्यूलर बॉयोलॉजी खास तौर पर कोविड आरएनए जैसे विषयों पर शोध होने चाहिए। कहा कि जिस तरह लॉक डाउन में बीबीएमकेयू के डिजिटल तकनीक अपना कर पढ़ाई जारी रखा। उसी तरह देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इसे अवसर के तौर पर लेना चाहिए। योग, आर्किटेक्चर, मेटलर्जी, आयुष, कृषि जैसे कई विषय हैं।

प्रतिकुलपति डॉ. अनिल महतो ने कहा कि वर्तमान में ई-लर्निग ही पढ़ाई का माध्यम है। पर आज भी ऐसे छात्र हैं जिनके पास स्मार्टफोन या दूसरे विकल्प नहीं हैं। ऐसे छात्रों के लिए भी विकल्प तलाशने होंगे। वेबिनार में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूके, नाइजीरिया, दुबई, ऑस्ट्रेलिया और जापान के शिक्षाविदों ने भी अपने विचार पेश किए। विभावि के पूर्व कुलपति डॉ. रमेश शरण, एसएसएलएनटी कॉलेज की प्राचार्य डॉ. शर्मिला रानी, आरएस मोर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रवीण सिंह, पीके राय कॉलेज के प्राचार्य डॉ. बीके सिन्हा, आयोजन सचिव डॉ. तनुजा कुमारी, डॉ. रीता शर्मा की सक्रिय भागीदारी रही।

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