Weekly News Roundup Dhanbad: हिंदी अधिकारी पर 'चढ़ी' रेल, यहां तो हर अप गाड़ी डाउन बनकर चलती ही है

ट्रेनों का भटकना अब बीते दिनों की बात हो गयी है। महकमे ने इस पर सफाई भी दे दी है। कह दिया भटकी नहीं थी रूट डायवर्ट किया गया था। मगर अब भटकना छोड़ ट्रेनों ने अटकना शुरू कर दिया है।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 07 Jun 2020 02:58 PM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2020 02:58 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: हिंदी अधिकारी पर 'चढ़ी' रेल, यहां तो हर अप गाड़ी डाउन बनकर चलती ही है
Weekly News Roundup Dhanbad: हिंदी अधिकारी पर 'चढ़ी' रेल, यहां तो हर अप गाड़ी डाउन बनकर चलती ही है

धनबाद [ तापस बनर्जी]। पिछले हफ्ते की बात है। बेकारबांध रेलवे अफसर कॉलोनी में वित्त और हिंदी विभाग के अफसरान भिड़ गए थे। विवाद की जड़ पहले टॉयलेट का दरवाजा था, फिर पानी बन गया। मामला जैसे ही ऊपर तक पहुंचा वित्त विभाग के अफसर का पलड़ा भारी हो गया। अब हिंदी अधिकारी को ऐसी सजा मिली है कि जिसकी उन्होंने कल्पना तक न की थी। उन्हें हाजीपुर का ट्रांसफर ऑर्डर पकड़ा दिया गया। उनके ट्रांसफर ऑर्डर पर लिखा है कि उनका परफॉर्मेंस संतोषजनक नहीं है। दक्षिण मध्य रेलवे से जुड़े हिंदी कार्य को पूरा करने में विफल रहे हैं और तो और उनका अपने साथ काम करने वाले अफसरों के साथ व्यवहार भी सही नहीं है। अब थोड़ा फ्लैश बैक में चलते हैं। अरे हां, याद आ गया ये वही हिंदी अधिकारी हैं, जिन्हें बेहतर काम करने के लिए पूरे 10 हजार का अवॉर्ड भी मिला है। 

भटकने वाली अब अटकने लगी

ट्रेनों का भटकना अब बीते दिनों की बात हो गयी है। महकमे ने इस पर सफाई भी दे दी है। कह दिया भटकी नहीं थी, रूट डायवर्ट किया गया था। मगर अब भटकना छोड़ ट्रेनों ने अटकना शुरू कर दिया है। अब मंगलवार की ही बात ले लीजिए। झारखंड और ओडिशा के प्रवासी कामगार हरियाणा के गुडग़ांव से ट्रेन में सवार हुए थे। ट्रेन ओडिशा के बालासोर जा रही थी। जब गोमो आयी तो इंजन का मुखड़ा दूसरी ओर था। एकाएक ट्रेन का रुख मोड़ दिया गया। कुछ ही देर में ट्रेन धनबाद की ओर बढ़ चली। यहां ट्रेन रुकी और करीब सवा तीन सौ कामगार उतरे भी। अब बारी उन कामगारों की थी, जिन्हें ओडिशा जाना था। दुनिया गोल है इसका अहसास कराती रेलगाड़ी आसनसोल और आद्रा का चक्कर लगा टाटानगर पहुंच गई। बेचारे कामगारों को वहीं उतरना पड़ा। क्योंकि ट्रेन वहीं अटक गई। 

ट्रेन बेबी को रेलवे का गिफ्ट

कोरोना से लडऩे भिडऩे को रेलवे ने अपने डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड बनवाया। मालूम होता कि चिल्ड्रेन वार्ड की दरकार होगी तो शायद इसकी भी तैयारी हो जाती। खैर, बिन तैयारी भी रेलवे ने गर्भवती महिलाओं के लिए काफी कुछ किया। रेलवे के आंकड़े बताते हैं एक मई से चली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 37 बार किलकारियां गूंजी। लोकल प्रशासन के सहयोग से एंबुलेंस का बंदोबस्त हुआ। गर्भवती और उनके परिवार को हॉस्पिटल ले जाने और इलाज की पूरी व्यवस्था की गई। धनबाद रेल मंडल भी इसमें पूरी शिद्दत से लगा रहा। अब तो पड़ोसी राज्य ने गिफ्ट की भी घोषणा कर दी है। पूर्व तटीय रेल ने माना है कि ट्रेन में बच्चे का जन्म शुभ संकेत है। इसके लिए गिफ्ट का भी ऐलान कर दिया है। श्रमिक स्पेशल ट्रेन में बच्चे के जन्म लेने पर उसे गिफ्ट कूपन भेंट किया जाएगा। 

टीटई बाबुओं से रूठी लक्ष्मी

167 साल में ऐसा पहली बार हुआ कि जब टीटीई बाबुओं को भारी भरकम काला कोट पहनने से मुक्ति मिल गई। कोरोना काल में उन्हें न कोट पहनना है और न ही गले में आइडेंटी कार्ड। मगर बेचारों से लक्ष्मी रूठ गई है। वो भी क्या दिन थे जब ट्रेन में मुसाफिरों की भीड़ उमड़ती थी। भीड़ में बकरे फंस ही जाते थे। गर्मी चाहे कितनी भी हो जेब को ठंडक मिल ही जाती थी। अब पहले तो 22 मार्च से 11 मई तक ट्रेन के दर्शन ही नहीं हुए। अब ट्रेन पटरी पर लौटी तो कंफर्म और आरएसी वाले ही ट्रेन में आ रहे हैं और तो और ट्रेनें भी खाली ही दौड़ रही हैं। चाहें भी तो बीच सफर में किसी को अपना मेहमान नहीं बना सकते। क्योंकि स्टेशन के अंदर एंट्री ही बंद है। यानि एक्स्ट्रा इनकम पर फुलस्टॉप लग गया है। 

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