रिश्वत खाकर डीइओ कार्यालय ने स्कूल को दी मान्यता, मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायत Dhanbad News

Dhanbad District Education Office शिकायतकर्ता का पत्र डीसी उमा शंकर सिंह को भी दिया गया। आरोप है कि विद्यालय में न तो शौचालय है न लाइब्रेरी। कंप्यूर क्लास रूम भी भी नहीं है। शिक्षकों के बैठने की भी जगह नहीं है। सब फर्जी तरीके से दिखाकर जांच कराई गई।

By MritunjayEdited By: Publish:Thu, 19 Nov 2020 07:58 AM (IST) Updated:Thu, 19 Nov 2020 07:58 AM (IST)
रिश्वत खाकर डीइओ कार्यालय ने स्कूल को दी मान्यता, मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायत Dhanbad News
धनबाद के मिश्रित भवन स्थित जिला शिक्षा पदाधिकारी का कार्यालय।

धनबा, जेएनएन। जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय नित नए मामले को लेकर विवादों में घिरते जा रहे हैं। उनके खिलाफ डीसी उमा शंकर सिंह को पिछले दिनी भी कई शिकायतें पहुंची। अब नया मामला पाथरडीह के मीरा मोहल्ला स्थित सुभाष चंद्र उच्च विद्यालय का है। जिसको मान्यता देकर यह कार्यालय जिले के वरीय अधिकारियों और सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस विद्यालय की मान्यता के लिए झारखंड एकेडमी काउंसिल को पत्र पहुंचा।

जिला शिक्षा कार्यालय से जांच उपरांत उक्त विद्यालय को मान्यता देने की अनुशंसा की गई। लेकिन इसकी जांच के लिए जो कमेटी बनी उन पर रिश्वत लेकर मान्यता का अनुमोदन किया गया। ऐसा आरोप हीरापुर के अरुण कुमार दूबे नामक व्यक्ति ने लगाते हुए सीएम,  शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, डीसी व अन्य को शिकायत की है। आपको बता दें कि पिछले दिनों ही एक सेवानिवृत्त शिक्षक ने डीसी को न्याय के लिए अश्रपूर्ण गुहार लगाते हुए शिक्षा के मंदिर के इस बड़े कार्यालय में खुलेआम रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। यहां तक कि यह भी कहा था कि कोई भी शिक्षक जिला शिक्षा पदाधिकारी के डर से कार्यालय में पैर रखने से भयभीत है। शिक्षक ने डीसी से विभाग के पुराने तजुर्बे का हवाला देते हुए जांच की गुहार लगाई थी।

शिकायतकर्ता का पत्र डीसी उमा शंकर सिंह को भी दिया गया। आरोप है कि विद्यालय में न तो शौचालय है न लाइब्रेरी। कंप्यूर क्लास रूम भी भी नहीं है। शिक्षकों के बैठने की भी जगह नहीं है। सब फर्जी तरीके से दिखाकर जांच कराई गई। स्कूल की व्यवस्था को देखकर यह खुद प्रतीत हो जाएगा कि स्कूल का अमुमोदन अचल कुमार श्रीवास्तव ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को घूस देकर बोर्ड में फाइल को भेजवाया है। हकीकत यह है कि स्कूली शिक्षा से संचालक को कोई सरोकार नहीं है। अब वे हाईस्कूल को रजिस्ट्रेशन कराने की जुगत में हैं, ताकि इलाके के गरीब अभिभावकों से गाढ़ी कमाई कर सके। संचालक पहले निहाल बालिका इंटर कॉलेज में काम करते थे। स्कूल बीसीसीएल के प्रोजेक्ट किनारे बना हुआ है, जिसका जमीन मालिक को प्रोजेक्ट विस्तारीकरण को लेकर प्रबंधन नोटिस भी दे चुका है। शिकायत में अन्य कई बिंदुओं पर प्रशासकों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि शिक्षा विभाग की जांच में दाल में कुछ काला है। इस मामले की उचित जांच कराकर मान्यता रद करने की मांग शिकायतकर्ता ने की है।

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