Weekly News Roundup Dhanbad: डीसी को जनता दरबार का टेंशन, काम करेंगे खाक
राशन कार्ड में नाम जोडने के लिए फर्जीधारकों को प्रशासन ढूंढने निकलेगा। डीसी का सख्त आदेश है इसलिए जिला आपूर्ति विभाग के लिए बड़ी चुनौती भी होगी। विभाग में मैन पावर की कमी है।
धनबाद [ चरणजीत सिंह ]। डीसी साहब को सरकार आपके द्वार कार्यक्रम ने टेंशन दे दी है। उन्हें अब दो दिन जनता दरबार (जेडी) में लोगों के बीच जाना होगा। डीडीसी बाल किशुन मुंडा अभी डीसी के चार्ज में हैं। बुधवार को बतौर डीसी और शनिवार को डीडीसी के रूप में जेडी में जाना है। सरकार का आदेश है, पूरा भी करना होगा। मंगलवार व शुक्रवार को मुख्यालय में भी जनता दरबार में लोगों की समस्याओं से रू-ब-रू होना है। इसमें चार दिन गुजर गए। अब बचे सप्ताह के दो दिन। तो, वित्तीय वर्ष समाप्ति को देखते हुए काम का प्रेशर भी है। इसकी अनदेखी की तो विकास प्रभावित होगा, राजस्व को भी नुकसान। खुद का कार्यालय भी है। ऊपर से पंचायतों का कम लोड नहीं है। उधर की फाइल पर गौर करें या इधर की देखें। इन दिनों साहब को उसी की टेंशन ने परेशानी में डाल रखा है।
साहब को तलाशना मुश्किल
जिला प्रशासन की वेबसाइट से अगर आप किन्हीं साहब को तलाशना चाह रहे हैैं तो ये नामुमकिन होगा। जी हां, वेबसाइट पर अभी कई ऐसे पदाधिकारी हैैं जो जिला बदर या स्थानांतरित हो चुके हैं लेकिन वेबसाइट पर उन्हीं साहब का नाम सुशोभित है। जिला योजना पदाधिकारी और सांख्यिकी पदाधिकारी में अब भी चंद्रभूषण तिवारी सुशोभित हैैं, जबकि एक माह पूर्व ही उनके स्थान पर महेश भगत की पदस्थापना हो गई। खनन पदाधिकारी में भी वेबसाइट पर अभी अभिषेक आनंद का नाम ही है। उनकी जगह अजीत कुमार की पदस्थापना महीने भर पहले हो चुकी है। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी का चार्ज पूर्णिमा कुमारी कई दिनों से संभाल रही हैं। पूर्व में यह प्रभार कार्यपालक दंडाधिकारी दीपमाला के पास था लेकिन डीएसडब्ल्यूओ की इंचार्ज वेबसाइट में अब भी उनका नाम ही है। ऐसे में गफलत हो जा रही है। खोज किसी की, मिल रहा कोई और।
कहां से आएगा पानी
अगले सप्ताह तक पुटकी से और आगे निर्माणाधीन धनबाद बीडीओ ऑफिस शिफ्ट होने वाला है। शहर से दूर जाने वाले प्रखंड कार्यालय से आम जनता को जो परेशानी होने वाली है, उसे छोड़ दें तो खुद अधिकारी और कर्मचारी भी उनके ऊपर आने वाली परेशानी को लेकर अभी से परेशान हो रहे हैैं। इसकी वजह है नवनिर्मित भवन में पानी की किल्लत। पता चला है कि यहां वन एचपी का मोटर लगाया गया है। ऐसे में पानी के लिए एक-दो तो रखना ही होगा। बीडीओ ऑफिस तो उसमें जाने वाले अंचल के करीब 70-80 स्टाफ। ऊपर से हर दिन पहुंचने वाली जनता। पानी तो सबको चाहिए। उसके लिए जार खरीदने पड़ेंगे। इतने लोगों की प्यास बुझाने में कितने जार लगेंगे, इसकी गिनती करने में अभी ही अधिकारी जूझ रहे हैैं। शौचालय का मामला आ गया तो उसका अलग टेंशन। फिलहाल, व्यवस्था के लिए बोला गया है।
...तो कैसे चलेंगे कंप्यूटर
राशन कार्ड में नाम जोडने के लिए फर्जीधारकों को प्रशासन ढूंढने निकलेगा। डीसी का सख्त आदेश है, इसलिए जिला आपूर्ति विभाग के लिए बड़ी चुनौती भी होगी। विभाग में मैन पावर की कमी है। ऐसे में साहब ने कंप्यूटर ऑपरेटर से लेकर सहायक और बड़ा बाबू तक सभी को सड़क पर उतारने की तैयारी की है। यह कार्य होगा, तो ही कतार में लगे लाभुकों को फायदा मिलेगा। अब ये कर्मचारी घर-घर जाकर वेरिफिकेशन में लगेंगे तो कंप्यूटर कैसे चलेगा। इससे तो ऑनलाइन काम ठप हो जाएंगे। एक समस्या का निदान होगा तो दूसरी खड़ी हो आएगी। दरअसल, विभाग संसाधन विहीन है। निरसा, टुंडी और धनबाद में तीन एमओ हैैं जबकि जिले में 15 होने चाहिए। ऐसे में 18 लाख कार्डधारकों का वेरिफिकेशन किसी चुनौती से कम नहीं। दबी जुबां में विभागीय अधिकारी भी बताते हैैं कि यह कार्य आसान नहीं। अब करें तो क्या करें।