Coal Theft Business: रोजगार छिना, पर सांसें मिलीं; आगे-आगे देखिए होता है क्या

निरसा वाले दादा अब जेबीसीसीआइ के सदस्य बन गए। बड़ी उपलब्धि मिली। फूलमालाओं से लादे गए। इस बीच पीछे समर्थक कब गायब हो गए पता ही न चला। पिछले दिनों विश्वकर्मा प्रोजेक्ट के कई बीसीकेयू समर्थकों ने रागिनी सिंह की मौजूदगी में जमसं कुंती गुट का दामन थाम लिया।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 29 Jun 2021 07:59 AM (IST) Updated:Tue, 29 Jun 2021 05:20 PM (IST)
Coal Theft Business: रोजगार छिना, पर सांसें मिलीं; आगे-आगे देखिए होता है क्या
धनबाद में कोयले की चोरी भी बड़ा रोजगार ( फाइल फोटो)।

धनबाद, रोहित कर्ण। मानसून का मौसम अमूमन रोजगार लेकर आता है। लोग खेतीबारी में लग जाते हैं। लेकिन धनबाद में ऐसा नहीं होता। निरसा क्षेत्र के खुदिया नदी तट को ही ले लीजिए। इसके किनारे-किनारे अवैध खदानों का संजाल बिछा है। नदी का जलस्तर बढ़ा तो खदानें भर गईं। अब अवैध रूप से कोयला काटने वाले करें तो क्या। सो रोजगार के लिए पलायन शुरू हो गया है। पिछले दो दिन में ही शिवडंगाल, भालुकसुंधा इलाके के 150 से अधिक मजदूर चेन्नई, पंजाब जैसे इलाकों के लिए रवाना हो चुके हैं। धानबाइद (धान का खेत) के कोयलांचल बनने के बाद खेती की गुंजाइश तो यहां रही नहीं। यूं कोयला कटिंग बंद होने की एक वजह लॉकडाउन में हार्डकोक भट्ठों में कोयले की मांग कम होना भी है। चलो इसी बहाने कुछ दिन चाल धंसने जैसी घटनाओं से युवकों को सुरक्षा की तो गारंटी मिल गई। सावन को आने दो। 

दादा से मोह भंग

निरसा वाले दादा अब जेबीसीसीआइ के सदस्य बन गए। बड़ी उपलब्धि मिली। फूलमालाओं से लादे गए। इस बीच पीछे समर्थक कब गायब हो गए पता ही न चला। पिछले दिनों विश्वकर्मा प्रोजेक्ट के कई बीसीकेयू समर्थकों ने रागिनी सिंह की मौजूदगी में जमसं कुंती गुट का दामन थाम लिया और दादा माला ही पहनते रह गए। मजदूरों का कहना था कि तीन वर्ष से मैनुअल लोडिंग बंद है जिसे दादा शुरू नहीं करा पाए। दरअसल तीन वर्ष से वर्चस्व की जंग में यहां से मैनुअल लोडिंग बंद है। पहले तो धनबाद व निरसा विधायक समर्थकों की बात थी, अब उसमें झामुमो का भी प्रवेश हो गया है। ताजा घटनाक्रम के बाद जमसं कुंती गुट का प्रवेश होना भी लगभग तय है। ऐसा हुआ तो समर्थकों की ओर से भाजपा के ही दो दिग्गज आमने-सामने दिखेंगे। कुछ के छटकने से बीसीकेयू भी दावा नहीं छोड़ेगी। नजारा दिलचस्प होगा। 

एक आवास की कीमत

सोहिला देवी बीसीसीएल कर्मी हैं। उनका आवास अग्नि प्रभावित इलाके में है। उन्होंने अन्यत्र आवास के लिए आवेदन दिया। प्रबंधन ने डिगवाडीह डिनोबिली मोड़ के पास स्थित आवास उन्हें दे दिया। इसमें रह रहे कर्मी इसी वर्ष दिसंबर में सेवानिवृत्त होंगे तब जाकर आवास उन्हें मिलेगा। इधर महिला को आवास मिलना था कि यूनियनबाजों में खलबली मच गई। यूं कोयला नगर में आनलाइन आवास आवंटन शुरू हो चुका है पर क्षेत्रीय कार्यालयों में इसे लागू होना शेष है। यहां अब भी आवास आवंटन समितियों के सदस्यों का बोलबाला है। एक-एक बेहतर आवास की हजारों की कमाई कराता है। कई इलाकों में इसका खुलासा भी हो चुका है। ऐसे में किसी को सीधे आवास मिल जाए यह तो बिल्कुल ना काबिल ए बर्दाश्त है। एक बारगी प्रबंधन पर कई नेताओं ने इसे रद करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। एक आवास की कीमत तुम क्या जानो... बाबू।

पुनर्वास विभाग का कांफ्रेंस रूम

झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार अब कांफ्रेंस रूम बना रहा है। उधर प्राधिकार का अस्तित्व कानूनी पेंच में फंसा हुआ है। इसी वर्ष अगस्त महीने में उसका कार्यकाल खत्म होने को है। पहले मास्टर प्लान की अवधि विस्तार का प्रपोजल सरकार के पास लंबित है। रिवाइज मास्टर प्लान देने से पहले सरकार ने वैधानिक दर्जा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। पेंचीदगी यहीं खत्म नहीं होती। प्राधिकार का कार्यालय जेपीएससी अधिकारियों के एक बंगले में खोला गया है। अब अधिकारियों के बंगले में अलग से कांफ्रेंस रूम का निर्माण। बोलें तो आवासीय क्षेत्र में स्थायी कांफ्रेंस रूम। अब उपायुक्त ही एमडी हों तो नगर निगम पूछे भी कैसे। सो काम तेजी से चल रहा है। यूं कार्यालय के कक्ष हमेशा खाली रहते हैं। प्रभारी जिला प्रशासन के दंडाधिकारी रहते रहे हैं। बैठकें उपायुक्त कार्यालय में होती रहीं हैं। फिर भी यह लाखों का खर्च।

chat bot
आपका साथी