30 लाख की रगों में खून, ब्लड बैंकों में जीरो बैलेंस

झारखंड में प्रतिवर्ष लगभग 3.5 लाख यूनिट खून की जरूरत पड़ती है लेकिन यहां सालाना सिर्फ एक लाख 90 हजार यूनिट रक्तदान ही हो पा रहा है।

By mritunjayEdited By: Publish:Wed, 28 Nov 2018 04:18 PM (IST) Updated:Wed, 28 Nov 2018 04:18 PM (IST)
30 लाख की रगों में खून, ब्लड बैंकों में जीरो बैलेंस
30 लाख की रगों में खून, ब्लड बैंकों में जीरो बैलेंस

धनबाद, जेएनएन। कोयलांचल की लगभग 30 लाख की आबादी की रगों में खून दौड़ रहा है। लेकिन इसके बावजूद यहां के ब्लड बैंकों में सुखाड़ की स्थिति है। पीएमसीएच स्थित जिले के सबसे बड़े सरकारी ब्लड बैंक में मंगलवार को खून का स्टॉक शून्य था। वहीं खून लेने के लिए करीब 50 मरीजों के परिजन कतारबद्ध थे। खून के इंतजाम में ऐसे मरीजों का पूरे दिन खून जलता रहा।

पिछले एक महीने से धनबाद के सरकारी ब्लड बैंक की यही स्थिति है। कम रक्तदान होने से यहां जरूरतमंदों की खून की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है। अत्यंत गंभीर मरीजों को भी समय पर ब्लड नहीं मिल रहा है। खून के लिए संबंधित ग्रुप के डोनर की व्यवस्था परिजनों को करनी पड़ रही है। आपात स्थिति में किसी खास ग्रुप का खून उपलब्ध कराने में ब्लड बैंक ने अपने हाथ खड़े कर रखे हैं। रविवार को बंगाली वेलफेयर सोसाइटी के रक्तदान शिविर से 15 यूनिट खून उपलब्ध कराया गया था जिसकी सहायता से कई मरीजों की परेशानी दूर हुई लेकिन कई मरीजों के परिजन खून के इंतजाम के लिए घंटों भटकते रहे। रक्त की किल्लत के कारण सबसे अधिक परेशानी थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों को हो रही है। उन्हें हर महीने खून चढ़ाने की नौबत आ पड़ती है। ब्लड बैंक में खून उपलब्ध नहीं होने के कारण उनके परिजनों को काफी दौड़ धूप करना पड़ता है। पांच-पांच साल के पीडि़त बच्चे खून के लिए 10-10 घंटे इंतजार कर बेजार हो जा रहे हैं। 

सूबे में जरूरत के मुकाबले कम रक्तदानः झारखंड में प्रतिवर्ष लगभग 3.5 लाख यूनिट खून की जरूरत पड़ती है लेकिन यहां सालाना सिर्फ एक लाख 90 हजार यूनिट रक्तदान ही हो पा रहा है। रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए सूबे में प्रोसेसिंग चार्ज को भी फ्री कर दिया गया है। इससे मरीजों को तो आर्थिक तौर पर राहत मिल रही है लेकिन खून उपलब्ध नहीं होने के कारण इसके इंतजाम में इससे ज्यादा का खर्च हो जा रहा है। 

स्वैच्छिक रक्तदाता बचा रहे जानः खून की कमी के कारण जरूरतमंद मरीजों के लिए स्वैच्छिक रक्तदाता जीवनदाता साबित हो रहे हैं। लोगों की सूचना पर वे संबंधित ग्रुप का डोनर भेजकर मरीज की जरूरत पूरी कर रहे हैं। अभी हाल में निरसा निवासी सोमरी मरांडी नामक महिला के लिए ह्यूमिनटी हेल्पिंग हैंड संस्था के सदस्यों ने रक्त की व्यवस्था की। महिला एनीमिया से पीडि़त थी। उसे पीएमसीएच में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था जहां खून उपलब्ध नहीं था। अस्पताल के कर्मियों की सूचना पर संस्था के अध्यक्ष गौतम मंडल की पहल पर मुकेश महतो, प्रदीप मंडल, दिलीप महतो आदि ने रक्तदान कर महिला की जान बचाई। 

नवंबर माह तक खून की कमी का सामना करना पड़ सकता है। दिसंबर में कई सामाजिक संगठनों द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा। उसके बाद काफी हद तक खून की किल्लत दूर हो जाएगी। 

डॉ. एके सिंह, प्रभारी, पीएमसीएच ब्लड बैंक। 

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