एनी डेस्क सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ठगी कर रहे साइबर अपराधी

देवघर : देवघर और जामताड़ा साइबर अपराधियों का गढ़ बन चुका है। साइबर अपराधियों के क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Nov 2018 11:30 PM (IST) Updated:Mon, 12 Nov 2018 11:30 PM (IST)
एनी डेस्क सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ठगी कर रहे साइबर अपराधी
एनी डेस्क सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ठगी कर रहे साइबर अपराधी

देवघर : देवघर और जामताड़ा साइबर अपराधियों का गढ़ बन चुका है। साइबर अपराधियों के कारण ही देवघर राष्ट्रीय फलक पर सुर्खियों में बना हुआ है। तकनीक का बेजा इस्तेमाल कर साइबर अपराधी देश के दूसरे शहरों के लोगों के बैंक खाते देवघर में बैठे बैठे खाली कर रहे हैं। ये साइबर अपराधी स्मार्ट फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर सिस्टम की मदद से अपने कारनामे को अंजाम दे रहे हैं। ये साइबर अपराधी पूरे देश के बैं¨कग सिस्टम के लिए खतरा बन चुके हैं। जांच के दौरान पुलिस को कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। पता चला है कि एनी डेस्क नामक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से ये साइबर अपराधी किसी का भी कंप्यूटर या लैपटॉप का स्क्रीन शेयर कर लेते हैं। ऐसे में अपनी जगह-जगह पर बैठे बैठे लोग दूसरों के बैंक अकाउंट व पासवर्ड की जानकारी आसानी से हासिल कर लेते हैं और फिर बैं¨कग सिस्टम की सुरक्षा प्रणाली को भेदते हुए ये किसी के भी बैंक खाता से पैसा का लेन देन आसानी से कर लेते हैं।

दो वर्ष से साइबर अपराध से जुड़े थे सभी

पालोजोरी से पकड़े गए पांचों साइबर अपराधियों ने पुलिस पूछताछ में अपना गुनाह कुबूल कर लिया है। गिरफ्तार निसार अंसारी, वसीम अंसारी, अशरफ अंसारी, मोइन अंसारी, नसीम अंसारी ने बताया कि ये दो वर्ष से साइबर अपराध से जुड़े हैं। पुलिस इनके पूरे संपत्ति का आंकड़ा जुटाने में लग गई है। इनका आलीशान मकान लाखों का है, जबकि कहने के लिए ये मजदूरी करते हैं। इससे ये बात पुख्ता हो जाता है कि इनकी कमाई का राज साइबर अपराध से जुड़ा है। पुलिस इनके सभी लिंक की तलाश कर रही है। इनके बैंक खातों व इनसे जुड़े बैंक खातों की भी जांच की जा रही है।

ज्यादातर लेन-देन यूपीआइ आधारित : साइबर पुलिस ने पालोजोरी थाना क्षेत्र से पांच साइबर अपराधियों को पकड़ा है। छानबीन के दौरान पता चला कि इनके पास कई राज्यों के बैंक अकाउंट हैं। पुलिस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि यह बैंक खाता किनका है और इसे कौन संचालित करता है। इन सभी ने बताया कि वे किस तरह सॉफ्टवेयर के माध्यम से दूसरे का बैंक खाता खाली कर देते हैं और यूपीआइ के माध्यम से पैसे का लेन-देन करते हैं। पुलिस जांच में स्पष्ट हुआ है कि ज्यादातर साइबर अपराधी यूपीआइ आधारित ही लेन-देन कर रहे हैं।

क्या है यूपीआइ: यूपीआइ (यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस) पैसे भेजने का एक सिस्टम है। अब तक एनइएफटी, आरटीजीएस और आइएमपीएस सिस्टम के जरिए पैसा भेजा जाता रहा है। यूपीआइ इनसे ज्यादा एडवांस्ड तरीका है। इस पेमेंट सिस्टम को इस तरह से बनाया गया है कि आम लोग भी इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकें।

स्मार्टफोन में करता है काम: यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस सिस्टम मोबाइल एप पर आधारित है। यानी ये इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले स्मार्टफोन में काम करता है। यूपीआइ को इस्तेमाल करने के लिए इंटरनेट से जुड़ा होना जरूरी है। फिलहाल यूपीआई एप एंड्रॉएड ऑपरे¨टग सिस्टम के लिए ही बनाया गया है। आपको पता ही होगा कि दुनिया के 80 प्रतिशत फोन एंड्रॉएड ऑपरे¨टग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं। भविष्य में यूपीआइ आइफोन और ¨वडोज ऑपरे¨टग सिस्टम में भी काम करेगा।

मोबाइल नंबर पर आधारित: यूपीआइ पेमेंट सिस्टम आपके मोबाइल नंबर के जरिए आपके खाते की जानकारी लेता है। मोबाइल नंबर के जरिए ये पक्का करता है कि आप अपने ही खाते से जुड़ें। आप जानते ही होंगे कि आजकल सभी बैंक ग्राहकों से उनका मोबाइल नंबर मांगते हैं। यही नंबर उनके खाते से ¨लक हो जाता है। यूपीआइ इसी ¨लक्ड मोबाइल के जरिए आपके खाते की जानकारी जुटाता है। अगर आपने बैंक में अपना मोबाइल नंबर नहीं दिया है तो यूपीआइ का फायदा नहीं ले पाएंगे। इतना ही नहीं अगर आप अपने स्मार्टफोन से अपना सिम निकाल लेंगे तो भी ये एप काम नहीं करेगा।

किसी भी खाते में पैसे भेजें: यूपीआइ के जरिए आप देश में किसी भी बैंक खाते में पैसे भेज सकते हैं। ऐसा नहीं है कि अगर आप स्टेट बैंक के ग्राहक हैं तो सिर्फ स्टेट बैंक के ग्राहकों को ही पैसे भेज पाएंगे। बल्कि किसी भी बैंक के ग्राहक को पैसे भेजने की आजादी है। यूपीआइ की सबसे बड़ी खूबी है कि इसके जरिए पैसा भेजने के लिए बैंक खाता जानना जरूरी नहीं है। यानी अगर आपको किसी से पैसा चाहिए और आप उसे बैंक खाता नहीं बताना चाहते हैं तो यूपीआइ का इस्तेमाल कीजिए। यूपीआई एप के जरिए आप बिना बैंक खाता जाने भी पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। दरअसल ये एप बैंक खाते के अलावा यूपीआई एड्रेस के जरिए भी पैसा ट्रांसफर करता है।

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