स्वतंत्रता सेनानी की विधवा ने दी आत्मदाह की धमकी

जसीडीह (देवघर) : जिला प्रशासन के उपेक्षित रवैये के कारण 35 साल बाद भी स्वतंत्रता सेनानी के विधवा को

By Edited By: Publish:Thu, 22 Sep 2016 08:11 PM (IST) Updated:Thu, 22 Sep 2016 08:11 PM (IST)
स्वतंत्रता सेनानी की विधवा ने दी आत्मदाह की धमकी

जसीडीह (देवघर) : जिला प्रशासन के उपेक्षित रवैये के कारण 35 साल बाद भी स्वतंत्रता सेनानी के विधवा को न्याय नहीं मिला है। गोपालपुर निवासी स्वतंत्रता सेनानी स्व. कुलानंद झा की पत्‍‌नी मालती देव्या ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि मेरे पति ने 1942 के स्वतंत्रता संग्राम में काफी बढ़चढ़ कर कर हिस्सा लिया था। उस वक्त वह गोव‌र्द्धन साहित्य महाविद्यालय में हायर सैकेंडरी के छात्र थे। आंदोलन के क्रम में प्रमुख सेनानी मथुरा साह, धोकल महतो, गंगा साह, भुवनेश्वर पांडेय, जानकी नापित, जगन्नाथ झा सहित अन्य सहयोगियों के साथ सक्रिय रहने के कारण अग्रेजी हुकूमत की नजरों में आ गए। और अंग्रेज अधिकारी उन्हें पकड़ने के लिए उनके पीछे पड़ गये। इस कारण उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। आंदोलन को ओर तेज करने के दौरान जीआर 701/42 के तहत उनपर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया। उन्हें दो साल से अधिक दिन तक जेल की सजा काटनी पड़ी। बाहर निकलने के बाद भी वह भूमिगत होकर लगातार आंदोलन में सक्रिय रहे। लगातार केस और जेल का चक्कर काटने के कारण घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई। उन दिनों कई बार तो घर में दो वक्त का भोजन भी नहीं बन पाता था। इसी बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 42 के आंदोलन के दौरान जेल गये सभी स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन देने की घोषणा की। इससे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। सरकारी नियमानुसार पति ने आवेदन संख्या 19731/31.8.1981 में सारे कागजातों के साथ आवेदन देकर पेंशन राशि की मांग की। इसे संयुक्त बिहार सरकार के गृह विभाग की ओर से जाच के लिए उपायुक्त को भेजा गया। लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो पाई। झारखंड अलग होने के बाद पेंशन की आस जगी और बिहार सरकार ने संबंधित सारे कागजातों को 2006 में झारखंड सरकार को सौंप दिया। झारखंड गृह विभाग द्वारा देवघर उपायुक्त को जाच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया। लेकिन आज तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। अधिकारियों और नेताओं के कार्यालय का चक्कर लगा कर थक चुकी हूं। इसी बीच पति की लंबी बीमारी से 2008 में मौत हो गई। कहा कि अगर पति को जीवनकाल में सम्मान राशि मिलती तो शायद वह अभी जीवित रहते। सरकार अगर उनके साथ शीघ्र न्याय नहीं करेगी तो वह आत्मदाह कर लेंगी। इसकी जानकारी गृह विभाग को भी दे दी है।

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