ट्रासमिशन लाइन निर्माण के पचास फीसद काम पूरे

चतरा झारखंड-बिहार को ट्रासमिशन लाइन से जोड़ने वाला- पतरातू-बोधगया ट्रासमिशन लाइन का निर्माण कार्य 50 फीसद पूरा कर लिया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Nov 2020 01:02 PM (IST) Updated:Mon, 09 Nov 2020 01:04 PM (IST)
ट्रासमिशन लाइन निर्माण के पचास फीसद काम पूरे
ट्रासमिशन लाइन निर्माण के पचास फीसद काम पूरे

जासं, चतरा : झारखंड-बिहार को ट्रासमिशन लाइन से जोड़ने वाला- पतरातू-बोधगया ट्रासमिशन लाइन का निर्माण दोबारा किया जा रहा है। इसका पचास प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। तीन-चार माह के अंदर इस महत्वपूर्ण ट्रासमिशन लाइन का निर्माण पूरा हो जाने की संभावना है।

मालूम हो कि पतरातू थर्मल पावर प्लाट की स्थापना के बाद पतरातू बोधगया ट्रासमिशन लाइन का निर्माण किया गया था। यह इमरजेंसी ट्रासमिशन लाइन थी। इससे उस वक्त के एकीकृत बिहार के दक्षिण तथा मध्य हिस्से को जोड़ा गया था। इस इमरजेंसी ट्रासमिशन लाइन के निर्माण का उद्देश्य था कि अगर किसी वजह से एकीकृत बिहार के दक्षिणी या मध्य हिस्से में बिजली की किल्लत होती है तो उस स्थिति में इमरजेंसी ट्रासमिशन लाइन के माध्यम से किल्लत वाले क्षेत्र में बिजली पहुंचाई जा सके। पतरातू बोधगया ट्रासमिशन लाइन का निर्माण होने के बाद यह ट्रासमिशन लाइन तीस-चालीस वषरें तक पूरी तरह महफूज रही। इसी बीच बिहार झारखंड के बंटवारे के बाद राज्य के बार्डर पर ट्रासमिशन लाइन का एक टावर किसी वजह से गिर गया। गिरे टावर को लेकर झारखंड व बिहार राज्य के ट्रासमिशन लाइन विभाग के बीच विवाद उत्पन्न हो जाने से कई वर्षो तक ट्रासमिशन लाइन का नया टावर खड़ा नहीं किया जा सका। इस ट्रासमिशन लाइन में विद्युत की आपूíत वर्षो तक बाधित रही। इसी बीच गिरे हुए ट्रासमिशन लाइन के टावर पर चोरों की नजर पड़ गई। चोरों ने सैकड़ों किलोमीटर लंबे इस लाइन का पहले विद्युत तार काट कर गायब कर दिया। फिर धीरे-धीरे लोहे के टावर को भी काट कर ले गए। अब फिर से इस इमरजेंसी ट्रासमिशन लाइन का निर्माण शुरू किया गया है। वर्तमान समय में पतरातू से लेकर इटखोरी प्रखंड के मुरुमदाग गाव तक ट्रासमिशन लाइन में विद्युत तार लगा दिए गए हैं। तीन से चार महीने में बोधगया तक विद्युत तार लगाने का काम पूरा हो जाएगा।

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