बक्सा सिचाई परियोजना के जीर्णोद्धार से जल संरक्षण को मिला बल

संवाद सहयोगी इटखोरी(चतरा) दो वर्ष पहले तक बक्सा सिचाई परियोजना पूरी तरह बदहाल थी। बरसात

By JagranEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 06:08 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 06:08 PM (IST)
बक्सा सिचाई परियोजना के जीर्णोद्धार से जल संरक्षण को मिला बल
बक्सा सिचाई परियोजना के जीर्णोद्धार से जल संरक्षण को मिला बल

संवाद सहयोगी, इटखोरी(चतरा): दो वर्ष पहले तक बक्सा सिचाई परियोजना पूरी तरह बदहाल थी। बरसात का पानी इस सिचाई परियोजना के बक्सा जलाशय में संग्रहित नहीं हो पा रहा था। नहर के जर्जर रहने के कारण जलाशय का पानी यूं ही बहकर बर्बाद हो जाता था। लेकिन सिचाई परियोजना के जीर्णोद्धार के बाद अब बरसात का बूंद-बूंद पानी जलाशय में संग्रहित हो रहा है। जिससे जल संरक्षण को बल मिल रहा है। जल संरक्षण के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने वाले बक्सा सिचाई परियोजना का निर्माण 1978 में हुआ था। करीब 20 वर्ष तक यह सिचाई परियोजना फसलों को सिचाई का पानी उपलब्ध कराने से लेकर जल संरक्षण के मामले में भी महत्वपूर्ण सिचाई परियोजना बनी रही। लेकिन बाद में रखरखाव के अभाव के कारण इस सिचाई परियोजना की स्थिति दयनीय होती चली गई। वर्ष 2005 में बक्सा नहर के कुंडिलवा पुल के ध्वस्त हो जाने के बाद बक्सा सिचाई परियोजना पूरी तरह ठप हो गई थी। खेतों को सिचाई का पानी मिलना बंद हो गया था। इतना ही नहीं बरसात के दिनों में जो पानी बक्सा जलाशय में संग्रहित होता था वह जर्जर नहर के माध्यम से यूं ही जंगल में बहकर बर्बाद होने लगा था। इसी बीच 2017 में राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग ने बक्सा सिचाई परियोजना के जीर्णोद्धार की योजना बनाई। 59 करोड रुपए की लागत से इस सिचाई परियोजना की सभी नहरों का पक्कीकरण किया गया। बक्सा जलाशय के फाटक को भी दुरुस्त कर दिया गया। वर्तमान समय में बक्सा सिचाई परियोजना का एक बूंद पानी भी बर्बाद नहीं हो रहा है। जरूरत के हिसाब से फसलों को सिचाई का पानी उपलब्ध कराया जाता है। बाकी पानी बक्सा जलाशय में ही संग्रहित रहता है। मालूम हो कि बक्सा सिचाई परियोजना क्षेत्र में पानी के जल स्तर को बढ़ाने में भी आम भूमिका निभा रही है। बक्सा जलाशय के आस-पास के गांव में कुएं तथा हैंडपंप का जलस्तर अन्य क्षेत्रों के मुकाबले काफी ऊपर रहता है।

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