माता सिहासिनी की यात्रा पहुंची चिटो धाम

बलबीर सिंह जम्वाल किश्तवाड़ माता सिहासिनी की यात्रा सोल गांव से चिटो गांव के लिए गई जहां पर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 09 Jul 2019 07:17 PM (IST) Updated:Tue, 09 Jul 2019 07:17 PM (IST)
माता सिहासिनी की यात्रा पहुंची चिटो धाम
माता सिहासिनी की यात्रा पहुंची चिटो धाम

बलबीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़: माता सिहासिनी की यात्रा सोल गांव से चिटो गांव के लिए गई, जहां पर यात्रा की छड़ी का लोगों ने स्वागत किया।

सिंहासिनी माता की यात्रा पाडर के चिशोती गांव से चल कर सोमवार को सोल पहुंची थी, जहां पर रात को विश्राम करने के बाद यात्रा की छड़ी माता रानी के मंदिर के लिए दस किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करते हुए और माता के जयकारे लगाते हुए सभी यात्री चिटो माता के दरबार में पहुंचे, जहां पर स्थानीय लोगों ने छड़ी का स्वागत किया। बाद में छड़ी का त्रिशूल उठाए हुए माता के चेले ठाकुर लाल जी ने मंदिर की परिक्रमा की और उसके बाद त्रिशूल को मंदिर के अंदर रखा गया। उसके साथ ही यात्रियों ने माथा टेकना शुरू किया। इसके साथ ही मंदिर परिसर में एक कुड डांस का भी कार्यक्रम होता है, जिसमें सभी यात्री ढोल नगाड़ों की थाप पर कुड डांस करते हैं और माता के चेले चौकियां लेकर माता को प्रसन्न करते हैं। बुधवार को मंदिर में हवन यज्ञ और भजन कीर्तन होगा और वीरवार को यात्रा की छड़ी की वापसी होगी।

गौरतलब है कि चिटो गांव में माता सिहांसनी का मंदिर 300 साल से भी ज्यादा पुराना है, लेकिन इस मंदिर के अंदर कोई मूर्ति वगैरह नहीं है, सिर्फ दीवार पर एक लाल रंग का पर्दा टांगा हुआ है, इसके आगे लोग माथा टेकते हैं, पर्दे के पीछे क्या है उसे आज तक किसी ने भी नहीं देखा। कहा जाता है कि परदे के पीछे झांकने वाला अंधा हो जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि 300 साल पहले गांव में अकाल पड़ गया और लोग वहां से गांव छोड़कर पलायन करने को मजबूर थे, उस समय माता एक कन्या के रुप में बहाएं आइ और आकर गांव के लोगों को कहा कि अगर आप मेरा मंदिर इस गांव में बनाते हो तो इस आकाल से छुटकारा दिला सकती हूं। इलाका पहाड़ी होने के कारण लोगों ने कहा कि यहां पर मंदिर बनाने की कोई जगह नहीं है तो तब उस कन्या ने कहा की आप नीचे एक घर है, उस घर में जाकर धूप जलाओ और धूप का दुआं जहां निकलेगा वहीं पर मेरा मंदिर बनेगा। लोगों ने भी ऐसा ही किया जब एक घर के अंदर धूप जलाया गया तो धूप का धुआं उस घर के 200 मीटर दूर एक चट्टान से निकला, उन लोगों ने वहीं पर मंदिर बनाने का फैसला किया। तो उस कन्या ने फिर से लोगों को यह हिदायत दी कि जिस गुफा से धुआं निकला है उस गुफा के आगे एक पर्दा टांग दो और पर्दे के अंदर कोई भी नहीं झाकेगा। लोगों ने ऐसा ही किया और आज तक उस पर्दे के पीछे किसी ने भी नहीं देखा। यहां तक कि पर्दा पुराना होने पर मंदिर का पुजारी उसके ऊपर दूसरा पर्दा टांग देता है, अंदर वाला पर्दा पुराना होने के बाद अपने आप ही नीचे गिर जाता है। इस मंदिर की यह बहुत बड़ी मान्यता है। इसी मान्यता के चलते हिमाचल प्रदेश तथा और भी दूर-दूर से लोग चिटो गांव में माता के दरबार में अपनी मन्नत मांगने के लिए आते हैं।

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