कश्मीर समस्या के समाधान के लिए रायशुमारी जरूरी : रशीद

अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर में अमन देखना चाहते हैं तो उन्हें कश्मीर मसला हल करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 08 Jun 2017 11:27 AM (IST) Updated:Thu, 08 Jun 2017 11:27 AM (IST)
कश्मीर समस्या के समाधान के लिए रायशुमारी जरूरी : रशीद
कश्मीर समस्या के समाधान के लिए रायशुमारी जरूरी : रशीद

श्रीनगर, [राज्य ब्यूरो] । निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद ने बुधवार को कहा कि हमारा अलग निशान और विधान साबित करता है कि जम्मू-कश्मीर किसी भी तरह भारत का अटूट अंग नहीं है। कश्मीर समस्या के समाधान के लिए न सिर्फ नियंत्रण रेखा के इस तरफ बल्कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी रायशुमारी होनी चाहिए।

जवाहर नगर इलाके में स्थित एक पार्क में राज्य के ध्वजारोहण समारोह के बाद उन्होंने कहा कि सात जून 1952 को हमारी रियासत की संविधान सभा ने राज्य के ध्वज संबधी प्रस्ताव को पारित किया था। जिस तरह किसी मुल्क का अपना संविधान और अपना निशान होता है, उसी तरह हमारा अपना संविधान और निशान है।

आज हमारी रियासत का ध्वज दिवस है। लोगों को यह बताने के लिए जब तक कश्मीर मसले का हल नहीं होता, तब तक हमारे पास जो बचा है, उसका संरक्षण जरूरी है। हमने यह ध्वजारोहण समारोह मनाया है। हम हर साल यह दिवस मनाते हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को सात जून को पूरी रियासत में राजकीय अवकाश घोषित करते हुए राज्य के ध्वज व तराने को पूरा सम्मान देना चाहिए।निर्दलीय विधायक ने कहा कि कश्मीर मसले के हल के लिए एलओसी के दोनों तरफ बंटी जम्मू-कश्मीर रियासत में रायशुमारी जरूरी है, लेकिन तब तक रियासत की विशिष्ट पहचान को बचाए रखना जरूरी है।

उन्होंने पीडीपी और भाजपा पर राज्य के विशेष दर्जे को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह झंडा और हमारा संविधान साबित करता है कि हम हिंदोस्तान का अटूट अंग नहीं हैं। हम अपनी पहचान को बचाए रखने के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो माह में कश्मीर में आतंकवाद की समाप्ति के दावे पर अपनी प्रतिक्रिया जताते हुए निर्दलीय विधायक ने कहा कि मिलिटेंसी या आतंकवाद तो दिमाग में पैदा होता है। बंदूक उठाने वाला ही मिलीटेंट नहीं होता। दो माह में वह कितने लोगों को मार लेंगे, क्या वह कश्मीरियों के दिलो-दिमाग से आजादी और रायशुमारी की चाहत निकाल देंगे, नहीं।

अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर में अमन देखना चाहते हैं तो उन्हें कश्मीर मसला हल करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक रायशुमारी करानी चाहिए।

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