गंगबल तीर्थयात्रा में शामिल हुए कश्मीरी पंडित
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर घाटी में समुद्रतल से करीब 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित हरमु
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर घाटी में समुद्रतल से करीब 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित हरमुख-गंगबल झील की वाíषक तीर्थयात्रा में इस बार बड़ी संख्या में देश-विदेश से आए कश्मीरी पंडित श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यह तीर्थयात्रा 16 सितंबर को नारान नाग स्थित पौराणिक महत्व के शिव मंदिर में भगवान शिव की पवित्र छड़ी की पूजा के साथ शुरू हुई थी। यह मंदिर आठवीं शताब्दी में कारकोटा वंश के राजा ललितादित्य मुक्तापिदा ने बनवाया था।
तीन दिनों की यह तीर्थयात्रा हरमुख गंगा (गंगबल) ट्रस्ट (एचजीजीटी) और ऑल पार्टी माइग्रेंट कोआíडनेशन कमेटी (एपीएमसीसी) के बैनर तले संचालित की गई। एपीएमसीसी के अध्यक्ष विनोद पंडित के नेतृत्व में श्रद्धालु करीब 36 किलोमीटर की लंबी यात्रा कर गंगबल और हरमुख पर्वत पर पहुंचे। श्रद्धालु सोमवार को हरमुख पर्वत के आधार शिविर गंगबल में पवित्र छड़ी संग पहुंचे थे। श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों के अलावा देश की एकता व अखंडता की खातिर शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों की आत्मा की शांति के लिए भी पवित्र हरमुख गंगा जिसे गंगबल भी कहते हैं, पर आयोजित महाश्राद्ध में भाग लिया।
विनोद पंडित ने बताया कि हरमुख गंगबल कश्मीरी पंडितों का बड़ा तीर्थस्थान है। कश्मीरी पंडित हर साल हरमुख गंगा की यात्रा पर जाते थे और पवित्र झील में स्नान करने के बाद अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध में हिस्सा लेते थे। वर्ष 1947 के बाद यह क्रम किन्हीं कारणों से रुक गया था और वर्ष 2009 में इसे एचजीजीटी व एपीएमसीसी ने मिलकर दोबारा शुरू किया था।
हरमुख पहाड़ी की तलहटी में स्थित गंगबल झील करीब साढ़े तीन किलोमीटर लंबी और आधा किलोमीटर चौड़ी है। कई जगह झील की गहराई 80 मीटर भी है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, हरमुख भगवान शिव का निवास है। भाद्र माह के अष्टमी जिसे गंगाष्टमी कहते हैं, ¨हदू समुदाय के लोग अपने पूर्वजों की अस्थियां और अवशेष लेकर यहां झील पर पहुंचते थे। झील में स्नान करने के बाद वह उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते थे।