रंजीत सागर झील ने दिए केवल दर्द

संवाद सहयोगी बसोहली रंजीत सागर बांध ने तहसील के लोगों को जो दर्द दिया उस दर्द की ट

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 May 2019 06:12 PM (IST) Updated:Fri, 10 May 2019 06:12 PM (IST)
रंजीत सागर झील ने दिए केवल दर्द
रंजीत सागर झील ने दिए केवल दर्द

संवाद सहयोगी, बसोहली : रंजीत सागर बांध ने तहसील के लोगों को जो दर्द दिया उस दर्द की टीस आज भी यहां पर रहने वाले परिवारों के लोगों में निकलती है। लोगों को अपना वह हक आज तक नहीं मिला जिस को लेकर वह आये दिन धरना प्रदर्शन और जनप्रतिनिधियों के अलावा तहसील प्रशासन तक लगा चुके। बसोहली से लेकर कठुआ और बसोहली से लेकर पंजाब के जुगियाल में कई बार धरना प्रदर्शन लाठियां भी खाई मगर केवल आश्वासनों के बांध प्रभावितों को कुछ नहीं मिला। आज भी कई बांध प्रभावितों को थीन डैम कलेक्टर के बसोहली कार्यालय में आते जाते देखा जाता है। हर बार यही आस होती है कि हो सकता है अब की बार नया ऑर्डर आया हो हमारे परिवार के सदस्यों को रोजगार मिलेगा।

केवल खोया पाया नाममात्र

इस रंजीत सागर झील के बनने से लगभग 11 हजार 740 कनाल और 11 मरले जमीन झील में समाई 65 छोटे बड़े गांव मोड़ों के 1802 परिवारों के बसोहली से विस्थापित होने एवं सबसे ज्यादा उपजाऊ भूमि इसकी चपेट में आने के कारण क्षेत्र में कई चीजों जिनका उत्पादन इन जलमग्न गांवों में होता रहा उसके लिए कठुआ पठानकोट पर निर्भर होना पड़ा। बसोहली तहसील मुख्यालय पर कभी इन परिवारों के कारण खूब रौनक होती थी बसों में भीड़, सरकारी कार्यालयों में रौनक एवं मार्केट में खूब व्यापार होता रहा जो झील के बनने के बाद समाप्त हो गया। बांध बनने और झील के बनने के बाद कठुआ से दूध बसोहली आना शुरू हुआ जब कि पूर्व में यहां से कठुआ जाता रहा।

परिवार के हिसाब से मिले रोजगार

1998 में बांध प्रभावित उस समय परिवार कम थे जो उस समय 5 से 10 साल के थे अब वह विवाहित हैं। मगर समय के साथ साथ इन परिवारों की संख्या बढ़ गई जिसका आकलन किसी ने नहीं किया। मौजूदा समय में 800 परिवारों के सदस्य बांध में नौकरी के लिए कागज पूरे करने के बाद आस लगाए हुए हैं मगर उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है। विस्थापन के बदले लोगों को न तो पूरा रोजगार मिला जिसके लिए आज भी वह जद्दोजहद कर रहे हैं और न ही सही मुआवजा जो पंजाब और हिमाचल के लोगों को विस्थापित होने पर मिला।

किसी सरकार ने नहीं किए उपाय

राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को केवल एक बार 2012 में ही उठाया गया। इस के बाद बांध प्रभावितों को सब ने भुला दिया। आज 800 के करीब आवेदन पंजाब को रोजगार के लिये दिए गए हैं मगर कोई कार्रवाई नहीं।

थीन डैम कलेक्टर का पद भी खाली

पंजाब सरकार द्वारा बसोहली कस्बे में थीन डैम कलेक्टर का कार्यालय को इस लिये खोला गया कि मुआवजा एवं रोजगार के प्रति पंजाब सरकार से समय समय पर कार्रवाई की जा सके मगर पिछले तीन सालों से यह पद रिक्त पड़ा हुआ है और कार्यालय में भी नाममात्र कर्मचारियों को तैनात किया गया है। ऐसे में किसे सुनायें कौन सुनेगा।

कोट---

बांध प्रभावित परिवारों के चिन्हित परिवारों के सदस्यों को नौकरी दिलाने के लिए वह समय समय पर वैरिफकेशन कर रहे हैं और पंजाब सरकार से भी मिल रहे हैं। दो दिन बाद एक बार फिर रंजीत सागर बांध के मुख्य अभियंता से बैठक होगी जिसमें नए समझौते के अनुसार कार्रवाई करने की योजना बनाई जा रही है।

- तिलक राज थापा, एडीसी बसोहली

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