Jammu Kashmir: सड़कों की गुणवत्ता पर रहेगी नजर, रखरखाव की जिम्मेदारी तय करने के लिए तीसरे पक्ष के निरीक्षण को मंजूरी
सभी जिला सड़कों और राज्य राजमार्गों के लिए वैज्ञानिक और आवधिक स्वतंत्र निरीक्षण करने के लिए आंतरिक विभागीय इंजीनियरों और राष्ट्रीय स्तर के पैनल सलाहकार के माध्यम से निगरानी करने के लिए पीडब्ल्यू (आर एंड बी) विभाग में संरचित नियंत्रण तंत्र स्थापित किया जा रहा है।
श्रीनगर, जागरण संवाददाता। सड़क क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में सुधार और संपत्ति के उचित रखरखाव हेतु जिम्मेदारी तय करने के लिए, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में यहां हुई प्रशासनिक काउंसिल ने जम्मू और कश्मीर में तीसरे पक्ष के निरीक्षण को दिशा निर्देश की मंजूरी दे दी।
बैठक में उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान और राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता और उपराज्यपाल के प्रधान सचिव नितीश्वर कुमार ने भाग लिया।पीएमजीएसवाई योजना के तहत बनाए गए सड़क नेटवर्क के संबंध में स्थापित नियमों की तर्ज पर नए दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। तदानुसार, सभी जिला सड़कों और राज्य राजमार्गों के लिए वैज्ञानिक और आवधिक स्वतंत्र निरीक्षण करने के लिए आंतरिक विभागीय इंजीनियरों और राष्ट्रीय स्तर के पैनल सलाहकार के माध्यम से निगरानी करने के लिए पीडब्ल्यू (आर एंड बी) विभाग में संरचित नियंत्रण तंत्र स्थापित किया जा रहा है।सड़क क्षेत्र में गुणवत्ता रिपोर्ट में समयसीमा, कार्यों की खरीद के लिए बोली दस्तावेज और प्रभावी चयन प्रक्रिया तैयार करना, तकनीकी मानक के प्रवर्तन के माध्यम से सामग्री और कारीगरी पर गुणवत्ता नियंत्रणय और नियमित परीक्षण, निकट पर्यवेक्षण और निरीक्षण द्वारा गुणवत्ता नियंत्रण की आवश्यकता को भी निरीक्षण में शामिल किया गया है।
तंत्र में विस्तृत ड्राइंग और डिजाइन के आधार पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की तैयारी सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं, जिसमें जांच और पूर्व-निर्माण गतिविधियों पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है जो मानक आईएस के अनुसार परियोजना के उचित डिजाइन और अनुमान के लिए आवश्यक हैं। आईआरसी कोड ऑफ प्रैक्टिस और जेकेपीडब्ल्यूडी इंजीनियरिंग मैनुअल 2021 और विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए अन्य दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रासंगिक दिशानिर्देशों में ठेकेदारों की सिद्ध क्षमता और क्षमता के आधार पर कार्यों की खरीद के लिए बोली दस्तावेज और प्रभावी चयन प्रक्रिया तैयार करना, मुख्य रूप से परीक्षण के माध्यम से, साइट पर पर्यवेक्षण, सामग्री और कारीगरी सहित गुणवत्ता नियंत्रण उपायों को शुरू करके परियोजनाओं की निरंतर निगरानी शामिल हैं।
नए दिशानिर्देश मानक कोडल आवश्यकताओं के अनुसार स्वतंत्र गुणवत्ता परीक्षण करना अनिवार्य बनाते हैं और यह सत्यापित करते हैं कि गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली अपने इच्छित उद्देश्यों को प्राप्त कर रही है। वे ठेकेदारों को भुगतान जारी न करने का भी निर्देश देते हैं जब तक कि गुणवत्ता मॉनिटर द्वारा कार्यों का निरीक्षण और संतोषजनक ग्रेडिंग नहीं की जाती है।इसके अलावा, डिजाइन, निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण निदेशालय, जिसके पास डिजाइनिंग और गुणवत्ता नियंत्रण काे भी रिपोर्ट में शामिल किया गया है। पीडब्ल्यू और आरएंडबी विभाग के समग्र पर्यवेक्षण के तहत स्वतंत्र रूप से गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी होगी।तृतीय पक्ष निरीक्षण प्रणाली के लागू होने से सड़क क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों व योजनाओं के तहत निष्पादित कार्यों की गुणवत्ता की जांच की जाएगी और विभिन्न एजेंसियों के लिए जिम्मेदारियां तय की जाएंगी।