अज्ञानता की आड़ में लाउडस्पीकर प्रतिबंध को दी जा रही सियासी हवा, 2021 में जारी किया था प्रतिबंध का आदेश

आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि बिना प्रशासनिक अनुमति कोई इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता और हर लाउडस्पीकर में साउंड लिमिटर लगाना होगा ताकि दिन के समय भी इनकी आवाज ध्वनि प्रदूषण न करें और जनता परेशान न हो।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sat, 21 May 2022 09:06 PM (IST) Updated:Sat, 21 May 2022 09:06 PM (IST)
अज्ञानता की आड़ में लाउडस्पीकर प्रतिबंध को दी जा रही सियासी हवा, 2021 में जारी किया था प्रतिबंध का आदेश
स्पष्ट कहा गया था कि कोई भी विक्रेता बिना साउंट लिमिटर लगे लाउडस्पीकर की बिक्री नहीं कर सकता।

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू नगरनिगम की ओर से गत दिनों सभी धार्मिक व सार्वजनिक स्थलों पर रात दस बजे से लेकर सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद सियासत लगातार तेज होती जा रही है लेकिन वास्तविकता यह है कि जम्मू-कश्मीर में करीब एक साल पहले दो फरवरी 2021 को वन व पर्यावरण विभाग की ओर से जारी आदेश के तहत सभी धार्मिक व सार्वजनिक स्थलों पर लाउडस्पीकर प्रतिबंध लगाया गया था।

आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि बिना प्रशासनिक अनुमति कोई इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता और हर लाउडस्पीकर में साउंड लिमिटर लगाना होगा ताकि दिन के समय भी इनकी आवाज ध्वनि प्रदूषण न करें और जनता परेशान न हो। वन विभाग की ओर से जारी आदेश संख्या तीस में स्पष्ट कहा गया था कि कोई भी विक्रेता बिना साउंट लिमिटर लगे लाउडस्पीकर की बिक्री नहीं कर सकता। यहां तक कि बिना साउंड लिमिटर वाले लाउडस्पीकर सरकारी इमारतों में भी इस्तेमाल नहीं हो सकते।

आदेश तो हर चीज स्पष्ट की गई थी और प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर इसे लागू करने व इसे लेकर जागरूकता लाने की जिम्मेदारी थी जो बोर्ड ने नहीं निभाई। बोर्ड की ओर से पिछले साल मात्र एक सार्वजनिक सूचना जारी कर अपनी जिम्मेदारी निभाई गई। यहीं कारण है कि करीब डेढ़ साल पहले आदेश लागू होने के बावजूद आज तक इसे प्रभावी नहीं बनाया गया जिससे अब नगर निगम में प्रस्ताव पारित होने के बाद कुछ दलों को इस पर सियासत करने का मौका मिल रहा है।

वकीलों का क्या है तर्क : एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। जम्मू-कश्मीर में बिना साउंट लिमिटर के कोई लाउड स्पीकर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह सभी धर्मों पर लागू है लेकिन एक विशेष धर्म के लोग इसे उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का नाम देकर तूल दे रहे हैं जोकि गलत है। ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण फैसला हर हाल में कठोरता से और सब पर लागू होना चाहिए।

वहीं एडवोकेट राजेंद्र जम्वाल ने कहा कि लाउडस्पीकर प्रतिबंध के मामले में धर्म को नहीं लाया जाना चाहिए। यह पूरी तरह से गलत है। नगरनिगम का फैसला सब पर लागू होगा। हर धर्म के लोगों को इसे मानना चाहिए। यह फैसला आम लोगों को राहत देने वाला है। इसे लेकर जागरूकता लाने की जरूरत है और सबको साथ मिलकर इस लाभकारी फैसले को लागू करवाना चाहिए। इस पर सियासत नहीं होनी चाहिए।

chat bot
आपका साथी