जंस्कार में आपदा का खतरा टला, ऑपरेशन फुक्तल कामयाब

राज्य ब्यूरो, जम्मू : लद्दाख के जंस्कार में फुक्तल में उत्तराखंड की तरह प्राकृतिक आपदा आने का खतरा ट

By Edited By: Publish:Wed, 01 Apr 2015 07:06 PM (IST) Updated:Wed, 01 Apr 2015 07:06 PM (IST)
जंस्कार में आपदा का खतरा टला, ऑपरेशन फुक्तल कामयाब

राज्य ब्यूरो, जम्मू : लद्दाख के जंस्कार में फुक्तल में उत्तराखंड की तरह प्राकृतिक आपदा आने का खतरा टल गया है। सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की टीम ने दुर्गम हालात अभियान चलाकर नदी का बहाव रुकने से बनी कृत्रिम झील से पानी निकलने का रास्ता बना दिया है।

फुक्तल में भूस्खलन से जंस्कार नदी का बहाव रुकने से बनी कृत्रिम झील में हजारों टन पानी, बर्फ की झील बन गई थी। खतरा मंडरा रहा था कि पानी ने अगर कृत्रिम बांध तोड़ दिया तो जंस्कार में खासा नुकसान हो जाएगा। ऐसे में इस चुनौती को फरवरी माह में राष्ट्रीय संकट मानकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के चार अधिकारियों की टीम, सेना की चौदह कोर व वायुसेना की टीम ने तेरह हजार फीट की उंचाई पर अभियान छेड़ दिया था। वायुसेना ने टीम के सदस्यों व सामान को दुर्गम क्षेत्र तक पहुंचाने में सराहनीय योगदान दिया।

कृत्रिम झील जंस्कार के पदम इलाके से 100 किलोमीटर की दूरी पर बनी थी। पंद्रह किलोमीटर के इलाके में फैली कृत्रिम झील में 30 मिलियन क्यूबिक फीट पानी था और शून्य से नीचे तापमान में जमा पानी पिघलने की स्थिति में कृत्रिम बांध टूटना तय था। इससे भारी नुकसान होना भी तय था।

ऐसे में तय योजना के तहत सेना, एनडीएम की टीम ने शून्य से 25 डिग्री कम तापमान में डेढ़ सौ किलोग्राम विस्फोटकों का इस्तेमाल कर कृत्रिम बांध के बीच में से पानी निकलने का रास्ता तैयार कर लिया। दो कैंप स्थापित किए गए थे। एक कैंप उस स्थान के पास था जहां कृत्रिम झील बनी थी। पानी निकलने के लिए 75 मीटर लंबी, दो मीटर गहरी व दो मीटर चौड़ी चैनल तैयार की गई। इस नाले से पानी निकला शुरू हो गया व इस समय भी पानी के बहाव पर नजर रखी जा रही है।

वायुसेना की मदद के बिना अभियान को पूरा करना संभव नहीं था। आपरेशन फुक्तल के दौरान वायुसेना के विमानों ने करीब पांच सौ उड़ाने भरी। कुल 300 घंटे की उड़ान के दौरान 38 टन सामना को मौके पर पहुंचाया गया। इस अभियान को पूरा करने के बाद टीम के सदस्यों ने राहत की सांस ली। अप्रैल महीने में इलाके में तापमान में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए पानी का रास्ता मार्च माह में बनाने का लक्ष्य था। इसे कड़ी मेहनत से हासिल किया गया।

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