जागो रे 2.0 भारत में पूर्व-सक्रियतावादी अभियान को देगा बढ़ावा

यह देखने को मिला है कि महिलाओं के प्रति सम्मान में कमी और उन्हें कमजोर मानना उनके खिलाफ हिंसा बढ़ने की एक अहम वजह है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Wed, 05 Jul 2017 12:22 PM (IST) Updated:Wed, 05 Jul 2017 06:00 PM (IST)
जागो रे 2.0 भारत में पूर्व-सक्रियतावादी अभियान को देगा बढ़ावा
जागो रे 2.0 भारत में पूर्व-सक्रियतावादी अभियान को देगा बढ़ावा

भारत 22 जून 2017: टाटा टी ने इस साल की शुरुआत में अपना प्रतिष्ठित अभियान जागो रे 2.0 अलार्म बजने से पहले जागो रे का शुभारम्भ किया था जिसके माध्यम से लोगों से किसी हादसे से पहले कार्रवाई करने की अपील की गई थी। अब यह अभियान दूसरे चरण में प्रवेश कर रहा है, जिसमें लोगों से उन बदलावों की अगुआई करने की अपील की जा रही है, जिसे वह देखना चाहते हैं। अभियान के पहले चरण में लोगों की प्रतिक्रियाशील प्रवृत्ति का प्रदर्शन किया गया था और सक्रियता का एक नया रूप पूर्व- सक्रियतावाद की अवधारणा पेश की गई थी, वहीँ दूसरे चरण का उद्देश्य मौजूदा समय में देश के पीड़ादायक मसलों– महिला सुरक्षा एवं खेलों को प्रोत्साहन देने सम्बंधी प्रार्थना पत्र पर हस्ताक्षर कर पूर्व-कार्रवाई और व्यवहारिक बदलाव के लिए लोगों को प्रेरित करना है।

टाटा टी का मानना है कि महिलाओं की सुरक्षा सम्बन्धी गंभीर मसले को तब तक खत्म नहीं किया जा सकता, जब तक इस समस्या के मूल कारणों को खत्‍म नहीं किया जाता, जो हमारे ऊपर हैं। महिलाओं के प्रति सम्मान में कमी और उन्हें कमजोर मानना उनके खिलाफ हिंसा बढ़ने की एक अहम वजह है। इसलिए महिलाओं की सुरक्षा के प्रति टाटा टी के इस अनुग्रह को स्कूल और पाठ्यक्रमों में लिंग संवेदीकरण के तहत अनिवार्य बनाना चाहिए, ताकि बच्चों को यह सिखाया जा सके कि पुरुषों और महिलाओं दोनों का समान रूप से सम्मान करना चाहिए। प्रत्येक प्रार्थना पत्र के बाद माता-पिता से शपथ ली जाएगी कि वे खुद लैंगिक संवेदनशीलता को अपनाएंगे और अपने बच्चों को उसकी शिक्षा देंगे।

खेलों के लिए टाटा टी का यह मानना है कि भारत में पहले खेलकूद की संस्कृति बनाने की जरूरत है और उसके बाद ही हम एक महान खेल राष्ट्र बनाने की उम्मीद कर सकते हैं। टाटा टी लोगों से अपील करता है कि वह इसमें भाग लें और कम से कम एक स्थानीय खेल आयोजन में सहयोग करें और अपने बच्चों को इन खेल आयोजनों में से किसी भी स्तर पर, वहां ले जाएं।

जागो रे 2.0 अभियान के नए चरण पर प्रतिक्रिया करते हुए टाटा ग्लोबल बेवरिजेज के रीजनल प्रेसिडेंट– इंडिया श्री शुशांत दास ने कहा- 'पूर्व-सक्रियता पर शुरुआती स्तर पर ही समस्या को दूर किया जा सकता है। हमें इस दृष्टीकोण में बदलाव लाने की जरूरत है और अपने बच्चों को उनके समग्र विकास के लिए खेलों में हिस्सा लेने और यहां तक की उन्हें कि उन्हें एक व्यवहार्य करियर विकल्प के तौर पर इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।'

इसी मुद्दे पर डॉ रंजना कुमारी ने भी प्रकाश डाला जो महिला अनुसंधान केंद्र (सी.एस.आर.) की निदेशक हैं, महिला पावर कनेक्ट (डब्लूपीसी) की अध्यक्ष और भारत के एकमात्र लॉबिंग संगठन की एक अखिल भारतीय महिला है।


खेल पर दबाव डालते हुए भारत की पहली महिला जिमनास्ट दीपा कर्मकार ने भी लोगों को खेल को बढ़ावा देने को कहा। दीपा एक कलात्मक जिमनास्ट हैं, जिन्होंने 2016 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

अंत में शुशांत दास, डॉ रंजना कुमारी और दीपा कर्मकार ने इस याचिका पर हस्ताक्षर कर इस अभियान को आगे बढ़ाने की गुजारिश की।

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