मुख्यमंत्री जी! जहां जिदा लोगों को पड़ती है चार कंधों की जरूरत

यह जरूरी नहीं कि मृतक को ही चार कंधों की जरूरत पड़ती है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Sep 2019 07:45 PM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 06:42 AM (IST)
मुख्यमंत्री जी! जहां जिदा लोगों को पड़ती है चार कंधों की जरूरत
मुख्यमंत्री जी! जहां जिदा लोगों को पड़ती है चार कंधों की जरूरत

सुरेश बसन, ऊना

यह जरूरी नहीं कि मृतक को ही चार कंधों की जरूरत पड़ती है। कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं कि जिंदा इंसान को भी चार कंधों के सहारे की जरूरत पड़ जाती है। ऐसे में चारपाई पर लेटे व्यक्ति व उसको सहारा दे रहे लोगों का मर्ज उस वक्त बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जब इन हालात की जिम्मेदार सरकार व प्रशासन हो।

यहां बात हो रही है अम्ब क्षेत्र के ज्वार पंचायत के नारी गांव की। यह गांव आज भी पक्के रास्ते की सुविधा से वंचित है। कच्चा रास्ता हर रोज ग्रामीणों की परीक्षा लेता है। जब कोई बीमार हो जाता है तो उसे चारपाई पर डालकर मुख्य रास्ते तक पहुंचाना पड़ता है। क्योंकि जो रास्ता इन ग्रामीणों के नसीब में है, वह इतना उबड़ खाबड़ है कि उस पर वाहन चलाना तो दूर की बात, पैदल चलना भी बहुत मुश्किल है। सरकार व प्रशासन ने इस रास्ते की ओर आज दिन तक ध्यान नहीं दिया। कई बार ग्रामवासियों ने सरकार व प्रशासन को अवगत कराया लेकिन किसी को तरस तक नहीं आया। हाल ही में नारी वासियों द्वारा केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, विधायक बलवीर चौधरी तथा जिला प्रशासन को लिखित में इस समस्या के बारे में बताया गया था लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

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300 लोगों का भविष्य भी दाव पर

ज्वार के गांव नारी में लगभग 300 लोग रहते हैं। जबकि इसके साथ लगते गांवों की आबादी को मिला लें तो यह आंकड़ा और अधिक हो जाएगा। गांव आज भी सड़क न होने के कारण पिछड़ा हुआ है। गांव में आने जाने के लिए पक्का रास्ता ही नहीं है। जहां बरसात के दिनों में किसी गर्भवती अथवा बीमार को किसी स्वास्थ्य संस्थान पर ले जाने के लिए सड़क तक आज भी चारपाई व चार आदमियों की तरफ ही देखना पड़ता है। दूसरी सबसे ज्यादा समस्या बच्चों के लिए पेश आती है। कुल मिलाकर बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी का भविष्य 700 मीटर सड़क के निर्माण पर टिका है। इस रास्ते के न बनने के कारण इन लोगों को या तो जान हथैली पर रखकर कच्चे रास्ते से जाना पड़ता है या फिर लगभग 15 किलोमीटर कई गांवों से होकर गुजरने वाले अतिरिक्त कच्चे पक्के एवं खड्डों भरे रास्ते से मुख्य गांव तक पहुंचना पड़ता है।

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सड़क निर्माण में यह है अड़िगा

नारी ग्रामवासियों के लिए मात्र 700 मीटर यानी एक मिलोमीटर के लगभग सड़क का मामला पंचायत व गांववासियों ने पहले भी सरकार के आगे कई बार उठाया है लेकिन आज तक समाधान नहीं हुआ। जहां पर सड़क का निर्माण होना है वहां लगभग कुछ जमीन रिजर्व जंगल (वन विभाग) की पड़ती है। जो सड़क रिजर्व जंगल से होकर बनेगी उसके लिए लंबाई व चोड़ाई आदि का काम पीडबल्यूडी ने पूरा कर लिया है लेकिन अब वन विभाग सड़क बनाने कि अनुमति यानी एनओसी नहीं दे रहा है जिसके चलते यह गांव धरोहर गांव राजपुर जसवां के मख्य मार्ग से नहीं जुड़ रहा है। पक्की सड़क न होने के कारण बारिश या बरसात के मौसम में स्थानीय लोगों का अपने घरों तक पहुंचना बहुत ही कठिन हो जाता है।

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सड़क बनाने के मामले में जो भी औपचारिकताएं हुई हैं या होनी है, उनके बारे में संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट ली जाएगी। तत्काल प्रभाव से सड़क बनाई जाएगी।

-बलवीर चौधरी, विधायक, चिंतपूर्णी।

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