इन्होंने सुनी बेजुबानों की आवाज

लॉकडाउन में सोलन की हमारी आकांक्षा संस्था ने लावारिस कुत्तों को न

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 09:48 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 09:48 PM (IST)
इन्होंने सुनी बेजुबानों की आवाज
इन्होंने सुनी बेजुबानों की आवाज

तंत्र के गण

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-लॉकडाउन में सोलन की 'हमारी आकांक्षा संस्था' ने लावारिस कुत्तों को नहीं रहने दिया भूखा सुनील शर्मा, सोलन

पूरा देश जब लॉकडाउन के दौरान घरों में बंद था तो प्रदेश के फ्रंटलाइन वर्करों की मदद के बारे में ही अधिकतर लोग सोच रहे थे। हालांकि कुछ ऐसे लोग और संस्थाएं भी थीं, जिन्हें उन बेजुबानों की फिक्र थी जो लॉकडाउन में भूखे थे। ये बेजुबान पेट भरने के लिए पूरी तरह लोगों पर ही निर्भर थे, लेकिन उन दिनों लोग घरों में ही थे। इस दौरान सोलन में दो साल पूर्व शुरू की गई हमारी आकांक्षा संस्था ने कुत्तों की मदद में कोई कसर नहीं छोड़ी। बाजार बंद होने के कारण लावारिस कुत्तों को खाना नहीं मिल पा रहा था। हमारी आकांक्षा संस्था ने सोलन में स्ट्रीट डॉग्स के लिए खाने का प्रबंध किया। संस्था की टीम रोजाना सैकड़ों कुत्तों को खाना देती थी।

संस्था की संचालक प्रेरणा शर्मा की इकलौती बेटी का देहांत दो वर्ष पहले हो गया था। आकांक्षा मुंबई में फिल्म जगत से जुड़ी थी। वह एक डॉग लवर भी थी। कुत्तों के प्रति बेटी के प्यार को ही उसकी मां प्रेरणा शर्मा ने आगे बढ़ाया और बेटी के निधन के बाद उन्होंने हमारी आकांक्षा संस्था को शुरू किया। प्रेरणा ने बताया कि शुरू में उन्होंने इस संस्था को बेटी के बैंक अकाउंट में पड़े करीब डेढ़ लाख रुपये की मदद से शुरू किया था। लॉकडाउन के दौरान रोजाना कुत्तों के खाने पर करीब एक हजार रुपये तक का खर्च आया। उन्होंने लावारिस कुत्तों को ब्रेड, दूध, फ्रूट केक आदि खाने के लिए दिए।

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अब घर भी दांव पर

प्रेरणा शर्मा ने बताया कि उनका सोलन के शामती में अपना घर है। कुत्तों की मदद के लिए वह एक बड़ा घर बनाना चाहती हैं, जिसमें कुत्तों के लिए अस्पताल भी हो। प्रेरणा ने बताया कि इस अस्पताल व परिसर के लिए उन्होंने अपना घर बेचने की योजना बनाई है। प्रेरणा ने बताया कि हमारी संस्था लावारिस कुत्तों की मदद के साथ लोगों को रोजगार भी देगी। इनका काम फीड करवाना, लावारिस कुत्तों को पकड़ना, उनका इलाज करवाना होगा।

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भूख से कुत्ते हो सकते थे हिसक

प्रेरणा शर्मा ने कहा कि उन्होंने लॉकडाउन में इन बेजुबानों के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। कई दिन तक भूखे रहने पर कुत्ते हिसक भी हो सकते थे और लोगों पर हमला कर सकते थे। उन्हें भोजन दिया तो उन्होंने किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया। प्रेरणा ने बताया कि हमारी कोशिश है कि शहर में कोई कुत्ता भूख व बिना इलाज के न मरे। हम इनके लिए फिलहाल अस्थायी ठिकाना बना रहे हैं। संस्था अब भी नियमित 60 से 80 कुत्तों को खाना खिला रही है।

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