छावनी क्षेत्र के लोगों को मुख्यमंत्री से राहत की आस

आर्मी-सिविलियन विवाद पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Apr 2018 03:00 AM (IST) Updated:Tue, 17 Apr 2018 03:00 AM (IST)
छावनी क्षेत्र के लोगों को मुख्यमंत्री से राहत की आस
छावनी क्षेत्र के लोगों को मुख्यमंत्री से राहत की आस

जागरण संवाददाता, नाहन : आर्मी-सिविलियन विवाद पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया है। सिरमौर प्रवास के दौरान स्थानीय विधायक व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने पाच हजार से अधिक लोगों की आजीविका सहित जमीन प्रभावित होने पर इस मसले का हल जल्द करवाने की माग रखी थी। मुख्यमंत्री ने नाहन चौगान मैदान में मंच से घोषणा की थी कि बहुत जल्द इस समस्या से प्रभावित लोगों को राहत दिलवाई जाएगी।

नाहन शहर का एक बहुत बड़ा क्षेत्र नाहन कैंट यानी छावनी क्षेत्र में आता है। यहा रियासतकाल से ही सैकड़ों परिवार रह रहे है। 1987 से पहले एचपी टैनेंसी एंड लैंड रिफार्मस एक्ट-1972 के सेक्शन-4 का सब सेक्शन-9 नहीं था। 1978 में जब इस जमीन का इतकाल हुआ तो जो जमीन प्रदेश सरकार से आर्मी को ट्रासफर होनी थी, उस दौरान इस जमीन के कुछ हिस्से पर वे लोग रह रहे थे, जो मुजारे थे। अब यदि एक्ट की बात की जाए तो 1978 में ही इन मुजारों को मालिक बन जाना चाहिए था। मगर प्रदेश के रेवेन्यू विभाग ने बड़ी गलती करते हुए इसे अनावश्यक रूप से खारिज कर दिया, जबकि ऐसा हो नहीं सकता था। जो मुजारे थे, उनको माल महकमे ने एनक्रोचर दिखा दिया। फिर 1987 में ही 104 का सब रूल 9 लागू हुआ तो उसके तुरत बाद 1988 में यह जमीन रेवेन्यू विभाग ने आर्मी को ट्रासफर कर दी। साथ ही यह भी उस सब सेक्शन नौ में यह प्रावधान दिखा दिया कि कोई भी सरकार लैंड टैनेंसी व लैंड रिफार्मस एक्ट में मुजारे को ट्रांसफर नहीं हो सकती। इस प्रकार जो लोग सैकड़ों वर्षो से जमीन की देखभाल व अपनी रोजी रोटी कमा रहे थे। उनको उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया। बस यहीं से यह विवाद जोर पकड़ता चला गया। आज उस गलती के कारण पाच हजार से भी अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं।

हाईकोर्ट ने क्या कहा मामले में

आरसी बेग वर्सिज स्टेशन कमाडर नाहन कैंट के मामले में हाईकोर्ट ने 67 पृष्ठों की जजमेंट में साफ तौर से कहा कि यह एक्ट बाद में लागू हुआ है। उससे पहले ये लोग यहा रह रहे थे। उनको उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। हालांकि कई सरकारे आई और गई सैकड़ों बैठकें प्रशासन के साथ आर्मी-सिविलियन की होती रहीं, लेकिन हल अभी तक नहीं निकला। पूर्व सरकार ने काफी हद तक समस्या का हल निकालते हुए विवादित जमीन के बदले उतनी ही जमीन आर्मी को ट्रासफर कर देने की तैयारी भी कर ली थी। सरकार बदलने के बाद अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर निर्भर है कि वह क्या कार्रवाई करते हैं। आर्मी के उच्चाधिकारियों ने प्रदेश में कहीं भी बदले में जमीन लेने पर सहमति दे दी है, जबकि जिला प्रशासन ने 97 एकड़ जमीन का चयन भी कर लिया है।

chat bot
आपका साथी