डाकिया डाक लाया.. खुशी का पैगाम लाया

स्पीति घाटी धरती पर सबसे ऊंचे ठिकानों में से एक है- जहा आबादी है..बंजर पहाड़ हैं..खतरनाक

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Nov 2019 08:07 PM (IST) Updated:Sat, 16 Nov 2019 08:08 PM (IST)
डाकिया डाक लाया..
खुशी का पैगाम लाया
डाकिया डाक लाया.. खुशी का पैगाम लाया

स्पीति घाटी धरती पर सबसे ऊंचे ठिकानों में से एक है- जहा आबादी है..बंजर पहाड़ हैं..खतरनाक दर्रे हैं और बलखाती नदिया हैं। करीब पाच हजार मीटर की ऊंचाई पर पहुंचकर आपको महसूस होगा कि आप पहाड़ी रेगिस्तान में पहुंच गए हैं..किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं। प्रकृति की अजब कलाकारी के साथ-साथ यहां हर चीज आपके रोमांच को दोगुना बढ़ा देती है। यहीं पर स्थित है दुनिया का सबसे ऊंचा पोस्ट ऑफिस। यह पोस्ट ऑफिस लाहुल-स्पीति जिले की स्पीति घाटी के सबसे छोटे से गांव हिक्किम में है। यह पोस्ट ऑफिस आसपास के कई गावों के लोगों को बाकी दुनिया से जोड़ता है। लोग यहा अपनी चिट्ठिया डालने और पैसे जमा कराने आते हैं। कई ऐसे सैलानी भी होते हैं जो दुनिया के सबसे ऊंचे पोस्ट ऑफिस से बाकी दुनिया को चिट्ठी के जरिये संदेश भेजते हैं।

यहां के पोस्टमास्टर कहते हैं कि वह उस समय से इसे चला रहे हैं जब 1983 में यह खुला था। कहते हैं कि बाबू जी यह बहुत मुश्किल काम है। सड़कें न होने के कारण पैदल ही डाल लानी व ले जानी पड़ती है। भारी बर्फबारी के दौरान पोस्ट ऑफिस साल के छह माह के लिए बंद रहता है।

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छोटे संदेश के लिए बड़ा सफर डिजिटल दुनिया के युग में बेशक पत्रों का महत्व कम हुआ हो लेकिन कई बार अन्य संचार साधनों के कट जाने से यहां डाक का महत्व कम नहीं हुआ है। लोगों तक अपनों के इस संदेश को पहुंचाने का काम भी किसी जोखिम से कम नहीं है। दो डाकिये रोजाना 46 किलोमीटर पैदल सफ़र करके डाक लाते-ले जाते हैं। ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्तों और विशाल चरागाहों से रास्ता तय करके डाकिये स्पीति घाटी के शहर काजा तक पहुंचते हैं। काजा सड़क मार्ग से राज्य और देश के दूसरे हिस्सों से जुड़ा है। यहा से डाक बसों के जरिये पहाड़ी सड़कों से होती हुई हिमाचल के दूसरे हिस्सों तक भेजी जाती है और वहा से लाई जाती है। हिक्किम का पोस्ट यह पोस्ट ऑफिस चार-पाच गांवों के लिए काम करता है। यह गांव भी बहुत कम आबादी वाले हैं। यहा मोबाइल फोन बमुश्किल काम करता है। इंटरनेट तो है ही नहीं। हिक्किम डाकघर से जुड़ा गाव है कोमिक। यह चार हजार 587 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कोमिक गांव सड़क से जुड़े हुए दुनिया के सबसे ऊंचे गावों में से एक है। कोमिक में केवल 13 घर हैं। एक स्कूल है। एक पुराना बौद्ध मठ है. खेती लायक जमीन बहुत थोड़ी-सी है जिसमें जौ और मटर की खेती होती है। बड़े दिल वाले हैं यहा के लोग स्पीति घाटी के गाव अक्सर बाकी देश से साल के छह महीने कटे रहते हैं। बर्फबारी की वजह से सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। सफर बड़ा जोखिम भरा हो जाता है, लेकिन कायम रहता है यहां के लोगों का हौसला। घाटी के लंगजा गाव के एक घर में गए, तो घर की एक महिला ने कहा कि उसकी जिंदगी बेहद शातिपूर्ण है। उसे इन कुदरती चुनौतियों से फर्क नहीं पड़ता है। यहां अधिकतर लोग बौद्ध धर्म को मानने वाले ही रहते हैं। भारत के सबसे पुराने बौद्ध मठों में से कुछ यहा हैं। इनमें से कई मठ तो एक हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं। स्पीति घाटी में सबसे बड़ा बौद्ध मठ है। यह मठ स्पीति नदी के किनारे चार हजार 166 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मेल-जोल के ठिकाने हैं मठ यह बौद्ध मठ स्पीति घाटी की धार्मिक, सास्कृतिक और सामाजिक परंपरा का अटूट हिस्सा हैं। दुनिया से अलग-थलग इन गावों के लिए ये मठ मेलजोल का जरिया हैं। यहां सभी लोग इकट्ठे होकर प्रार्थना करते हैं। कोमिक मठ के बौद्ध भिक्षु सदियों पुरानी परंपरा का पालन करते हैं। विदेश में सफर करने के लिए उन्हें अपना पासपोर्ट और वीजा बनवाने में हिक्किम का डाकघर उनकी मदद करता है।

-अजय बन्याल, सहायक लोक संपर्क अधिकारी

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