संसाधन हिमाचल के, पानी पर दूसरे का हक

हिमाचल के जल संसाधन से बड़े बांध तो बन गए, लेकिन अब हमें ही इससे पानी उपयोग करने के लिए एनओसी लेनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Feb 2019 09:21 PM (IST) Updated:Thu, 14 Feb 2019 09:21 PM (IST)
संसाधन हिमाचल के, पानी पर दूसरे का हक
संसाधन हिमाचल के, पानी पर दूसरे का हक

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल के जल संसाधन से बड़े बांध तो बन गए, लेकिन अब हमें इससे पानी उपयोग करने के लिए एनओसी लेनी पड़ रही है। यह मामला सदन में गैर सरकारी संकल्प के जरिये उठा। पांवटा के विधायक सुखराम चौधरी ने इस संबंध में संकल्प पेश किया। जवाब में मंत्री महेंद्र ¨सह ने माना कि पानी, नदियां व जमीन हिमाचल के होते हुए भी लोगों को अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। पानी का लेवल कम हो रहा है। बांधों के बारे में आजादी से पहले व बाद में समझौते हुए। पानी की योजनाओं पर हिमाचल को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में हिमाचल के लोगों के हित कैसे सुरक्षित रह पाएंगे। बांधों का जो पैसा बनता है, पंजाब सरकार उसे दे तक नहीं रही है। रेणुका बांध को लेकर मौजूदा सरकार का फैसला सराहनीय है। हिमाचल के हितों के लिए ऐसे फैसले लेना जरूरी है।

केंद्र से उठाया जाए मामला : पठानिया

नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया ने कहा कि हिमाचल के हितों को बेचकर बड़े बांध बने, लेकिन अब उनका पानी उपयोग करने को अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। इस मामले को केंद्र के समक्ष उठाया जाए। ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने कहा कि पानी की समस्या को लेकर आयोग बनाया जाए जो पानी के लेवल व बचाव के लिए जरूरी कदमों की रिपोर्ट तैयार करें। देहरा के विधायक होशियार ¨सह ने कहा कि बीबीएमबी ईस्ट इंडिया कंपनी बन गई है। उसके पानी व जमीन पर हमारा कोई हक नहीं है। नगरोटा बगवां के विधायक अरुण कुमार ने कहा कि डैमों से 15 फीसद पानी छोड़ने के आदेश हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है। कांग्रेस विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने बड़सर विधानसभा क्षेत्र के लिए गोबिंद सागर से पानी उठाने की मांग उठाई।

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