छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआइ जल्द दर्ज कर सकती है केस

राज्य ब्यूरो, शिमला : 215 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले पर अब देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबी

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Nov 2018 08:57 PM (IST) Updated:Wed, 14 Nov 2018 08:57 PM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआइ जल्द दर्ज कर सकती है केस
छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआइ जल्द दर्ज कर सकती है केस

राज्य ब्यूरो, शिमला : 215 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले पर अब देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआइ का पहरा लग गया है। सीबीआइ इस मामले में जल्द केस दर्ज करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार सीबीआइ की टीम इस संबंध में राज्य सरकार से लगातार संपर्क में हैं। वह प्रारंभिक जांच शुरू करने के लिए रिकॉर्ड को कब्जे में ले सकती है। इसके लिए शिक्षा विभाग और गृह विभाग दोनों से संपर्क साधा जा रहा है। घोटाले की जांच शिक्षा विभाग की कमेटी ने की थी। जांच में चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा हुआ था।

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सरकार ने की है सीबीआइ जांच की सिफारिश

राज्य सरकार ने इस मामले में सीबीआइ जांच की सिफारिश की है। इस मामले को सरकार ने केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग यानी डीओपीटी को भेजा। वहां से इसे सीबीआइ के पास दिया गया। सीबीआइ ने पिछले दिनों प्रदेश सरकार को पत्र लिखा। इसमें पूछा गया था कि क्या इस बारे में हिमाचल में कोई प्राथमिकी दर्ज है या नहीं? इससे संबंधित कुछ और जानकारियां भी मांगी गई थी। लेकिन तबसे अब तक सरकार पुलिस में प्राथमिकी दर्ज नहीं करवा पाई है। उस सूरत में सिफारिश को केवल शिकायत माना जाएगा।

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क्या है घोटाला

घोटाले की जांच पता चला है कि छात्रवृत्ति की कुल रकम का करीब 80 फीसद बजट मात्र 11 फीसद निजी संस्थानों के छात्रों को दिया गया है। 2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के छात्रों को 210.05 करोड़ और 18682 सरकारी संस्थानों के छात्रों को मात्र 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के दिए गए हैं। आरोप है इन संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति की मोटी रकम को डकारा। जनजातीय क्षेत्रों के छात्रों को कई साल तक स्कालरशिप नहीं मिल पाई। ऐसे ही एक छात्र की शिकायत पर इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठा है। शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013-14 से साल 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप के तौर पर छात्रों को कुल 266.32 करोड़ दिए गए हैं। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप में हुई है। पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में कुल 260 करोड़ 31 लाख 31 हजार 715 रुपये दिए गए हैं। छात्रवृत्ति की जो राशि प्रदेश के छात्रों को मिलनी थी, उसे देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों में गलत तरीके से बांटे जाने का आरोप है।

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केस दर्ज करने के लिए डीओपीटी की मंजूरी नहीं मिली है। इसके बाद ही अगली कारवाई की जाएगी। फिलहाल सीबीआइ के पास केस नहीं पहुंचा है।

-अभिषेक दयाल, प्रवक्ता सीबीआइ दिल्ली मुख्यालय।

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फिलहाल रिकॉर्ड कब्जे में नहीं लिया गया है। हम सीबीआइ को पूरा सहयोग करेंगे। जांच का दायरा बड़ा होगा।

-डॉ. अमरजीत सिंह, उच्च शिक्षा निदेशक।

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