33 लाख रुपये हड़पने का आरोपित मात्र मोहरा

राजधानी के एक निजी होटल कारोबारी ने अपने बैंक खातों से 33 लाख रुपए की अवैध रुप से धन निकासी के मामले गिरोह के मुख्य आरोपितों के पास अभी पुलिस पहुंच नहीं पाई है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Apr 2019 09:16 PM (IST) Updated:Sun, 14 Apr 2019 06:35 AM (IST)
33 लाख रुपये हड़पने का आरोपित मात्र मोहरा
33 लाख रुपये हड़पने का आरोपित मात्र मोहरा

जागरण संवाददाता, शिमला : बैंक खातों से 33 लाख की ट्रांजेक्शन करने के मामले में गिरफ्तार आरोपित मात्र एक मोहरा है। असली शातिर पुलिस की पकड़ से दूर हैं। पुलिस जांच में इसका खुलासा हुआ है। राजधानी के एक होटल कारोबारी के खातों से यह ट्रांजेक्शन हुई थी। शिमला पुलिस इस मामले में उत्तर प्रदेश से एक आरोपित रमेश को गिरफ्तार करके लाई है, लेकिन पुलिस की पूछताछ में आरोपित रमेश ने बताया कि वाराणसी में नौकरी की तालाश में एक एनजीओ के कार्यालय में पहुंचा। एनजीओ में मौजूद लोगों ने उसे नौकरी देने की बात कही और बैंक खाता खोलने को कहा। उस खाते में एनजीओ के पैसों के लेन-देन का हवाला दिया था और रमेश का एटीएम कार्ड भी अपने पास रख लिया। जब उसके खाते में 10 लाख रुपये आए तो एनजीओ के सदस्यों ने फोन करके रमेश को बुलाया और चेक के माध्यम से नौ लाख 70 हजार रुपये खाते से निकाल लिए। हालांकि जिस ठिकाने पर एनजीओ ने अपना कार्यालय बनाया था, फिलहाल वहां ताला लटका है, जिन मोबाइल नंबरों से रमेश की बात गिरोह के सदस्यों से हुई थी, वे सभी स्वीच ऑफ हैं।

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ये था मामला

शिमला शहर के होटल कारोबारी विकास अग्रवाल ने 16 मार्च को सदर पुलिस थाना में शिकायत दर्ज करवाई थी। विकास अग्रवाल ने पुलिस को बताया था कि किसी ने उनके पारिवारिक सदस्यों के चार अलग-अलग बैंक खातों से ये निकासी की है। सभी खाते उनके मोबाइल नंबर से लिंक थे और निकासी से पूर्व उनके मोबाइल नंबर पर चार ओटीपी के एसएमएस आए थे। विकास अग्रवाल शिमला के गुलमर्ग होटल के मालिक हैं। शातिरों ने बैंक खाते से जुड़े मोबाइल नंबर की डुप्लीकेट सिम निकाल कर पैसा एक खाते में ट्रांसफर किया था। पुलिस ने जब इस खाते का रिकॉर्ड खंगाला तो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में पंजीकृत आया और पुलिस खाताधारक रमेश तक पहुंची। एक अन्य आरोपित गुजरात का बताया जा रहा है। शेष पैसा उसके खाते में ट्रांसफर हुआ है।

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