हद कर दी, छात्र और शिक्षक खुद ही

रमेश सिगटा शिमला हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय ने पीएचडी लॉ एमबीए

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Jun 2020 06:40 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jun 2020 06:40 PM (IST)
हद कर दी, छात्र और शिक्षक खुद ही
हद कर दी, छात्र और शिक्षक खुद ही

रमेश सिगटा, शिमला

हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय ने पीएचडी, लॉ, एमबीए, एमएससी की फर्जी डिग्रियां थोक में बांट रखी है। विश्वविद्यालय के संचालकों ने उत्तर-पूर्व के राज्यों से लेकर जम्मू-कश्मीर तक जाल फैलाया था। चौथी मंजिल में फर्जी एडमिशन के लिए अलग से सेल खोल रखा था। अपने स्टाफ को भी कई-कई डिग्रियां दी थी। वे संस्थान के छात्र भी थे और शिक्षक भी।

हिमाचल पुलिस के विशेष जांच दल (एसआइटी) की जांच के मुताबिक मुख्य आरोपित के परिवार के सदस्यों की डिग्रियां भी शक के दायरे में है। जैसे ही पुलिस ने शिकंजा कसा वह फरार हो गया। एक बेटी आस्ट्रेलिया में पढाई कर रही है। इसकी डिग्रियां की भी जांच चल रही है। पुलिस जहां भी रिकार्ड में हाथ डाल रही है, वहीं फर्जीवाड़ा नजर आ रहा। ऐसी डिग्रियों की पहचान आसानी से हो रही है। माधव विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने एसआइटी को लिखकर दिया है कि यहां विवि में फर्जीवाड़ा चलता था। मृत को भी दे दी डिग्री

निजी विश्वविद्यालय ने एक मृत को भी डिग्री आवंटित की थी। इस संबंध में दिल्ली की एक कोर्ट में याचिका दायर हुई है। हिमाचल पुलिस याचिका दायर करने वाले से संपर्क कर रही है। डिग्री किस विषय की थी, इसका जल्द पता लग जाएगा। रजिस्ट्रार दबा देता था शिकायत

पहले भी सोलन में कई शिकायतें आई। कई लोगों ने हिम्मत जुटाई, लेकिन हर बार रजिस्ट्रार इन्कार कर देता था था। वह डिग्री यहां से आवंटित होने से ही मुकर जाता। कई बार तो शिकायतकर्ता पर ही सवाल उठा दिए गए। हरियाणा की महिला रही पहले आरोपित

हरियाणा की एक महिला ने शिकायत की थी, लेकिन विवि प्रशासन ने उसे ही आरोपित बना दिया। धर्मपुर पुलिस थाने में उसके खिलाफ ही एफआइआर हुई। दूसरी एफआइआर हरियाना के पंचकुला में हुई। उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा। बाद में हिमाचल सरकार के दखल ने पता चला कि यह महिला आरोपित नहीं पीड़ित थी। इसके बाद इस साल धर्मपुर में इसी महिला का शिकायत पर मानव भारती के खिलाफ एफआइआर हुई। लंबे अरसे बार महिला को न्याय मिला। इसी की जांच अभी भी चल रही है। कर्नाटक के वकील को थी फर्जी डिग्री

इसी तरह से कर्नाटक के एक वकील को फर्जी डिग्री दी गई, उसकी आंसरशीट अभी तक चेक नहीं हुई है।

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मामले के मुख्य आरोपित राजकुमार राणा के स्वजन भी आरोपित बन रहे हैं। इनकी डिग्रियां भी फर्जी हो सकती है। ये ट्रस्टी भी हैं। स्टाफ को कई-कई डिग्रियां दी गई। वही छात्र भी रहे और प्रोफेसर भी। यह फर्जीवाड़ा बहुत बड़ा है। इसकी तह तक जांच होगी। फर्जी डिग्रियां बेचने वालों को नहीं बख्शा जाएगा।

-डॉ. शिव कुमार, एएसपी एवं एसआइटी सदस्य।

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